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पशुपालन : ठंड में पशुओं की देखभाल के लिए अपनाएं ये विशेष तरीका

पशुपालन : ठंड में पशुओं की देखभाल के लिए अपनाएं ये विशेष तरीका
पोस्ट -28 जनवरी 2023 शेयर पोस्ट

 पशुपालन : जानें, ठंड में पालतू पशुओं की देखभाल करने का उचित तरीका और ध्यान देने वाली बातें

देश के कई हिस्सों में अभी भी ठंड का मौसम है। पहाड़ी राज्यों सहित मैदानी राज्यों में भी ठंड का असर देखने को मिल रहा है। ऐसे में ठंड का यह मौसम पशुओं को ज्यादा प्रभावित करता है, जिसमें दुधारू पशुओं एवं अन्य छोटे पालतू पशुओं की कई प्रकार की बीमारियों से मौत हो जाती है। इतना ही नहीं, ठंड के मौसम में दुधारू पशुओं की उत्पादन एवं प्रजनन क्षमता में भी गिरावट आ जाती है, जिसके कारण पशुपालकों एवं किसानों को काफी बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसे में दुधारू पशुओं एवं अन्य छोटे पालतू पशुओं को सर्दी में विशेष देखभाल की जरूरत होती है, जिससे पशुओं की उत्पादन एवं प्रजनन क्षमता में गिरावट के साथ-साथ इन्हें कई प्रकार की बीमारियों से बचाया जा सकता है। बता दें कि खेती के बाद पशुपालन ग्रामीण लोगों की आय का एक अहम जरिया है, जिससे ग्रामीण क्षेत्र के लोग अच्छी आय प्राप्त करते हैं तथा अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत करते हैं। लेकिन ठंड के मौसम में जैसे-जैसे तापमान नीचे गिरता है वैसे-वैसे पशुओं के खान-पान, पोषण एवं दूध उत्पादन पर भी प्रभाव पड़ता है। ऐसे में कृषि और पशु वैज्ञानिकों के सुझाव एवं कुछ विशेष तरीकों के प्रयोग से किसान अपने पशुओं की ठंड में भी खास देखभाल कर अपने पशुओं को ठंड के प्रभाव से बचा सकते हैं। आईए, ट्रैक्टरगुरु के इस पोस्ट में जानते हैं कि किस प्रकार दुधारू पशुओं एवं अन्य छोटे पालतू पशुओं की ठंड से देखभाल कर सकते हैं। 

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सर्दी से बचाने के लिए अपनाएं ये तरीके

देश के ग्रामीण क्षेत्रों में लाखों लोग पशुपालन में छोटे, बडे़ और दुधारू मवेशियों का पालन कर दूध उत्पादन एवं उनके अन्य उत्पादों की बिक्री से अर्थव्यवस्था में सहयोग भी करते हैं। लेकिन इसमें किसानों और पशुपालकों को पशुओं की देखभाल का पर्याप्त ज्ञान होना चाहिए, नहीं तो पशुपालन घाटे का सौदा भी साबित हो सकता है। सर्दियों में छोटे, बडे़ और दुधारू मवेशियों को ठंड से बचाने के लिए उनके खानपान व संरक्षण के प्रति विशेष प्रबंधन के साथ विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है। सर्दियों के मौसम में दुधारू मवेशियों की अच्छे से देखभाल करने और खास ख्याल रखने की आवश्यकता होती है। 

  • ठंड के मौसम में मवेशियों में बुखार एवं पेट खराब होने जैसी समस्या दिखने पर घरेलू प्राथमिक उपचार करें तथा जल्द से जल्द पशु चिकित्सक से पशुओं का उपचार कराएं। 
  • मवेशियों की सबसे ज्यादा मौत ठंड में होती है, इसलिए दुधारू पशुओं एवं अन्य छोटे पालतू मवेशियों को सर्दी में कम से कम नहलाये। 
  • अच्छी धूप होने पर ही पशुओं को नहलाये और सरसों का तेल पूरे शरीर पर लगाकर अच्छे से धूप दिखाएं। 
  • पशुओं का उचित समय टीकाकरण कराते रहे, जिससे पशुओं में होने वाले खुरपका, मुंहपका रोग से बचाव हो सकें। 
  • पशुओं की समय-समय पर गर्भ जांच कराएं। साथ ही पशुओं की समय-समय पर पशु चिकित्सक से जांच करवाएं ताकि समय से बीमारियों का पता लगाकर उपचार किया जा सके।  

छोटे और नवजात पशुओं की देखभाल

ठंड में सबसे ज्यादा छोटे और नवजात पशु प्रभावित होते हैं। ठंड की वजह से इन पशुओं में दस्त, निमोनिया होने का खतरा बढ़ जाता है। दस्त, निमोनिया से ज्यादातर गाय-भैंस के नवजात बच्चे एवं छोटे पशुओं की बड़ी संख्या में मौत हो जाती है। छोटे एवं नवजात पशु के लीवर में फ्लूक नाम रोग हो जाता है। इस रोग से बचाने के लिए गाय-भैंस के नवजात शिशुओं को उनके शरीर भार के अनुसार कृमिनाशक दवाएं अल्बोमार, बैनामिन्थ, निलवर्म, जानिल आदि देते रहना चाहिए और परजीवी नाशक औषधि बदल-बदल कर देते रहना चाहिए। वहीं, पशु चिकित्सक को जल्द से जल्द दिखाना चाहिए। 

पशुओं को सप्ताह में 2 से 3 बार नहलाए

ठंड में अधिकतर पशु मालिक अपने पालतू पशुओं को ठंड लगने के डर से नहलाते ही नहीं है, वे सोचते हैं कि ठंड में पशुओं को नहलाने से वे बीमार हो पड़ जाएंगे। लेकिन पशुओं को कीट- जूं, पिस्सू, किलनी के प्रकोप से बचाने लिए धूप निकलने पर सप्ताह में 2 से 3 बार नहलाए। कीट- जूं, पिस्सू, किलनी से ग्रसित पशुओं के शरीर पर बूटॉक्स और क्लीनर दवा की दो मिली मात्रा 1 लीटर पानी के अनुपात में घोलकर लगाएं और 3 से 4 घंटे के पश्चात नहलाए। लेकिन इन दवा का इस्तेमाल पशु चिकित्सक की सलाह पर ही करें। 

ठंड में उचित तापमान की व्यवस्था करें 

मवेशियों में अपना एक कमफर्ट जोन होता है, जिसके हिसाब से वह अपना विकास करते हैं। लेकिन ठंड के मौसम में जैसे-जैसे तापमान कम होता जाता है, पशुओं का भी शारीरिक तापमान प्रभावित होता है। जिसके कारण उनके शरीर में परिवर्तन देखने को मिलने लगता है। तापमान में गिरावट से दुधारू पशुओं में दूध उत्पादन कम हो जाता है। मवेशियों के शारीरिक तापमान को स्थिर बनाने के लिए मवेशियों को ताजा एवं गर्म पानी पिलाएं। उन्हें अच्छी धूप खिलने पर बाड़े से बाहर निकाले। रात में बाड़े में अलाव जलाए ताकि बाड़े का उचित तापमान बना रहे। अधिक सर्दी होने पर सुबह-शाम एवं रात में पशुओं को टाट की पल्ली या पुआल से बनी पल्ली उढ़ाएं। बाड़े में फर्श को सूखा रखे। इसके लिए पुआल, रखा, टाट और सूखी घास-फूस का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा, मवेशी को मेथी दाना, गुड एवं सरसों खल खिलाएं और महीने में एक बार सरसों का तेल भी पिलाएं।
 

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