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काली गाजर की खेती :काली गाजर की खेती से किसानो की होगी लाखों की कमाई, मिलेगा लाभ

काली गाजर की खेती :काली गाजर की खेती से किसानो की होगी लाखों की कमाई, मिलेगा लाभ
पोस्ट -01 जून 2023 शेयर पोस्ट

काली गाजर की खेती से किसान कर सकते है लाखो की कमाई, मार्केट में हमेशा रहती है मांग 

काली गाजर की खेती : कृषि में बढ़ते जोखिमों को देखते हुए आज किसान पारंपरिक फसलों के स्थान पर सब्जी फसलों की खेती कर रहे हैं। सब्जी फसलों में किसान वर्तमान समय में आलू, प्याज, गोभी, टमाटर, तोरई, लोकी, बैंगन, मूली और गाजर जैसी विभिन्न प्रकार की फसल लगाकर लाखों रुपए की सालाना कमाई कर रहे हैं। ऐसे में आज हम किसान भाईयों के लिए सब्जी फसल में काली गाजर की जानकारी लेकर आए हैं। आपको सर्दियों के मौसम के दौरान मार्केट में लाल, पीली गाजर के साथ काली गाजर भी खूब मिलती है। सर्दियों के मौसम में काली गाजर का उत्पादन ज्यादा होता है। काली गाजर में लाल गाजर की तुलना में अधिक विटामिन पाए जाते हैं। इसमें एंटीऑक्सीडेंट की भरपूर मात्रा पाई जाती है, जिसके कारण यह स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होती है। काली गाजर को देसी गाजर भी कहा जाता है। इसमें विटामिन ए और अन्य पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जिसके कारण इसका इस्तेमाल औषधी के रूप में किया जाता है। इसमें मौजूद बीटा कैरोटिन आंखों के लिए बेहद फायदेमंद है। काली गाजर का नियमित सेवन करने से त्वचा में निखार आता है। स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होने के कारण काली गाजर की मांग मार्केट में हमेशा बनी रहती है। ऐसे में काली गाजर की खेती किसानों की आय को दोगुना करने का बेहतर विकल्प साबित हो सकती है। लाल गाजर के स्थान पर काली की खेती किसानों की किस्मत चमका सकती है। ऐसे में किसान भाई काली गाजर की खेती करते हैं तो वे इसके उत्पादन से लाखों रुपए का मुनाफा आसानी से कमा सकते हैं। आइए इस ट्रैक्टर गुरु लेख के माध्यम से जानते हैं काली गाजर की खेती कैसे लगाई जाती है और इससे किसानों को कितना लाभ मिलेगा। 

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देश के इन राज्यों में होती है काली गाजर

गाजर एक मूल (जड़) वाली सब्जी है, जिसे पूरे भारत में सर्दियों के मौसम में उगाया जाता है। जड़ वाली यह सब्जी प्रायः लाल, नारंगी एवं काले रंग में पाई जाती है। विटामिन और पोषक तत्वों की मौजूद मात्रा के कारण काली गाजर को सर्दियों का सुपरफूड भी कहा जाता है। वर्तमान में यूपी, हरियाणा और पंजाब सहित कई राज्यों में काली गाजर की खेती मुख्य रूप से किसान करते हैं। 

काली गाजार की खेती कैसे करें?

काली गाजर की खेती भी लाल गाजर की खेती की तरह ही होती है। इसकी खेती के लिए भी इसके बीजों की खेतों में बुवाई अगस्त से नवंबर महीने तक की जाती है। काली गाजर फसल के बीज बोने के बाद यह 80 से 90 दिनों में पैदावार देने के लिए तैयार हो जाती है। इसकी खेती से प्रति हेक्टेयर 8 से 10 टन तक उत्पादन किसानों को मिल सकता है। लाल गाजर के मुकाबले मार्केट में काली गाजर का भाव काफी अच्छा मिलता है। मार्केट में काली गाजर का भाव 40 से 50 रुपए प्रति किलो तक मिलता है। अगर किसान भाई काली गाजर की खेती एक हेक्टेयर क्षेत्र में लगाते हैं, तो इसके उत्पादन से 4 से 5 लाख रुपए की कमाई आसानी से कर सकते हैं। 

काली गाजर की ऐसे करें बुवाई

लाल गाजर की तरह ही काली गाजर की खेती भी रबी तथा खरीफ दोनों ही मौसम में लगाई जाती है। इसमें रबी मौसम के लिए काली गाजर की बुवाई अगस्त से नवम्बर महीने के अंत तक और खरीफ के लिए जून से जूलाई महीने के अंत तक बुवाई करना सही माना गया है। इसकी खेती के लिए 15 से 25 डिग्री के तापमान को सही माना गया है। काली गाजर के अच्छे उत्पादन के लिए इसकी खेती बलुई दोमट वाली भूमि पर ही करनी चाहिए। भूमि उचित जल निकासी वाली और पर्याप्त जीवश्म तत्वों से भरपूर होनी चाहिए। मिट्‌टी का पी.एच मान 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए। काली गाजर की बुवाई करने से पहले खेत को देसी हल या कल्टीवेटर की मदद से कई बार अच्छी तरह से जुताई कर लें। इसके बाद खेत में वर्मी कंपोस्ट या गोबर की खाद डाल कर रोटवेटर की मदद से मिट्टी को भूरभूरी बनाकर खेत को समतल कर लें। इसके बाद तैयार खेत में 30 से 45 सेंटीमीटर का फासला रखते हुए क्यारी बनाकर बीजों की बुवाई कर दें। एक हेक्टेयर क्षेत्र में काली गाजर की फसल लगाने के लिए आपको 5 से 6 किलोग्राम तक बीज की आवश्यकता होगी। बीजों की बुवाई करने से एक दिन पहले बीजों को पानी में भीगो कर रखना चाहिए। इस तरह से बोए गए बीजों का अंकुरण 10 से 12 दिन बाद अच्छे से हो जाता है।

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