Agricultural Machinery : देश में रबी फसलों की बुवाई का काम किसानों द्वारा शुरू कर दिया है। इस दौरान कई क्षेत्रों के किसानों द्वारा कई कृषि मशीनरी और उपकरण की मदद से रबी की प्रमुख फसल गेहूं, सरसों और चना समेत अन्य की बुवाई की जा रही है। हालांकि, धान उत्पादक राज्यों में किसानों को रबी की मुख्य फसल गेहूं की बुवाई करने में काफी परेशानी उठानी पड़ती है, क्योंकि धान की फसल कटाई के बाद किसान को गेहूं की बुवाई करने के लिए बहुत ही सीमित समय मिलता है। साथ ही गेहूं की बुवाई के लिए खेत तैयार करने और फसल की बुवाई एवं इसके बाद खाद का छिड़काव करने में किसानों को काफी लागत और समय खर्च करना पड़ता है। लेकिन अब किसान इस खास कृषि यंत्र की मदद से कम समय और लागत में खेत की जुताई के साथ ही गेहूं की बुवाई और खाद फैलाने जैसे तीनों काम एक साथ कर सकते हैं। इससे उनकी समय और लागत दोनों में बचत भी होगी। खास बात यह है कि अधिक से अधिक किसान इस मशीन का उपयोग खेती में कर पाए, इसके लिए कस्टम हायरिंग सेंटर और फार्म मशीनरी बैंक के माध्यम से यह मशीन किराए पर भी उपलब्ध करवाई जा रही है। इसके अलावा इस मशीन पर सरकार द्वारा सब्सिडी भी दी जाती है, जिससे किसान इसे आसानी से खरीद सके। आइए, खेती की इस मशीन के बारे में जानते हैं।
हिसार स्थित उत्तरी क्षेत्र कृषि मशीनरी प्रशिक्षण एवं परीक्षण संस्थान (टीटीसी) के निदेशक मुकेश जैन बताते हैं कि धान की कटाई के बाद खेत की जुताई, गेहूं की बुवाई और खाद छिड़काव करने जैसे कृषि कार्य एक साथ कृषि यंत्र सुपर सीडर (Super Seeder) से किया जा सकता है। यह एक मल्टी टास्किंग मशीन है। यह कृषि मशीन फसल की बुआई, जुताई, मल्चिंग और खाद फैलाने का काम एक साथ कर देती है। इसके उपयोग से फसल अवशेष प्रबंधन और खेत में बीज की बुवाई करना बहुत आसान हो जाता है। सुपर सीडर मशीन खेत को तैयार करने में लगने वाले समय और लागत को कम कर देती है, जिससे किसानों के समय और पैसे दोनों की बचत हो जाती है। खास बात है कि इस मशीन का उपयोग धान की फसल कटाई के बाद, गेहूं की सीधी बुवाई के लिए किया जाता है। यह मशीन खेतों से पराली को बिना निकाले ही बीज की बोनी कर देती है, जिससे पराली प्रबंधन के लिए किसानों को पराली जलाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि सुपर सीडर के उपयोग से पराली प्रबंधन आसानी से किया जा सकता है, जिससे सरकार और किसान दोनों को पराली प्रबंधन की समस्या से निजात मिलती है। इसके अलावा सुपर सीडर मशीन (Super Seeder Machine) फसल अवशेषों को मिट्टी में मिला देती है, जिससे फसल की उत्पादकता और उत्पादन दोनों बढ़ता है। यह मशीन एक घंटे में एक एकड़ क्षेत्र में फैली पराली को नष्ट कर करते हुए गेहूं की बुआई करती है। वर्तमान में सुपर सीडर मशीन अधिकांश किसानों के बीच लोकप्रिय हो रही है। कृषि प्रधान राज्यों के किसान इस मशीन के इस्तेमाल से अपने खेतों में फसलों की बुवाई बिना पराली जलाए कर रहे हैं।
धान की फसल कटाई के बाद खेतों में पराली अवशेष के रूप में शेष रह जाती है, जिसे अगली फसल की बुवाई के लिए खेत तैयार करने के दौरान निस्तारण करना होता है। अधिकांश किसान इसके लिए पराली को खेतों में जलाने का रास्ता चुनते हैं। यह किसानों को सस्ता पड़ता है। लेकिन किसान सुपर सीडर मशीन का प्रयोग करके न केवल पराली का निस्तारण कर सकते हैं, बल्कि बेहद कम समय में गेहूं या सरसों की बुवाई और खाद छिड़काव भी कर सकते हैं। यह कृषि मशीन फसल अवशेष (धान पराली) को टुकड़ों में काटकर मिट्टी के नीचे दबा देती है और उसके ऊपर से बीजों की बिजाई और खाद डाल देती है। मिट्टी में दबी पराली गलकर कंपोस्ट खाद में तब्दील हो जाती है। इससे भूमि में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे जमीन की उर्वरक शक्ति बढ़ती है। धान पराली से बनी यह खाद भूमि में पानी सोखने की क्षमता को बढ़ा देती है, जिससे फसल पैदावार ज्यादा होती है।
सीमांत और छोटे किसान कस्टम हायरिंग सेंटर और फार्म मशीनरी बैंक से इस मशीन को किराए पर लेकर खेती में इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर कोई किसान सुपर सीडर मशीन सब्सिडी पर खरीदना चाहते है, तो वे अपने क्षेत्र के कृषि विभाग से संपर्क कर आवेदन कर सकते हैं। कृषि अभियांत्रिकी संचालनालय, मध्यप्रदेश शासन द्वारा अलग-अलग अनुदान योजनाओं के तहत छोटे-सीमांत वर्ग के सभी किसान, महिला किसान, अनुसूचित जाति / जनजाति वर्ग के किसानों को मशीन की लागत पर 50 प्रतिशत तथा सामान्य वर्ग के किसानों को इकाई लागत का अधिकतम 40 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाती है, जबकि हरियाणा कृषि विभाग द्वारा सुपर सीडर पर व्यक्तिगत किसान को 50 प्रतिशत का अनुदान दिया जाता है।
वहीं, पंजाब और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन (एसएमएएम) योजना के तहत योजनाएं लागू कर सीटू और एक्स सीटू फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) मशीनरी जैसे सुपर सीडर (Super Seeder), स्लेशर (Slasher), घास रेक (hay rake) और बेलर मशीनें (Baler Machines) के लिए कस्टम हायरिंग सेंटर और फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना के लिए किसानों को 80 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाती है। बाजार में सुपर सीडर मशीन की कीमत लगभग 3 लाख रुपए के आसपास होती है।
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