Pesticide Ban : भारत दुनियाभर के देशों में बासमती चावल का निर्यात करता है। देश के पंजाब, हरियाणा व पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पैदा होने वाले बासमती चावल की धाक पूरी दुनिया में है। लेकिन, पिछले कुछ वर्षों में अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारतीय बासमती चावल संघर्ष करता दिखाई दे रहा है। इसका मुख्य कारण बासमती चावल में रसायनिक कीटनाशकों के अवशेष और गुणवत्ता में कमी है।
दरअसल, धान खरीफ मौसम की प्रमुख खाद्यान फसल है। देश के अधिकांश क्षेत्रों में इसकी खेती किसानों द्वारा की जाती है। पूरे देश के लगभग 30 प्रतिशत बासमती धान की खेती उत्तर प्रदेश में होती है। उत्तर प्रदेश में उत्पादित बासमती चावल का सबसे ज्यादा निर्यात विदेशों में किया जाता है। लेकिन बीते दो-तीन सालों में रसायनों की अधिकता के कारण यूरोप एवं खाड़ी देशों ने भारतीय बासमती चावल की खेप को लौटा दिया। जिसके कारण अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बासमती चावल की डिमांड में गिरावट देखी गई है। इसे देखते हुए सरकार ने 10 रासायनिक कीटनाशकों की बिक्री, वितरण एवं इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है। अब किसान इन प्रतिबंधित कीटनाशकों का छिड़काव फसलों में नहीं कर पाएंगे।
खतरनाक 10 कीटनाशक प्रतिबंधित
भारत, दुनिया के 155 देशों में बासमती चावल का निर्यात करता है। यूपी के बासमती चावल को भौगोलिक संकेत (जीओग्राफिकल इंडेकेशन जीआई) टैग प्राप्त है। बासमती चावल की खेती को झोंका (Rice Blast), झुलसा (Sheath Blight Disease) तथा तना छेदक कीट रोगों से बचाने के लिए किसान कीटनाशक का छिड़काव करते हैं। लेकिन, किसान अब कीटनाशकों का अधिक इस्तेमाल करने लगे। जिससे बासमती चावल के असली स्वाद और गुणवत्ता में गिरावट आने लगी है। वहीं, इन रसायनिक कीटनाशकों के अवशेष बासमती चावल में भी पाए जा रहे हैं। जिसके कारण यूरोप, अमेरिका और खाड़ी देशों के एक्सपोर्ट में साल 2020-21 की तुलना में साल 2021-22 में 15 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बासमती चावल की डिमांड और दामों में भी गिरावट आने लगी है। इन्हीं को देखते हुए अपर निदेशक (कृषि रक्षा) त्रिपुरारी प्रसाद चौधरी ने प्रदेश के 30 जिलों में 10 कीटनाशकों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। इनके प्रतिबंधित होने से बासमती चावल के असली स्वाद और गुणवत्ता दोनों को सुधारा जा सकेगा।
इन कीटनाशकों की बिक्री वितरण एवं इस्तेमाल को किया प्रतिबंध
सरकार ने प्रदेश के 30 जिलों में बासमती चावल में इस्तेमाल होने वाले 10 रसायानों की ब्रिकी, वितरण एवं प्रयोग को प्रतिबंध किया है। बासमती चावल की खेती करने वाले किसान इन प्रतिबंधित कीटनाशकों का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं।
सरकार की तरफ से प्रतिबंधित कीटनाशकों का विवरण
क्रं. सं. | प्रतिबंध कीटनाशक के नाम |
1 | क्लोरपाइरीफोंस (Chlorpyrifos) |
2 | प्रोपिकोनाजोल (Propiconazole) |
3 | थायोमेथाक्साम (Thiamethoxam) |
4 | प्रोफेनोफोस (Profenophos) |
5 | इमिडाक्लोप्रिड (Imidacloprid) |
6 | कार्बेनडाजिम (Carbendazim) |
7 | ट्राइसाक्लाजोल (Tricyclazole) |
8 | बुप्रोफेजिन (Buprofezin) |
9 | एसीफेट (Acephate) |
10 | हेक्साकोनोजॉल (Hexaconazole) |
प्रदेश के इन 30 जिलों के किसान अब नहीं कर सकते हैं प्रतिबंधित कीटनाशक का प्रयोग
पश्चिम उत्तर प्रदेश के औरेया, बागपत, बरेली, बिजनौर, बदायूं, बुलंदशहर, एटा, कासगंज, फर्रुखाबाद, फिरोजाबाद, इटावा, गौतम बुद्धनगर, हाथरस, मथुरा, मैनपुरी, मेरठ, मुरादाबाद, पीलीभीत, रामपुर, सहारनपुर, शाहजहांपुर, संभल, आगरा, अलीगढ़, गाजियाबाद, हापुड, अमरोहा, कन्नौज, मुजफ्फरनगर, शामली जिले से लगभग दस लाख टन बासमती चावल का उत्पादन होता है। बासमती चावल के लिए खतरनाक 10 रसायनों को इन जिलों में प्रतिबंध किया गया है। अब यहां के किसान बासमती चावल की खेती में इन प्रतिबंधित कीटनाशकों का प्रयोग नहीं कर पाएंगे।
बासमती चावल के एक्सपोर्ट में आई कमी
एग्रीकल्चरल एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (एपीडा) के अनुसार, यूरोपियन यूनियन ने बासमती चावल में ट्राइसाइक्लाजोल (tricyclazole) का अधिकतम कीटनाशी अवशेष स्तर एमआरएल 0.01 पीपीएम तय किया है। परंतु, निर्धारित पीपीएम की मात्रा से अधिक होने के कारण यूरोप, अमेरिका और खाड़ी देशों के एक्सपोर्ट में साल 2020-21 की तुलना में साल 2021-2022 में बासमती चावल के एक्सपोर्ट में पन्द्रह प्रतिशत की कमी आई है। पेस्टीसाइड वाले बासमती की डिमांड रिजेक्ट कर दी जाती है। बता दें एपीडा मेरठ के मोदीपुरम में बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान (एपीडा, उद्योग एवं वाणिज्य मंत्रालय, भारत सरकार) का केंद्र है।
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