काले गेहूं की खेती - 6000 रुपए क्विंटल बिकता है काला गेहूं, होगा अधिक मुनाफा

पोस्ट -13 अक्टूबर 2022 शेयर पोस्ट

जानें, कैसे की जाती है काले गेहूं की खेती और काले गेहूं से जुड़ी मुख्य बातें

आज के समय में किसान अधिक आय प्राप्त करने के लिए खेती में नए-नए प्रयोग कर रहे हैं। इसके लिए अलग-अलग तरह की फसलों के लिए नई किस्मों की खेती की जा रही है। हमारे देश में किसानों का रूझान अब सामान्य गेहूं की तुलना में काले गेहूं के प्रति बढ़ता ही जा रहा है। इसका सबसे बड़ा यह है कि काले गेहूं की बाजार मांग अधिक है और पिछले कुछ समय से इसका निर्यात भी काफी बढ़ा है। इससे किसानों का ध्यान अब काले गेहूं की खेती पर ज्यादा है। उत्तर प्रदेश के किसान काले गेहूं की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।

काला गेहूं भी सामान्य गेहूं के आकार का होता है, पर इसमें कई औषधीय गुण मौजूद है इसीलिए बाजार में काले गेहूं की मांग बढ़ती ही जा रही हैं। काले गेहूं में पाए जाने वाला एंथ्रोसाइनीन एक नेचुरल एंटी ऑक्सीडेंट व एंटीबायोटिक है, जो हार्ट अटैक, कैंसर,  शुगर,  मानसिक तनाव, घुटनों का दर्द, एनीमिया जैसे रोगों में काफी कारगर होता है। काला गेहूं रंग व स्वाद में सामान्य गेहूं से अलग होता हैं, लेकिन काला गेहूं बेहद पौष्टिक होते हैं। किसान भाइयों आज हम ट्रैक्टर गुरु की इस पोस्ट के माध्यम से काले गेहूं की खेती से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों पर विस्तार से चर्चा करेंगे। 

काले गेहूं की विशेषताएं

सामान्य गेहूं की तुलना में काले गेहूं में निम्नलिखित विशेषताएं होती हैं:-

  • साधारण गेहूं की तुलना में काला गेहूं कई गुना ज्यादा पौष्टिक होता हैं।

  • शुगर के मरीजों के लिए काला गेहूं बहुत फायदेमंद है, क्योंकि ये सामान्य गेहूं के मुकाबले जल्दी पच जाता हैं। 

  • काले गेहूं की रोटी खाने से दिल की बीमारियों के होने का खतरा कम होता है, क्योंकि काले गेहूं में ट्राइग्लिसराइड जैसे तत्व मौजूद होते हैं।

  • काले गेहूं की रोटी खाने से व्यक्ति का पाचन तंत्र  सही रहता है।

  • काले गेहूं में पाया जाने वाला एंथ्रोसाइनीन एक नेचुरल एंटी ऑक्सीडेंट व एंटीबायोटिक हैं। जो हमारे शरीर को कई प्रकार के रोगों से बचाता हैं।

नाबी ने विकसित की हैं काले गेहूं की नई किस्म

7 साल के लंबे रिसर्च के बाद काले गेहूं की इस नई किस्म को पंजाब के मोहाली स्थित नेशनल एग्री फूड बायोटेक्नॉलजी इंस्टीट्यूट (नाबी) ने विकसित किया है। नाबी के पास इस काले गेहूं का पेटेंट भी है। इस गेहूं की खास बात यह है कि इसका रंग काला है। इसकी बालियां भी सामान्य गेहूं जैसी शुरुआत में हरी होती हैं, गेहूं के पकने पर दानों का रंग काला हो जाता है। 

काले गेहूं की खेती करते समय ध्यान रखनें योग्य बातें

काले गेहूं की खेती करने के लिए हमें कुछ बातों का ध्यान रखना पड़ता हैं। वो बाते निम्नलिखित हैं:-

काले गेहूं की खेती : उपयुक्त मिट्टी

काले गेहूं की अच्छी उपज पा ने के लिए मिट्टी का पीएच मान 7 से 8 के मध्य होना चाहिए व समतल एवं अच्छी जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त रहती है, लेकिन यह लवणीय व बंजर भूमि नहीं होनी चाहिए।

काले गेहूं की खेती : खेत की तैयारी

काले गेहूं की खेती करने के लिए सबसे पहले खेत को मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई करनी चाहिए, इसके बाद दो से तीन जुताई देशी हल या कल्टीवेटर से करना चाहिए, इसकी जुताई करने के बाद खेत में नमी रखने के लिए व खेत समतल करने के लिए पाटा लगाना अति आवश्यक है। पाटा लगाने से सिंचाई करने में समय व पानी दोनों की बचत होती है।

काले गेहूं की खेती : बुवाई का तरीका

काले गेहूं की बुवाई सीडड्रिल मशीन से करने पर खाद एवं बीज की बचत की जा सकती है। काले गेहूं का उत्पादन सामान्य गेहूं की तरह ही होता है। किसान भाई अपने निकट के बाजार से इसके बीज खरीद कर बुवाई कर सकते हैं। पंक्तियों में बुवाई करने पर सामान्य दशा में 100 किलोग्राम तथा मोटा दाना 125 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर की जरुरत होती है। काले गेहूं की छिटकाव विधि से बुवाई में सामान्य दाना 125 किलोग्राम, मोटा-दाना 150 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर प्रयोग करना चाहिए। बुवाई से पहले बीजों का जमाव प्रतिशत अवश्य देख लें। राजकीय अनुसंधान केन्द्रों पर यह सुविधा नि:शुल्क उपलब्ध है। यदि बीज जमाव प्रतिशत कम हो तो उसी के अनुसार बीज दर बढ़ा लें तथा यदि बीज प्रमाणित न हो तो उसका शोधन अवश्य करें। इसके लिए बीजों का कार्बाक्सिन, एजेटौवैक्टर व पी.एस.वी. से उपचारित कर बुवाई करना चाहिए। कम सिंचाई साधन उपलब्धता वाले क्षेत्रों में रेज्ड वेड विधि से बुवाई करने पर सामान्य दशा में 75 किलोग्राम तथा मोटा दाना 100 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए।

काले गेहूं की खेती : खाद व उर्वरक प्रबंधन

काले गेहूं की बुवाई करने से पहले खेत की तैयारी करते समय जिंक, डीएपी खाद व यूरिया खेत में डालें । बुवाई करते समय 50 किलो डीएपी, 45 किलो यूरिया, 20 किलो म्यूरेट पोटाश तथा 10 किलो जिंक सल्फेट प्रति एकड़ डालना चाहिए। वहीं फसल में पहली सिंचाई करने के बाद 60 किलो यूरिया डाल दें। 

काले गेहूं की खेती : सिंचाई

काले गेहूं की फसल की पहली सिंचाई गेहूं की बुवाई से तीन हफ्ते बाद करें। इसके बाद फुटाव के समय, गांठें बनते समय, बालियां निकलने से पहले और दाना पकते समय सिंचाई करना आवश्यक हैं।

काले गेहूं की खेती : निराई-गुडाई

काले गेहूं की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए 20 से 25 दिन में पहली निंराई करें तथा खरपतवार नियंत्रण रासायनिक विधि से करने के लिए पेन्डीमेथीलिन 2 लीटर प्रति हेक्टेयर में 150 से 200 लीटर पानी में मिलाकर बुवाई के 2 से 5 दिन के बाद डालें।

काले गेहूं की खेती : कटाई व उत्पादन

कटाई : जब गेहूं के दाने पक कर सख्त हो जाएं और उनमें नमी का अंश 20-25 प्रतिशत तक रह जाए तब इसकी फसल की कटाई करनी चाहिए। 

उत्पादन : काले गेहूं का उत्पादन भी सामान्य गेहूं की तरह ही होता है। काले गेहूं की उपज 10 से 12 क्विंटल/ प्रति बीघा होती है। सामान्य गेहूं की भी औसत उपज एक बीघा में 10 से 12 क्विंटल होता है।

काले गेहूं से कितनी हो सकती है कमाई

काले गेहूं का मार्केट में 4,000 से 6,000 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक के भाव पर बिकता है, जो कि सामान्य गेहूं की फसल से दोगुना है।इस तरह किसान भाई काले गेहूं की खेती से 1 बीघा खेत में 40,000 से 60,000 हजार रुपये तक आराम से कमा सकते हैं।

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