Improved Mustard Variety : खरीफ फसलों की कटाई का काम शुरू होने वाला है, जिसके बाद किसान रबी फसलों की बुवाई की तैयारी में जुट जाएंगे। इस दौरान किसानों द्वारा गेहूं, जौ, चना और सरसों समेत कई तरह की फसलों की बुवाई की जाएगी। इस बीच रबी सीजन में तिलहन फसल सरसों की खेती करने वाले किसानों के लिए एक बड़ी खबर है। जो किसान सरसों की अगेती बुवाई करने के लिए विभिन्न किस्मों के उन्नत एवं प्रमाणित बीज की तलाश में लगे हुए हैं, उन्हें सरसों अनुसंधान निदेशालय सेवर, भरतपुर (ICAR-DRMR) संस्थान द्वारा विकसित किए गए रेपसीड- सरसों की उन्नत किस्मों के बीज उचित और अनुदानित दामों में उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इच्छुक किसान यहां संपर्क कर अपनी जरूरतों के अनुसार बीज की खरीदी कर सकते हैं। आइए जानते है कि किसानों को किन सरसों किस्मों के बीज उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
सरसों भारत की प्रमुख तिलहनी फसल है और यह देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। किसानों द्वारा सरसों की बुवाई अक्टूबर के पहले हफ्ते से शुरू कर दी जाती है। अधिकतर किसानों द्वारा सरसों के बीज की बुवाई देशी हल की मदद से 5-6 सेंटीमीटर गहरे कूडों में की जाती है। बुवाई के दौरान कतार से कतार की दूरी 45 सेंटीमीटर और पौधों से पौधों की दूरी 20 सेंटीमीटर रखी जाती है। सरसों उत्पादन और क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान देश में प्रथम स्थान रखता है। भारत में सरसों के कुल उत्पादन में राजस्थान की हिस्सेदारी 46.06 प्रतिशत है। राजस्थान में सरसों की खेती किसानों के बीच काफी लोकप्रिय है, जिसको देखते हुए सरसों अनुसंधान निदेशालय सेवर भरतपुर में 13 सितंबर से 28 सितंबर 2024 तक बीज पखवाड़े का आयोजन किया जा रहा है। इसमें किसानों को विभिन्न सरसों के उन्नत बीज अनुदान पर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। किसानों को उन्नत किस्म के यह बीज “पहले आओ पहले पाओ” के आधार पर दिए जा रहे हैं।
आईसीएआर-डीआरएमआर संस्थान भरतपुर द्वारा गिरिराज DRMRIJ-31, DRMR 150-35, DRMR 1165-40, NRCHB 101, राधिका DRMR 2017-15, बृजराज DRMRIC 16-38 सरसों की उन्नत किस्मों के बीज दिए जा रहे हैं। इच्छुक किसान जो इन प्रमाणित किस्मों के बीजों को लेना चाहते हैं वे प्रात: 10.00 बजे से शाम 5.00 बजे तक सरसों अनुसंधान निदेशालय सेवर संस्थान से प्राप्त कर सकते हैं। कृषक को बीज प्राप्त करने के लिए अपना आधार कार्ड अपने साथ लाना अनिवार्य है। बिना इसके बीज प्रदान नहीं किया जाएगा। इसके अलावा किसान अधिक जानकारी के लिए सुबह 10.00 से शाम 5.00 बजे तक मोबाइल नंबर 7597004107 पर संपर्क भी कर सकते हैं।
गिरिराज DRMRIJ-31 सरसों फसल की एक उन्नत और प्रमाणित किस्म है। सरसों की इस वैरायटी को वर्ष 2013-14 में अधिसूचित किया गया था। इसे दिल्ली, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, पंजाब और राजस्थान के कुछ अलग-अलग हिस्सों के लिए अनुशंसित किया गया है। इस सरसों किस्म में तेल की मात्रा 39-42.6 प्रतिशत तक की होती है। इसकी पैदावार क्षमता 23-28 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की है।
यह भी सरसों की उन्नत किस्म है। सरसों अनुसंधान निदेशालय सेवर, भरतपुर (ICAR-DRMR) संस्थान द्वारा सरसों की इस किस्म को वर्ष 2020 में स्पॉन्सर किया गया था। इस किस्म को बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, असम, छत्तीसगढ़ और मणिपुर के वर्षा आधारित क्षेत्रों में खेती करने के लिए अनुशंसित की गई है। इन राज्यों के किसान सरसों की इस किस्म की खेती धान की कटाई के पश्चात करते हैं। इस सरसों की पैदावार क्षमता 18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। इसमें तेल की मात्रा 39.8 प्रतिशत तक होती है।
आईसीएआर-डीआरएमआर संस्थान भरतपुर द्वारा, सरसों की यह किस्म 2020 में अधिसूचित की गई थी। सरसों की यह किस्म राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और जम्मू कश्मीर के लिए अनुशंसित की गई है। इसकी उत्पादन क्षमता 22-26 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। इसके बीजों में तेल की मात्रा 40 से 42.5 प्रतिशत तक होती है। यह सरसों किस्म 135-140 दिन में तैयार हो जाती है। सिंचित और असिंचित दोनों ही स्थितियों में सरसों की यह किस्म बेहतर पैदावार देती है।
आईसीएआर-डीआरएमआर द्वारा विकसित एनआरसीएचबी 101, पीली सरसों की संकर किस्म है। एनआरसीएचबी 101 (NRCHB 101), सरसों किस्म को 2008-09 में अधिसूचित की किया गया था। यह सरसों किस्म उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, असम, जेके, छत्तीसगढ़ और मणिपुर के लिए अनुशंसित की गई है। सिंचित और वर्षा आधारित स्थिति के लिए सरसों की यह किस्म उपयुक्त है। सरसों की इस किस्म की औसत बीज उत्पादन क्षमता 1382-1491 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है। इसमें तेल की मात्रा 34.6 से 42.1 प्रतिशत तक होती है। इसकी परिपक्वता अवधि 105-135 दिन की है।
सरसों की इस किस्म की पहचान वर्ष 2021 में की गई थी। इसे दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, जम्मू कश्मीर और राजस्थान के कुछ हिस्सों के लिए स्पॉन्सर किया गया है। सिंचित स्थिति में देर से बुआई के लिए सरसों की यह किस्म बेहतर है। DRMR 2017-15 सरसों किस्म की औसत उत्पादन क्षमता 1788 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है। इसके बीज में तेल की मात्रा 40.7 प्रतिशत तक होती है। इस किस्म की परिपक्वता अवधि 120 से 150 दिन की है। सरसों की इस किस्म में अल्टरनेरिया पत्ती झुलसा, सफेद जंग, तना सड़न, कोमल फफूंद और चूर्णी फफूंद और एफिड का प्रकोप भी कम है।
भारतीय सरसों डीआरएमआरआईसी 16-38 (बृजराज) किस्म 2021 में अधिसूचित की गई थी। यह किस्म दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, जम्मू कश्मीर और राजस्थान के कुछ भाग के लिए अनुशंसित की गई है। सिंचित स्थितियों के तहत देर से बुवाई के लिए उपयुक्त है। इसके पौधे की ऊंचाई 188 से 197 सेमी और बीज आकार 2.9 से 5.0 g है। इस किस्म की परिपक्वता अवधि 120 से 149 दिन की है और इसमें तेल की मात्रा 37.6 से 40.9 प्रतिशत तक होती है। सरसों की डीआरएमआरआईसी 16-38 किस्म की उत्पादन क्षमता 1681 से 1801 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है। इसमें अल्टरनेरिया पत्ती झुलसा, सफेद जंग, तना सड़न, कोमल फफूंद और चूर्णी फफूंद कम है और एफिड का प्रकोप भी कम है।
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