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धान की खेती के लिए बेहतरीन कृषि यंत्र, किसानों की बढ़ेगी आय और उत्पादकता

धान की खेती के लिए बेहतरीन कृषि यंत्र, किसानों की बढ़ेगी आय और उत्पादकता
पोस्ट -08 अप्रैल 2023 शेयर पोस्ट

धान की खेती के पॉपुलर कृषि उपकरण, किसानों को होगा अधिक लाभ

धान की खेती: धान खरीफ सीजन की मुख्य फसल है। इसे देश के अधिकतर हिस्सों में काफी बड़े पैमाने पर उगाया जाता है। चीन के बाद धान (चावल) उत्पादन में भारत का विश्व में दूसरे नंबर पर आता है। आज देश के सभी हिस्सों में लगभग लाखों करोड़ों किसान धान की खेती मुख्य रूप से खरीफ सीजन में करते है। देश के पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, आन्ध्र प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और तमिलनाडु जैसे राज्यों में इसकी खेती बड़े पैमाने पर लगाई जाती है। वर्तमान समय में धान की फसल करने वाले किसानो इसकी खेती से उत्पादन बहुत कम प्राप्त होता है, क्योंकि किसान इसकी खेती पारंपरिक विधि से करते है। यह काफी मेहनत भर होती है। हालांकि, धान की खेती से किसानों की आय के लिए बेहतर होती है। इस बात को ध्यान रखते हुए धान की कृषि की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने कई सारे कृषि यंत्र को विकसित किया है, जिनकी मदद से किसान धान की खेती से बेहद कम लागत खर्च में बढि़या उत्पादन ले रहे है। ट्रैक्टरगुरू की इस पोस्ट के जरिये आज हम आपको कुछ ऐसे ही कृषि यंत्रों की जानकारी देने जो रहे है, जिनके इस्तेमाल से धान की खेती और भी आसान हो गई है। यहां आपको बता दें कि इन धान की खेती में उपयोग होने वाले इन कृषि यंत्रों को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पूसा) द्वारा विकसित किया गया है। 

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’पूसा’ धान के पवाल को इकट्ठा करने व काटने की वाली कृषि मशीन 

इस मशीन को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित किया गया है, जो धान फसलों के अवशेष अथवा पराली को जमीन से 2 से 3 सेमी. ऊपर से काटने और पराली को 4 से 5 सेमी. के छोटे टुकड़े कर उन्हें भूसा बनाने का काम करती है। ’पूसा’ धान के पवाल को इकट्ठा करने व काटने की वाली कृषि मशीन का उपयोग कम्बाइन हार्वेस्टर से धान की कटाई के बाद किया जाता है। इस मशीन को 35 एचपी से ऊपर किसी भी डुअल या डबल कल्च के ट्रैक्टर से अटैचमेंट कर आसानी से ऑपरेट किया जा सकता है। इस मशीन कार्य करने की क्षमता 0.4 से 0.6 एकड़ प्रति घंटा है। इस मशीन की मदद से धान फसल अवशेष को भूसा में तब्दील कर पराल का निस्तारण किया जा सकता है। इस मशीन में किसान भाई लगभग में 0.86 घन मीटर पराली के भूसे का भंडारण कर सकते हैं। पूसा द्वारा विकसित यह मशीन किसानों को पराली (पुवाल) जलाने जैसी दिक्कतों से छुटकारा दिलाने में मददगार साबित हो रही है। इसके इस्तेमाल से किसान भाई आसानी से धान फसल अवशेष का निस्तर कर पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने में सफल हो पा रहे है।  

मानव चालित धान गहाई कृषि यंत्र

मानव चालित धान गहाई कृषि यंत्र धान गहाई के लिए बेहतर यंत्र है। इसे भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पूसा) ने खास तौर पर पहाड़ी क्षेत्रों के लिए विकसित किया है। क्योंकि इन क्षेत्रों में गहाई की भारी मशीनों को लाना और लेजाना संभव नहीं हो पात है। यह मानव शक्ति से ऑपरेट होती है। इस मशीन की कार्य की क्षमता 30 से 40 किलोग्राम धान प्रति घंटा है। पहाड़ी क्षेत्रों में धान की गहाई के लिए मैनुअल थ्रेशिंग की तुलना में मानव चालित इस धान गहाई कृषि यंत्र से थ्रेशिंग करना काफी आसान होता है। इसमें मेहनत भी कम लगती है और समय भी बचता है। इस मशीन को पहाड़ी क्षेत्रों में उपयोग के लिए एक व्यक्ति भी अपने कंधों पर उठाकर ऊपर ले जा सकता हैं। क्योंकि यह आकार में छोटी और हल्की होती है।       

डीएसआर विधियों के लिए सटीक धान बोने की मशीन (डीएसआर मशीन)

पूसा द्वारा विकसित डीएसआर मशीन एक डायरेक्ट धान के बीज बोने वाली मशीन है। इस मशीन की मदद से किसान धान की परंपरागत रोपाई से हटकर सीधे धान की बीजों की बुवाई कर सकते है। इस मशीन के इस्तेमाल से धान की बुवाई करने पर कम श्रमिक और कम जल की आवश्कता होती है। इस मशीन की मदद से एकड़ के खेत में धान की बुवाई करने पर मात्र 2 से 3 श्रमिकों की आवश्यकता पड़ती है। वहीं, पारंपरिक विधियों से धान की रोपाई (बुवाई) करने पर पहले धान की नर्सरी तैयार करनी पड़ती है, जिसमें किसानों का काफी वक्त और जल दोनों ही खराब होता है। इस विधि से धान की बुवाई करने के लिए पहले खेत को लेजर लैंड लेवलर की मदद से समतल किया जाता है। इसके बाद इस मशीन से धान के बीजों की बुवाई खाद के साथ की जाती है। इस मशीन में दो अलग-अलग पाइप लगे होते है, जिनमें से उर्वरक और धान के बीज अलग-अलग गिरता है। इस मशीन की मदद से धान के बीजों का सटीक बुवाई (2 से 3 बीज प्रति पहाड़ी) कर सकते है। डीएसआर विधियों से धान की रोपाई करने में 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज दर की आवश्यकता पड़ती है। इस मशीन की कार्य करने की क्षमता 0.27 हेक्टेयर प्रति घंटा है। इस मशीन को चलाने के लिए 45 एचपी से ऊपर के ट्रैक्टर की आवश्यकता पड़ती हैं। यह मशीन धान की बुआई 9 पंक्तियां में करती है। 

पूर्व अंकुरित धान बुवाई यंत्र 

पूर्व अंकुरित धान बुवाई यंत्र एक मानव चालित पहले से अंकुरित बीजों की बुवाई करने का यंत्र है। इस मशीन से 2 मजदूरों की मदद से प्रति दिन एक हेक्टेयर खेत में पूर्व अंकुरित धान की बुवाई की जा सकती है। यानी इस मशीन से धान की बुवाई करने के लिए पहले से धान के पौध (नर्सरी) तैयार करने की आवश्यता नही पड़ती है। इस मानव चालित धान बुवाई यंत्र से पूर्व अंकुरित (पहले से अंकुरित) धान के बीजों की सीधी बुवाई कर किसान अपना पैसा ओर समय दोनों बचा सकते हैं।  

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