ICAR : किसानों के लिए आईसीएआर ने जारी की कपास की 5 नई किस्में

पोस्ट -18 सितम्बर 2024 शेयर पोस्ट

ICAR : भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने कपास की नई किस्में की विकसित, जानिए विशेषताएं

Cotton New Varieties : भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कपास उत्पादक देश है। कपास उद्योग से जुड़े लाखों लोगों के साथ, लगभग 5.8 लाख किसान परिवार कपास का उत्पादन कर जीवन यापन करते हैं। हालांकि, कपास की खेती में किसानों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। क्योंकि भारत में किसान लाभ में गिरावट के कारण कपास की खेती के रकबे का लगभग 10-12 प्रतिशत हिस्सा अन्य फसलों की खेती में स्थानांतरित कर रहे हैं। हालांकि, बेहतर कपास और बेहतर पैदावार में किसानों की मदद करने के लिए सरकार और कृषि अनुसंधान संस्थान साथ मिलकर काम करते हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने कपास की 5 नई किस्में जारी की है। आईसीएआर के अंतर्गत कपास की इन नई किस्मों को विभिन्न संस्थानों में विकसित किया गया है। आइए, जानते हैं कि आईसीएआर द्वारा लॉन्च की गई कपास की इन नई किस्मों की विशेषताएं क्या है?

विभिन्न कृषि जलवायु क्षेत्रों को ध्यान में रखकर किया विकसित (Developed keeping in mind various agro-climatic zones)

ICAR- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली ने कपास की इन नई किस्मों को देश के विभिन्न कपास उत्पादक राज्यों के लिए अनुकूलित किया है। इन किस्मों को विशेष तौर से भारत के विभिन्न कृषि जलवायु क्षेत्रों को ध्यान में रखकर विकसित किया गया है, जिससे देश के अलग-अलग हिस्सों के किसान अपनी आवश्यकताओं के अनुसार इनमें से चुन सकें। आगामी फसल सीजन में किसानों के लिए कपास की ये  5 नई प्रजातियां विशेष रूप से फायदेमंद साबित होने वाली है। गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, तेलंगाना और कर्नाटक में कपास की बेहतर पैदावार होती है। देश के इन राज्यों में कपास की खेती मई से जुलाई (खरीफ मौसम) में लगाई जाती है और स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप अक्टूबर से जनवरी महीने तक इसकी हार्वेस्टिंग (कटाई या कटनी) कर ली जाती है।

आईसीएआर (भाकृअनुप) संस्थानों द्वारा कपास की पांच नई किस्में (Five new cotton varieties developed by ICAR institutes)

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) द्वारा जारी कपास की इन 5 प्रमुख किस्मों की विशेषताएं नीचे दी गई हैं।

‘CICR-H Bt कपास 65 (ICAR -CICR 18 Bt)’ 

कपास की यह नई किस्म एक हाइब्रिड वैरायटी है, जिसे विशेष रूप से केंद्रीय क्षेत्र (सेंट्रल जोन) के लिए अनुशंसित किया गया है। कपास की इस हाइब्रिड किस्म को आईसीएआर-सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ कॉटन रिसर्च, नागपुर, महाराष्ट्र द्वारा स्पॉन्सर किया गया है। इस किस्म की खास विशेषता यह है कि यह किस्म अधिकांश रोगों के लिए प्रतिरोधी है और  यह वर्षा आधारित स्थिति के लिए उपयुक्त है। इसकी उपज क्षमता प्रति हेक्टेयर 15.47 क्विंटल है और इसकी पकवार अवधि 140-150 दिनों की है। यह किस्म जैसिड्स, थ्रिप्स, व्हाइटफ्लाई, एफिड्स के लिए प्रतिरोधी, बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट, अल्टरनेरिया लीफ ब्लाइट, ग्रे फफूंदी जैसे रोगों के प्रति सहनशील है। 

Shalini (CNH 17395) (CICR-H कपास 58)’

‘Shalini (CNH 17395) (CICR-H कपास 58)’ यह कपास की तीसरी नई किस्म है, यह भी एक हाइब्रिड किस्म है, जिसे विशेष रूप से महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्यों के लिए अनुशंसित किया गया है। इसकी खास विशेषता यह है कि यह किस्म वर्षा आधारित खरीफ की स्थिति के लिए उपयुक्त है। इसकी उपज 14.41 क्विंटल/हेक्टेयर है और इसकी मैच्योरिटी अवधि 127 दिन की है। कपास की इस नई किस्म को आईसीएआर-केंद्रीय कपड़ा अनुसंधान संस्थान, नागपुर, महाराष्ट्र द्वारा विकसित किया गया है। इस किस्म में उच्च तेल सामग्री (34.3 प्रतिशत) है। यह फ्यूजेरियम विल्ट के प्रति प्रतिरोधी, अत्यधिक संवेदनशील एफिड संक्रमण के प्रति मध्यम सहिष्णु है। 

‘CNH-18529 (CICR-H NC कपास 64)’ 

यह भी कपास की एक हाइब्रिड किस्म है, जिसे गुजरात, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे कपास उत्पादक राज्यों में खेती के लिए सिफारिश किया गया है। इस किस्म का प्राकृतिक रूप से भूरा रंग है। यह हथकरघा बुनाई के लिए उपयुक्त है। यह चूसने वाले कीटों, बॉलवर्म के प्रति सहनशील है और अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा, बैक्टीरियल ब्लाइट, कोरिनेस्पोरा पत्ती धब्बा के लिए रोग प्रतिरोधी है। यह कपास किस्म मध्य क्षेत्र की वर्षा आधारित और सिंचित स्थितियों के लिए उपयुक्त है और इसकी उत्पादन क्षमता 10.11 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है और इसकी फसल 160 से 165 दिन में पककर तैयार होती है। इस नई किस्म को ICAR-केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान, नागपुर, महाराष्ट्र द्वारा स्पॉन्सर किया गया है।

‘CICR- H Bt कपास 40 (ICAR-CICR- PKV 081 Bt)’

यह भी कपास की एक हाइब्रिड किस्म है। इसे विशेष रूप से साउथ जोन के लिए सिफारिश किया गया है। कपास की यह नई किस्म अधिकांश रोगों के लिए प्रतिरोधी है जैसे- बैक्टीरियल ब्लाइट, ग्रे फफूंदी, अल्टरनेरिया, कोरिनोस्पोरा लीफ स्पॉट, मायरोथसियम। साथ ही अधिकांश कीटों जैसे जैसिड्स, एफिड्स, थ्रिप्स, लीफ हॉपर के प्रति सहनशील है। इस नई किस्म को आईसीएआर-केंद्रीय कपड़ा अनुसंधान संस्थान, नागपुर, महाराष्ट्र दक्षिण क्षेत्र द्वारा स्पॉन्सर किया गया है। यह किस्म भी वर्षा आधारित स्थिति के लिए उपयुक्त है। इसकी पैदावार क्षमता 17.30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की है और इसकी फसल 140 से 150 दिन में पककर कटाई के तैयार हो जाती है।

‘PDKV Dhawal (AKA-2013-8)’ कपास किस्म

‘PDKV Dhawal (AKA-2013-8)’ भी कपास की एक हाइब्रिड किस्म है। इस किस्म को कपास पर एआईसीआरपी, डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि विद्यापीठ, अकोला, महाराष्ट्र द्वारा विकसित किया गया है। यह किस्म महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में खेती के लिए अनुशंसित है। यह वर्षा आधारित स्थिति में समय से बुआई के लिए उपयुक्त है। इस किस्म की उपज क्षमता 12.84 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है और इसकी मैच्योरिटी 160 से 180 दिन की है। कपास की यह नई किस्म बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट, लीफ हॉपर  के प्रति सहनशील, अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा, ग्रे फफूंदी, मायरोथेसियम पत्ती धब्बा के प्रति प्रतिरोधी है।

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