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गर्मी और बारिश के मौसम में दुधारू पशुओं की देखभाल कैसे करें जानें पूरी जानकारी

गर्मी और बारिश के मौसम में दुधारू पशुओं की देखभाल कैसे करें जानें पूरी जानकारी
पोस्ट -13 अप्रैल 2023 शेयर पोस्ट

गर्मियों में दुधारू पशुओं की देखभाल कैसे करें? जानें पूरी जानकारी 

भारतीय अर्थव्यवस्था में पशुधन का बहुत योगदान है। आमतौर पर सभी किसान भाई कोई ना कोई पशु अवश्य पालते हैं। इसके अलावा भारत के अन्य करोड़ों आम लोगों की आजीविका पशुओं पर आधारित होती है। पालतू पशुओं में गाय, भैंस, बकरी, भेड, ऊंट, घोड़ा, घोड़ी आदि मुख्य है। आप अगर पशुपालन व्यवसाय से जुड़ें है तो अपने पशुओं को मौसम की मार से बचाना बहुत जरूरी है। गर्मी का मौसम शुरू हो चुका है, गर्मी में आए दिन तापमान बढ़ता है। कई बार यह तापमान मवेशियों के लिए भी असहनीय बन जाता है। ऐसे में पशुओं को ठंडक वाले छायादार जगह पर रखें। इसके अलावा गर्मी में फैलने वाली बीमारियों से भी पशुओं को बचाएं। गर्मी के बाद मानसून आते ही बारिश का सिलसिला शुरू हो जाता है। लगातार बरसात में पशुओं को भीगने के कारण कई प्रकार की जानलेवा बीमारियां हो सकती हैं। जहां तक हो सके बरसात में पशुओं को खुला नहीं छोड़ें क्योंकि इन दिनों में आकाशीय बिजली आदि का भी प्रकोप हो सकता है। बारिश में अपने मवेशियों को सुरक्षित रखें और इनकी  देखभाल सही तरीके से करें। गर्मी और बरसात के मौसम में पालतू पशुओं पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। यहां आपको इन दोनों मौसम में पशुओं की सुरक्षा और इनके बेहतर स्वास्थ्य के लिए कुछ खास बातें ट्रैक्टर गुरू पर इस आर्टिकल में बताई जा रही है। इसे लाइक और शेयर अवश्य करें।

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गर्मी में पशुओं को कैसे रखें स्वस्थ ?

बारिश के अलावा गर्मी के मौसम में भी पशुओं की देखभाल जरूरी है। इस मौसम में पशुओं को पानी की ज्यादा जरूरत होती है। पशुओं को दिन में कम से कम तीन बार पानी अवश्य पिलाएं। पानी में थोड़ी मात्रा में नमक और आटा मिला दें तो पशु के शरीर का तापमान सही रहता है। पशुओं को गर्मी जनित रोग जैसे खुरपका, मुंहपका, लंगडी बुखार आदि से बचाव के लिए टीके अवश्य लगवाएं। इसके अलावा पशुओं को गर्मी के मौसम में पानी से नहलाना भी आवश्यक है।

गर्मी में पशुओं को खिलाएं हरा चारा

गर्मी के मौसम में पशुओं को हरा चारा खिलाना अच्छा रहता है। हरे चारे में पानी की मात्रा ज्यादा होती है और गर्मी में पशुओं को बार-बार प्यास लगती है। ऐसे में हरा चारा पानी की पूर्ति करने के साथ पौष्टिक भी रहता है। अप्रैल के महीने में पशुओं को मूंग, मक्का, काउपी, बरबटी आदि का हरा चारा गुणकारी रहता है। इसके अलावा हरी घास को  सुखाकर भी खिलाया जा सकता है। गर्मी में पशुओं के चारे में एमिनो पावर और ग्रो बी प्लेक्स मिलाना चाहिए। इससे पशुओं की पाचन शक्ति सही रहेगी।

तापमान से बचाने के लिए पशुओं के आवास का करें उचित प्रबंध

गर्मी में अधिक तापमान से पशुओं को बचाने के लिए उनके आवास स्थान पर उचित प्रबंध करें। इसके लिए आप लकड़ी या बांस आदि से टाट या बोरी को लपेटकर उस पर पानी का छिड़काव करते रहें। इससे पशुओं को गर्म हवा की जगह ठंडी हवा मिलेगी। कूलर की भी व्यवस्था कर सकते हैं। आवास ऐसे स्थान पर हो जहां आसपास के पेड़ों की छाया आती हो, इससे तापमान सही रहेगा। वहीं पशुओं के बैठने की जगह पर रेत डलवा दें  जिस पर पानी का छिड़काव करने से यह रेत शीतल रहेगी। इससे पशु आराम से बैठ सकते हैं। 

बारिश में करें मजबूत  शेड  तैयार

बारिश के मौसम की मार से अपने पालतू पशुओं को बचाने के लिए आपको टीन या अन्य प्रकार की छत के साथ शेड तैयार करनी होगी। यह शेड मजबूत हो ताकि आंधी-बारिश में गिर नहीं सके। इसमें पानी का रिसाव बिल्कुल नहीं होना चाहिए। वहीं पशुओं के लिए पर्याप्त जगह हो। अगर शेड पूरी तरह से साफ नहीं होगी तो इससे कई प्रकार के रसायनों का असर भी पशु पर पड़ सकता है। इससे पशुओं की आंखों पर तेजी से बुरा असर पड़ता है। पशु रोग विशेषज्ञों के अनुसार खराब शेड से पशुओं में कोक्सीडियोसिस नामक रोग भी हो जाता है। इसमें पशुओं के खुर पक जाते हैं। इसके अलावा टपकती छत से पानी गिरने पर पशु बीमार हो सकते हैं।

बेक्टीरिया नहीं फैलने दें

बारिश के मौसम में नमी के कारण बेक्टीरिया तेजी से फैलते हैं। जहां पालतू पशुओं को रखा जाता है वहां समय-समय पर बरसात के मौसम में कृमिनाशक दवा का छिड़काव करते रहना चाहिए। इससे पशुओं में बेक्टीरिया का असर नहीं होगा। डी वार्मिंग बारिश के पूरे सीजन में जरूरी है।

चारे में नहीं हो फफूंदी 

पशुओं के लिए सूखा या हरा चारा एकदम सही हो। इसमें पानी गिरने से यदि फफूंदी लग गई है तो इससे पशुओं को कैंसर भी हो सकता है। गीला और खराब चारा अलग हटा दें।

पशुघर की फर्श को रखें साफ-सुथरी

पशुओं की शेड के अंदर की फर्श यदि पक्की है तो उसे पूरी तरह से साफ रखें। कई बार फर्श पर कंकड़- चूना या अन्य वस्तु होने के कारण वह पशुओं के पैरों के खुरों के बीच फंस जाता है। इससे पशुओं को काफी तकलीफ भी होती है।

बरसात में हरी घास कम खिलाएं

पालतू पशुओं को बरसात के मौसम में उगने वाली घास कम खिलाएं। यदि ज्यादा मात्रा में पशु ये घास खाते हैं तो इससे पशुओं का हाजमा खराब हो जाता है। इसके लिए घास के अलावा सूखा चारा भी दें ताकि पशुओं को पेट संबंधी बीमारियां नहीं हो सकें।

ईस्ट कोस्ट बुखार है घातक

पशुओं में ईस्ट कोस्ट नामक बुखार घातक होता है। इससे पशुओं की मौत भी हो जाती है। इससे बचाव के लिए वर्षाकाल में पशुओं के आसपास मक्खियों को नहीं पनपने दें। ईस्ट कोस्ट नामक बुखार भी मक्खी की एक प्रजाति द्वारा ही फैलता है।

पेट की बीमारियों से करें बचाव

बरसात के मौसम में पशुओं में पेट की बीमारियां ज्यादा फैलती है। इसके अलावा दुधारू पशुओं के थन भी रोगग्रस्त हो जाते हैं। इनमें फाइब्रोसिस हो जाता है। पशुओं को खुला छोड़ने से कई बार वे बरसाती घास के साथ कीट आदि भी खा जाते हैं। इससे उन्हे पेट की गंभीर बीमारियां हो सकती है। पेट संबंधी बीमारियों से बचाव के लिए बरसात में पानीदार घास कम खिलाएं। वहीं बीच-बीच में पशु चिकित्सक से अपने पशु की जांच कराते रहें।

ट्रैक्टर गुरू पर खेती-बाड़ी, पशुपालन और इससे जुड़े सभी प्रकार के अपडेट समाचार उपलब्ध रहते हैं। विभिन्न सरकारी योजनाओं और कृषि कार्य में काम आने वाले आधुनिक उपकरणों की जानकारी भी आप ट्रैक्टर गुरू की वेबसाइट पर जाकर हासिल कर सकते हैं। पशुओं को गर्मी और बारिश में सुरक्षित रखने का ट्रैक्टर गुरू  पर  प्रसारित यह आर्टिकल आपको कैसा लगा?  इस पर अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें।

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