Top 3 Harvesting Agricultural Machines Kharif Crops : देश में खरीफ फसलों की कटाई का काम शुरू हो चुका है। किसान धान समेत अन्य खरीफ फसलों की कटाई, मड़ाई और ओसाई की तैयारी में जुट गए हैं। इस दौरान किसानों द्वारा कई तरह की कृषि मशीनों एवं यंत्रों की इस्तेमाल किया जा रहा है। इस बार अच्छे मानसून के चलते उत्पादक राज्यों में बंपर फसल पैदावार देखी जा रही है, जिसके चलते किसानों को कटाई के लिए समय से मजदूर तक भी नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में काश्तकारों द्वारा ट्रैक्टर चलित रीपर कम बाइंडर, स्वचालित रीपर कम बाइंडर और स्वचालित कंबाइन हार्वेस्टर जैसे टॉप 3 कृषि यंत्रों के उपयोग से फसल कटाई की जा रही है, जो उनके लिए काफी फायदेमंद साबित हो रही है। इन कटाई यंत्रों से किसान को कम मजदूर लागत में फसल कटाई मिल रही है और समय की भी बचत हो रही है। बाजारों में विभिन्न कंपनियों के कई मॉडल मौजूद है, जिन पर राज्य सरकार द्वारा अनुदान लाभ किसानों को दिया जाता है।
किसानों को सब्सिडी पर कृषि यंत्र उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकारें कई तरह की अनुदान योजनाएं लागू कर किसानों से आवेदन आमंत्रित करती है। इन योजनाओं में महिला तथा पुरुष वर्ग, जाति वर्ग एवं जोत श्रेणी के अनुसार किसानों को अलग-अलग सब्सिडी दिए जाने का प्रावधान है। इसमें राज्य सरकार द्वारा किसानों को अपने प्रावधानों के अनुरूप मांग के अनुसार श्रेणी के यंत्रों हेतु अनुदान उपलब्ध कराया जाता है। कृषि यंत्र अनुदान योजनाओं की अधिक जानकारी के लिए किसान अपने जिला के कृषि विभाग से संपर्क कर सकते हैं।
फिलहाल, खरीफ फसलों की कटाई के मौसम को देखते हुए मध्यप्रदेश सरकार ने कुछ कृषि यंत्रों के लिए लक्ष्य जारी किए है। इनमें ई-कृषि यंत्र अनुदान योजना के अंगतर्गत ट्रैक्टर चलित रीपर कम बाइंडर, स्वचालित रीपर कम बाइंडर, रीपर (स्वचालित/ ट्रैक्टर चलित) सहित अन्य कृषि यंत्रों पर 40 से 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाती है। किसान भाई जो भी कृषि यंत्र अनुदान पर लेना चाहते हैं वे किसान ई-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर उपलब्ध सब्सिडी कैलकुलेटर पर कृषि यंत्र की लागत के अनुसार उनको मिलने वाली सब्सिडी की जानकारी देख सकते हैं। इन कृषि यंत्रों पर सब्सिडी प्राप्त करने के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। ऐसे में जो किसान आवेदन करना चाहते हैं वे किसान 29 सितंबर 2024 तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
भारत में खरीफ फसलों की कटाई का काम शुरू किया जा चुका है। किसान कई प्रकार की हार्वेस्टिंग (कटाई) कृषि यंत्रों के प्रयोग से फसलों की कटाई कर रहे हैं। वर्तमान में फसलों की कटाई के लिए किसान प्रमुखता से स्वचालित रीपर कम बाइंडर मशीन का उपयोग कर रहे हैं, जो उनके लिए काफी फायदेमंद साबित हो रही है। छोटे और मध्यम साइज के खेतों के लिए यह कृषि यंत्र बेहद उपयोगी है। इसका उपयोग सबसे ज्यादा छोटे किसानों द्वारा धान समेत गेहूं, जई, जौ और अन्य अनाज फसलों की कटाई के लिए किया जाता है। यह रीपर मशीन उन जगहों के लिए बहुत उपयोगी होती है, जहां बड़े कंबाइन हार्वेस्टर का प्रयोग नहीं किया जा सकता।
स्वचालित रीपर कम बाइंडर मशीन शत- प्रतिशत भूसे की कटाई को सुनिश्चित करती है और अत्यंत कम लागत पर नगण्य अनाज हानि के साथ कार्य संपन्न करती है। रीपर कम बाइंडर मशीन में 10.2 हॉर्सपावर एयर कूल्ड डीजल इंजन, 4 फॉरवर्ड और 1 रिवर्स गियर लगा हुआ होता। इस मशीन का वजन करीब 400 किलोग्राम के आसपास हो सकता है। इस मशीन की फसल कटाई की चौड़ाई 12 मीटर, कटाई की ऊंचाई 3 से 5 सेंटीमीटर तक है। इस रीपर मशीन से 1 घंटे में एक एकड़ खेत में फसल की कटाई और बंडल बांधने का काम किया जा सकता है, जिसमें मात्र एक लीटर ईंधन की खपत होती है। मार्केट में केएस ग्रुप, करतार, बख्सिश, लैंडफोर्स, दशमेश, मलकित, वीएसटी शक्ति, खेदूत, महिंद्रा, न्यू हॉलैंड ब्रांड के विभिन्न मॉडल उपलब्ध है, जिनकी कीमत करीब 50 हजार से 2 लाख रुपए के बीच हो सकती है।
ट्रैक्टर चलित रीपर कम बाइंडर (Tractor Operated Reaper Cum Binder) मशीन को ट्रैक्टर से जोड़कर चलाया जाता है। इस रीपर कम बाइंडर को साइड में या ट्रैक्टर के आगे लगाकर चलाया जा सकता है। इसे 35 एचपी पावर से ऊपर के ट्रैक्टर से अटैच कर चलाया जाता है। ट्रैक्टर चलित रीपर कम बाइंडर से 45 मिनट में एक एकड़ क्षेत्र में फसल की कटाई की जा सकती है, जिसमें एक लीटर डीजल की खपत हो सकती है। किसान इस मशीन का प्रयोग गेहूं, धान, जौ, जेई और 85 -110 सेमी की ऊंचाई वाली अन्य फसलों की कटाई के लिए कर सकते हैं। इस मशीन खास विशेषता यह है कि यह फसलों की कटाई के साथ-साथ उनके बंडल भी बांधती है, जिससे किसान को अलग से बंडल बांधने के लिए मजदूर लगाने की आवश्यकता नहीं होती, जिससे आसानी से कम समय और श्रम में फसल की कटाई और उनके बंडल बनाने का काम किया जा सकता है।
ट्रैक्टर चलित रीपर कम बाइंडर मशीन पर राज्य सरकार किसानों को जाति वर्ग के अनुसार 50 प्रतिशत तक सब्सिडी देती है। इसके तहत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अत्यंत पिछड़ा वर्ग के किसानों को इस रीपर कम बाइंडर मशीन की लागत पर 50 प्रतिशत या अधिकतम 1,50,000 रुपए की सब्सिडी मिलती है, जबकि सामान्य वर्ग के किसानों को लागत का 40 प्रतिशत या अधिकतम 1,20,000 रुपए की सब्सिडी दी जाती है। अधिक जानकारी के लिए किसान सरकारी अवकाश के दिनों को छोड़कर अपने जिले के कृषि कार्यालय में कभी भी संपर्क कर सकते हैं। ट्रैक्टर चालित रीपर कम बाइंडर की कीमत बाजार में लगभग 2,52,000 रुपए है, जिस पर राज्य सरकार की ओर से 50 प्रतिशत सब्सिडी लाभ मिलता है, इस प्रकार यह मशीन किसान को आधी कीमत पर उपलब्ध हो सकती है। अलग-अलग ब्रांड के ट्रैक्टर चालित रीपर कम बाइंडर की कीमत अलग-अलग हो सकती है।
बड़े काश्तकारों द्वारा बड़े-बड़े खेतों में खड़ी फसलों की कटाई के लिए इस मशीन का उपयोग किया जाता है। स्व-चालित कंबाइन हार्वेस्टर मशीन (Automatic Combine Harvester) ने कृषि में किसानों की लागत को कम करने और फसलों की कटाई के लिए समय पर मजदूर न मिलने की समस्या को काफी हद तक हल किया है। इस मशीन ने फसल उत्पादन और उनकी गुणवत्ता को भी काफी हद तक बढ़ाया है।
स्वचालित कंबाइन हार्वेस्टर मशीन (Combine harvester) से गेहूं समेत विभिन्न अनाज फसलों की कटाई, थ्रेशिंग, एकत्रीकरण और सफाई का काम एक ही बार में एक साथ कर सकते हैं। इससे किसान की लागत और समय दोनों में बचत होती है। यह एक महत्वपूर्ण कृषि उपकरण है जो प्रत्येक किसान के पास होना चाहिए। यह कंबाइन हार्वेस्टर 30 सेमी से ऊपर फसल की कटाई करता है। इस मशीन से 4 से 4.5 एकड़ प्रति घंटे में गेहूं की फसल की कटाई, करीब 3 एकड़ प्रति घंटे में धान की फसलों की कटाई और 2 एकड़ प्रति घंटा में मक्का एवं अन्य अनाज फसलों की कटाई की जा सकती है। इस मशीन की कटाई की स्पीड भूमि के स्तर पर निर्भर करती है। यह मशीन कटाई में 8 -9 लीटर प्रति घंटे की डीजल खपत करता है।
मार्केट में विभिन्न ब्रांड के अलग-अलग स्व-चालित कंबाइन हार्वेस्टर मॉडल उपलब्ध है, जिनकी कीमत 14 लाख से लेकर 19 लाख रुपए के बीच हो सकती है। खास बात यह है कि राज्य सरकार द्वारा चयनित निर्माता/डीलर से कंबाइन हार्वेस्टर मशीन पर अनुदान योजना के निर्देशानुसार किसानों/संस्थानों को अनुदान लाभ भी देय होता है। अपने राज्य के कृषि विभाग पोर्टल पर निर्माता कंपनियों एवं डीलर की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। इसके अलावा आप अपने जिला के कृषि कार्यालय में भी संपर्क कर सकते हैं।
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