Wheat Crop: रबी सीजन में गेहूं की नई किस्म करण वैष्णवी DBW 303

पोस्ट -04 अक्टूबर 2024 शेयर पोस्ट

Wheat Crop: भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान ने तैयार की गेहूं की नई उन्नत किस्म, जानें इसकी विशेषताएं

Karan Vaishnavi DBW 303 : देश में खरीफ सीजन के बाद अब किसान रबी सीजन की तैयारियों में जुट गए हैं। कई राज्यों में किसानों ने रबी फसलों की बुवाई के लिए खेतों को तैयार करने का काम भी शुरू कर दिया है। देश के ज्यादातर किसान रबी सीजन में मुख्य रूप से गेहूं की बुवाई करते हैं। ऐसे में फसल का उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के लिए किसानों को उन्नत किस्मों के प्रमाणित बीज दिए जाते हैं, जिससे कम लागत में गेहूं की अधिकतम पैदावार प्राप्त करके उनकी आय बढ़ाई जा सके। वर्तमान में कृषि वैज्ञानिकों एवं कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा गेहूं की नई-नई किस्में तैयार की जा रही है। इस कड़ी में भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान द्वारा गेहूं की नई उन्नत किस्म करण वैष्णवी DBW 303 विकसित की गई है। गेहूं की यह उन्नत किस्म 97.4 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की रिकॉर्ड पैदावार देती है। आइए, गेहूं की इस नई किस्म की विशेषताओं के बारे में जानते हैं। 

अगेती बुआई वाली खेती के लिए अधिसूचित (Notified for early sowing cultivation)

गेंहू की इस DBW 303 “करण वैष्णवी” किस्म को भारतीय जौ एवं अनुसंधान संस्थान करनाल द्वारा विकसित किया गया है। आईसीएआर-आईआईडब्ल्यूबीआर द्वारा गेहूं की इस किस्म को भारत के उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्र के सिंचित क्षेत्र में अगेती बुआई वाली खेती के लिए 2021 में अधिसूचित किया गया है। इसमें पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान (कोटा और उदयपुर डिवीजन को छोड़कर) और पश्चिमी उत्तरप्रदेश (झांसी डिवीजन को छोड़कर), जम्मू-कश्मीर (जम्मू और कठुआ जिले), हिमाचल प्रदेश (ऊना जिला और पांवटा घाटी) और उत्तराखंड (तराई क्षेत्र) के कुछ हिस्सों को शामिल किया गया है।

डीबीडब्ल्यू 303 (करण वैष्णवी) की विशेषताएं (Features of DBW 303 Karan Vaishnavi)

अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के गेहूं परीक्षणों में गेहूं की डीबीडब्ल्यू 303 किस्म की औसत उपज 81.2 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पायी गई है जो की एचडी 2967 (HD-2967) एवं एच डी 3086 (HD-3086) से क्रमशः 30.3 फीसदी एवं 11.7 फीसदी अधिक है। उत्पादन परीक्षणों के तहत डीबीडब्ल्यू 303 (करण वैष्णवी) किस्म द्वारा 97.4 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की रिकॉर्ड पैदावार क्षमता दर्ज की गई है। इस क़िस्म की पूरे जोन में पैदावार की अच्छी स्थिरता पायी गई है और अधिक उर्वरकों और वृद्धि नियंत्रकों के प्रयोग के लिये अच्छे परिणाम दिखाए हैं। इस किस्म की यह खासियत है कि इसकी खेती कर अगले साल के लिए अपना बीज तैयार कर सकते हैं।

सभी प्रमुख रोग के लिए प्रतिरोधक (resistant to all major diseases)

करण वैष्णवी डीबीडब्ल्यू 303 किस्म पीला, भूरा और काला रतुआ की सभी प्रमुख रोगजनक प्रकारों के लिए प्रतिरोधक पायी गई है। इसके अलावा, डीबीडब्ल्यू 303 (करण वैष्णवी) में करनाल बंट (4.2 प्रतिशत) एवं गेहूं ब्लास्ट रोग के प्रति अत्यधिक रोगरोधिता पायी गई है। DBW 303 के दाने में उच्च प्रोटीन मात्रा (12.1 प्रतिशत), अच्छा चपाती स्कोर (7.9), अधिक गीला व सूखा ग्लूटन मात्रा (34.9 प्रतिशत और 11.3 प्रतिशत) और बिस्कुट फैलाव 6.7 सेमी है। अच्छा ब्रेड गुणवत्ता स्कोर (6.4/10), उच्च अवसादन मूल्य (64.8) के कारण करण वैष्णवी डी बी डब्ल्यू 303 किस्म गेहूं के कई उत्पादों के लिए बहुत उपयुक्त है।

DBW 303 किस्म की पैदावार (DBW 303 variety yield)

करण वैष्णवी DBW 303 किस्म में औसतन 92 से 114 दिनों की अवधि में बालियां निकलना शुरू हो जाती है, वहीं इस किस्म की पकने की अवधि 143 से 160 दिनों की है। इस किस्म के पौधों की औसतन ऊंचाई 92 से 188 सेमी और इसके 1000 दानों का वजन लगभग 37 से 48 ग्राम होता है। इस किस्म के गेहूं से बनी रोटियां भी बहुत स्वादिष्ट व सेहतमंद मानी जाती हैं। गेहूं की डीबीडब्ल्यू 303 किस्म की फसल 145 से 156 दिन में पूरी तरह पककर तैयार हो जाती है। यह किस्म अधिकतम पैदावार 97.4 क्विंटल हेक्टेयर तक दे सकती है। 

गेहूं किस्म करण वैष्णवी डी बी डब्ल्यू 303 (Wheat variety Karan Vaishnavi DBW 303)

गेहूं किस्म करण वैष्णवी डी बी डब्ल्यू 303 उत्तर पश्चिमी भारत के मैदानी क्षेत्रों के सिंचित अवस्था में अगेती बुआई के लिए उपयुक्त है। किसान इसकी खेती समतल उपजाऊ खेत में उपयुक्त नमी होने पर खेत की तैयारी करके बुआई करें। गेहूं की इस किस्म की बुआई का उपयुक्त समय 25 अक्टूबर से 05 नवंबर का है। इस किस्म के लिए 100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज का इस्तेमाल करें। पंक्तियों के बीच 20 सेमी की दूरी के साथ बीजों की बुआई की जानी चाहिए। गेहूं की फसल को कंडुवा रोग से बचाने के लिए वीटावैक्स (कार्बोक्सिन 37.5 प्रतिशत थिरम 37.5 प्रतिशत) प्रति 2-3 किलोग्राम बीज से उपचारित करना चाहिए।

DBW 303 में सिंचाई और उर्वरक की मात्रा (Amount of irrigation and fertilizer in DBW 303)

गेहूं की DBW 303 किस्म उन क्षेत्रों के लिए है, जहां पर्याप्त सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो। इस क्षेत्र में गेहूं की फसल को सामान्यतः 5-6 सिंचाई की आवश्यकता होती है, जिसमें पहली सिंचाई बुआई के 20 से 25 दिन के बाद एवं उसके बाद उपलब्ध नमी के आधार पर 25- 35 दिनों के अंतराल पर करना चाहिए। उर्वरकों का उपयोग मिट्टी परीक्षण पर आधारित होना चाहिए। उर्वरता वाली भूमि के लिए नत्रजन 150, पोटाश 60 फास्फोरस 40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर, जिसमें फास्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा तथा नत्रजन आधी मात्रा बुवाई के समय और शेष मात्रा पहली सिंचाई के बाद उपयोग करें।  

रोग एवं कीट नियंत्रण (Disease and pest control)

अगेती बुवाई व 150 प्रतिशत एनपीके के प्रयोग करने पर वृद्धि नियंत्रकों क्लोरमाक़्वेटक्लोराइड (CCC) / @ 0.2 प्रतिशत + टेबुकोनाजोल 250 ई सी / 0.1 प्रतिशत का दो बार छिड़काव ( तने की पहली गांठ बनने पर और फ्लैग लीफ आने के समय) करने से इस किस्म को गिरने से बचाया जा सकता है। वृद्धि नियंत्रकों की 200 लीटर पानी में 400 मिली लीटर क्लोरमाक़्वेटक्लोराइड और 200 मिलीलीटर टेबुकोनाजोल (वाणिज्यिक उत्पाद मात्रा टैंक मिक्स) प्रति एकड़ मात्रा का प्रयोग दो बार करें। माहू या चेपा नमक कीट के नियंत्रण के लिए इमिडाकलोपरिड 17.8 एसएल 40 मिली प्रति एकड़ मात्रा का छिड़काव करें। दीमक नियंत्रण के लिए खेत की तैयारी के दौरान रेत के साथ फिप्रोनिल 0.3 जी आर 10 किलो प्रति एकड़ उपयोग करें। 

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