किसान भाईयों आज हम जिस फसल के बारे में बात करने जा रहे हैं, वो किनोवा की फसल है। दक्षिण अमेरिका को किनोवा का जन्मदाता कहा जाता है। किनोवा एक स्पेनिश शब्द है। यह बथुआ कुल (Chenopodiaceae) का सदस्य है। जिसका वानस्पतिक नाम चिनोपोडियम किन्वा (Chenopodium Quinoa) है। इसका बीज अनाज जैसे चावल, गेहूं, आदि की भांति प्रयोग में लाया जाता है। क्योंकि यह घास कुल का सदस्य नहीं है इसलिए इसे कूट अनाज (Pseudocereal) की श्रेणी में रखा गया है जिसमें वक व्हीट, चौलाई आदि को भी रखा गया है। खाद्यान्नों से अधिक पौष्टिक और खाद्यान्नों जैसा उपयोग, इसलिए इसे महाअनाज कहा जाना चाहिए। बथुआ, पालक व चुकंदर इसके सगे सम्बन्धी पौधे है। गेहूं, चना, सरसों के खेतो में स्वतः उग आता है और यदा कदा कुछ समझदार इसे भाजी या भोज्य पदार्थ के रूप में इस्तेमाल कर लेते है। किनोवा की खेती (कूट अनाज) की खेती करने से पहले आपको इसके बारे में समझना होगा।
आज के आधुनिकता और फसल चक्र की परम्परागत खेती में किसान भाई इसे समस्यामूलक पौधा (खरपतवार ) मानकार इसे जडमूल से नष्ट करने में लगे है। आप की जानकारी के लिए बता दें कि किनोवा एक अद्भूत फसल के चमत्कारिक गुणों से भरपूर ’सुपर फूड या सुपर ग्रेन’ है। किनोवा की खेती किसान भाई कम खर्च पर तैयार करके अधिक से अधिक मुनाफा कमा सकते है। आप धान, गेहूं और मोटे अनाजों की खेती के परम्परागत दायरे से बाहर निकलकर किनोवा की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। यदि आप भी किनोवा की खेती कर अच्छा लाभ कमाना चाहते है, तो ट्रैक्टरगुरु की इस पोस्ट में आपकों किनोवा की खेती से जुड़ी सभी जानकारी देने जा रहे हैं। इस पोस्ट से आपको किनोवा की खेती एवं किनोवा की मंडी भाव की जानकारी प्राप्त होगी।
जैसा कि हम आपको ऊपर ही बात चुके हैं कि किनोवा बथुआ, पालक व चुकंदर परिवार से सम्बन्धी पौधे है। इसके पौधे हरा, लाल या बैंगनी रंग के होते है। इसका बीज लाल, सफेद और गुलाबी रंग के आकार में काफी छोटे होते हैं, जिन्हे खाने में कई तरह से उपयोग में लाया जाता है। किनोवा के बीजों में कई तरह के पोषक तत्व जैसे प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा रेशा, विटामिन और खनिज तत्व में केल्सियम, मैग्रीशियम, लोहा, जिंक, मेंगनीज आदि प्रचुर मात्रा में मौजूद होते हैं। जिसके सेवन से शरीर को आवश्यक कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन, खनिज और रेशा संतुलित मात्रा में प्राप्त हो जाते हैं। किनोवा में औषधियों गुण भी पाये जाते हैं, जिससे इसका सेवन डायबिटीज, कैंसर, हाई ब्लड प्रेशर और हृदय रोग आदि से जुडी बीमारियों में किया जाता है। सरल भाषा में किनोवा को अद्भुत पोषक तत्वों से भरपूर अद्भुत चमत्कारिक सुपर फूड या सुपर ग्रेन भी कह सकते हैं।
किनोवा ’सुपर फूड या सुपर ग्रेन’ कम खर्च पर तैयार होने वाली कुट अनाज की फसल है। इसका उपयोग खाद्य पदार्थ में गेंहूं, चावल, ज्वार, मक्का, बाजरा, सूजी और मोटे अनाजों की तरह ही खाने में किया जाता है। इसमें अन्य खाद्य फसलों की भॉति अधिक मात्रा में पोषक तत्व पाये जाते हैं। इस खाद्य फसल को संपूर्ण प्रोटीन में धनी के कारण किनोवा/क्विनवा को भविष्य का बेहतर अनाज (सुपर ग्रेन) माना जा रहा है। किनोवा को चावल की भांति उबाल कर खाया जा सकता है। इसके दानो से आटा व दलिया बनाया जाता है । इसके आटा से स्वादिष्ट नाश्ता, सूप, पूरी, खीर, लड्डू आदि विविध मीठे और नमकीन व्यंजन बनाये जा सकते हैं। गेहूँ व मक्का के आटे के साथ क्विनवा का आटा मिलाकर ब्रेड, बिस्किट, पास्ता आदि बनाये जाते है। पेरू और बोल्वीया में किन्वा फ्लेक्स व भुने दानो का व्यवसायिक उत्पादन किया जाता है। ग्लूटिन मुक्त यह इतना पौष्टिक खाद्यान्न है कि अंतरिक्ष अभियान के दौरान आदर्श खाद्य के रूप में इसे इस्तेमाल किया जा सकता है। भारत में गेहूँ के आटे की पौष्टिकता बढ़ाने में इसके दानो का उपयोग किया जा सकता है जिससे कुपोषण की समस्या से निजात मिल सकती है।
दक्षिण अमेरिका की एन्डीज पहाडि़यो पर आदिकाल से किनोवा का एक वर्षीय पौधा उगाया जा रहा है। किनोवा दक्षिणी अमेरिका की एन्डीज पहाडि़यों - मेक्सिकों, चायल, पेरू, इक्काडोर और बोल्वीया में अधिक प्रचलित है। सभी खूबियों से भरपूर यह कूट अनाज अब एन्डीज की पहाड़ों से निकलकर उत्तरी अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका, चीन, जापान और भारत में भी सुपर बाजारों में उपस्थिति दर्ज करा चुकी है और अमीर लोगो की पहली पसंद बनती जा रही है। अब इन देशो में इसकी खेती को विस्तारित करने प्रयोग हो रहे हैं। विश्व में इसकी खेती आस्ट्रेलिया, इंग्लैड, बोलिविया, पेरू, चाइना आदि देशों में व्यावसायिक रूप में नकदी फसल के लिए की जाती है। खाद्य एवं कृषि संगठन के अनुसार संसार में इसे 86,303 हैक्टर में उगाया जा रहा है जिससे 71,419 मेट्रिक टन पैदावार हो रही है। अब इसके क्षेत्रफल में तेजी से बढ़त हो रही है।
भारत में किनोवा की खेती मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश में शुरू की गई थी। आंध्र प्रदेश द्वारा हाल ही के एक प्रोजेक्ट “प्रोजेक्ट अनंथा” में अनन्तपुर जिले के सूखे इलाके में वैकल्पिक फसल के रूप में, कम पानी की खपत के साथ, किनोवा को उगाने की पहल की गई थी। भारत का बड़ा भू-भाग सूखाग्रस्त है तथा इन इलाको में खेती किसानी वर्षा पर निर्भर है। इन क्षेत्रों की अधिकांश जनसंख्या भूख, गरीबी और कुपोषण की शिकार है। सीमित पानी और न्यूनतम खर्च में अधिकतम उत्पादन और आमदनी देने वाली फसल प्राप्त हो जाने पर यहाँ के लोगों का सामाजिक-आर्थिक जीवन समोन्नत हो सकता है। रबी के मौसम में, दक्षिणी राजस्थान के भीलवाड़ा, डूंगरपुर, चित्तौड़गढ़ आदि जिलों में किनोवा की खेती होती है।
किनोवा को संपूर्ण प्रोटीन में धनी होने के कारण आज एक सुपरफूड के रूप में जाना जाता है क्योंकि इसमें प्रोटीन (14-18 प्रतिशत की उच्च प्रोटीन), लोहा, रेशा, ई और बी विटामिन, मैग्नीशियम, पोटेशियम, कैल्शियम और फॉस्फोरस जैसे पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। इसके 100 ग्राम दानों में 14 से 18 ग्राम उच्च गुणवत्तायुक्त प्रोटीन, 44 से 77 प्रतिशत एल्ब्यूमिन व ग्लोब्यूलिन, 4.1 प्रतिशत रेशा पाये जाने के कारण ये खून के कोलेस्ट्राल, शर्करा को नियंत्रित करने में सहायक होता है। इसके अतिरिक्त इसके अनाज में वसा की मात्रा बहुत कम 100 ग्राम दानों में 4.486 ग्राम होती है। किनोवा की 120 कैलोरी में सिर्फ 2 प्रतिशत वसा, 7 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट, 8 प्रतिशत प्रोटीन व लोहा, 11 प्रतिशत रेसा, 16 प्रतिशत मैग्रेशियम तथा 4 प्रतिशत पोटेशिमय मिलता है। इस पौष्टिक पौधे के बीज और पत्ते दोनों खाये जा सकते हैं। जिन लोगों को अनाज नहीं पचता, उन्हें विशेषज्ञ किनोवा का सेवन करने की सलाह देते हैं।
किनोवा की खेती लगभग सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है। इसकी फसल के लिए किसी खास तरह की मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती है, किन्तु भूमि अच्छी जल निकासी वाली जरूर हो। इसकी खेती में भूमि का पीएच मान सामान्य होना चाहिए । भारत की जलवायु किनोवा की खेती के लिए काफी उपयुक्त होती है। भारत में किनोवा की खेती रबी की फसल के साथ उगाई जाती है।
भारत में किनोवा की खेती रबी सीजन के फसलों के साथ की जाती है। इसकी खेती हिमालयीन क्षेत्र से लेकर उत्तर मैदानी भागो में सफलता पूर्वक की जा सकती है। सर्दियों का मौसम इसकी फसल के लिए उचित माना जाता है। इसके पौधे सर्दियों में गिरने वाले पाले को भी आसानी से सहन कर लेते है। इसके बीजो को अंकुरित होने के लिए 18 से 22 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है। इसके बीज अधिकतम 35 डिग्री तापमान को ही सहन कर सकते है ।
किनोवा(Quinoa) मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते है :
सफेद किनोवा (White Quinoa)
काला किनोवा (Black Quinoa)
लाल किनोवा (Rde Quinoa)
भारत की जलवायु के हिसाब से इसकी खेती के लिए बीजों की बुआई नवम्बर से मार्च का समय उपयुक्त है। लेकिन कई जगहों पर इसकी खेती जून से जुलाई के महीनों में भी की जा सकती है।
किनोवा की बीजों की बुवाई ड्रिल विधि द्वारा की जाती है। इसके लिए खेत में पंक्तियों को तैयार कर लिया जाता है। इन पंक्तियों को तैयार करते समय प्रत्येक पंक्ति के मध्य एक फीट की दूरी रखी जाती है। इसके बाद पंक्तियो में बीजों की रोपाई 15 सेमी. की दूरी रखते हुए की जाती है। इसके अलावा इसके बीजों की बुवाई छिड़काव विधि द्वारा भी की जा सकती है। छिड़काव विधि द्वारा इसके बीज को रेत या राख मिलकर छिड़काव करें। छिड़काव विधि में इसके बीजों की अधिक आवश्यकता नहीं होती है।
किनोवा की खेती के लिए प्रति एकड़ लगभग 1 से 1.5 किलो बीज की आवश्यकता होती है। इसके बीजों को बोने से पहले इन बीजों को उपचारित जरूर करें। बीज उपचारित होने पर अंकुरण के समय कोई परेशानी नही होती और फसल भी रोग मुक्त होती है। किनोवा की बुआई से पहले इसके बीज को गाय के मूत्र में 24 घंटे के लिए डालकर इसे उपचारित करें।
उर्वरको की अधिक आवश्यकता नहीं होती है । किसान भाई खेत की मिट्टी की जाँच कराके खेत में खाद एवं उर्वरक का प्रयोग करें। यदि मिट्टी की जाँच ना हो सके तो उस स्थिति में प्रति एकड़ खाद एवं उर्वरक का प्रयोग करें। किनोवा की खेती से अच्छी उपज के लिए कम्पोस्ट या गोबर की सड़ी खाद 3 से 5 टन प्रति एकड़ की दर से, खेत की आखिरी जुताई के समय डालें। इसके अलावा रासायनिक खाद के रूप में 30 किलो डीएपी (DAP) प्रति एकड़ की दर से डालें।
किनोवा की बुआई के लगभग 100 से 150 दिन बाद फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसके फसल की ऊंचाई 4 से 6 फिट तक होती है और इसको सरसों की तरह काट कर थ्रेसर से इसका दाना निकाल लिया जाता है। किनोवा की एक एकड़ फसल से लगभग 18 से 20 क्विंटल का उत्पादन प्राप्त हो जाता है। इस उपज को हैदराबाद के सुपर-बजारों में 1500 रूपये प्रति किलों की दर से बेजा जा रहा है। आप मंडी एजेंट्स के जरिए या सीधे मंडी में जाकर भी खरीदारों से संपर्क कर अपना माल बेच सकते है।
ट्रैक्टरगुरु आपको अपडेट रखने के लिए हर माह महिंद्रा ट्रैक्टर व सोनालिका ट्रैक्टर कंपनियों सहित अन्य ट्रैक्टर कंपनियों की मासिक सेल्स रिपोर्ट प्रकाशित करता है। ट्रैक्टर्स सेल्स रिपोर्ट में ट्रैक्टर की थोक व खुदरा बिक्री की राज्यवार, जिलेवार, एचपी के अनुसार जानकारी दी जाती है। साथ ही ट्रैक्टरगुरु आपको सेल्स रिपोर्ट की मासिक सदस्यता भी प्रदान करता है। अगर आप मासिक सदस्यता प्राप्त करना चाहते हैं तो हमसे संपर्क करें।
Website - TractorGuru.in
Instagram - https://bit.ly/3wcqzqM
FaceBook - https://bit.ly/3KUyG0y