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कृषि यंत्र सब्सिडी : इन कृषि मशीनों पर मिलेगा अनुदान, किसानों को होगा लाभ

कृषि यंत्र सब्सिडी : इन कृषि मशीनों पर मिलेगा अनुदान, किसानों को होगा लाभ
पोस्ट -12 नवम्बर 2022 शेयर पोस्ट

किसानों को भूसा बनाने वाली कृषि मशीनों पर मिलेगी सब्सिडी

खरीफ फसलों का सीजन पिक पर है। खरीफ सीजन की फसलों की कटाई शुरू हो चुकी है। देश के कई राज्यों में खरीफ फसलों की एमएसपी पर सरकारी खरीद भी शुरू हो चुकी है। वहीं, कई राज्य सरकारों ने खरीफ खरीद सीजन 2022-23 के लिए खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और तारीखों का ऐलान भी कर दिया है। इस बीच कई राज्यों से पराली जलाने जैसी घटनाए के मामले देखने को मिल रहे है। पराली जलाने जैसी घटनाओं पर निजात पानें के लिए कई राज्य सरकारें किसानों को खेतों में पराली नहीं जलाने के लिए मना रही है। इसके लिए किसानों को पराली नहीं जलाने पर मुआवजा, मुफ्त डीकंपोजर का छिड़काव और पराली निस्तारण मशीनों पर सब्सिडी भी दी जा रही है। इस बीच खरीफ फसलों की कटाई के साथ ही मध्य प्रदेश सरकार ने पराली के निस्तारण के लिए तैयारियां शुरू कर दी है। राज्य में किसानों को तोहफा देते हुए सरकार ने पराली से भूसा बनाने वाली कृषि मशीनों पर छूट यानि सब्सिडी देने का फैसला लिया है। किसानों को व्यक्तिगत तौर पर 40 से 50 प्रतिशत तक की छूट यानि सब्सिडी किसान वर्ग के अनुसार दिया जाएंगा। आइए ट्रैक्टरगुरू के इस लेख के माध्यम से जानते है कि मध्यप्रदेश सरकार पराली भूसा बनाने वाली किन मशीनों पर सब्सिडी प्रदान कर रही हैं। 

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किसान वर्ग एवं श्रेणी के अनुसार दी जाएंगी सब्सिडी

बता दें कि खरीफ फसलों की कटाई के साथ ही रबी फसलों की बुवाई का वक्त भी शुरू हो जाता है। रबी सीजन में बोई जाने वाली प्रमुख फसल गेहूं के लिए किसान खेत की तैयारी करते है। इसके लिए किसान खेत में पराली जला कर खेत की सफाई कर जुताई करते है। पराली जलाने से आस-पास के क्षेत्रों में प्रदूषण स्तर बढ़ जाता है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए मध्यप्रदेश सरकार ने गेहूं की बुवाई से पराली जलाने की बढ़ती घटनाओं पर पूरी तरह अंकुश लगाने के लिए बड़ा कदम उठाते हुए पराली से भूसा बनाने वाली मशीनों पर छूट दी जा रही है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की ओर से भूसा बनाने वाली मशीनों की खरीद लागत पर किसान वर्ग एवं श्रेणी के अनुसार सब्सिडी देने का प्रावधान किया गया है। जिसमें योजना के नियमानुसार अनुसूचित जाति व अनुसूति जनजाति, लघू, सीमांत किसान और महिला किसानों को 50 प्रतिशत और सामान्य वर्ग के किसानों एवं गौधालाओं को 40 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएंगी। राज्य सरकार द्वारा इन कृषि यंत्रों के लिए समय-समय पर आवेदन भी मांगे जाते हैं। 

पराली से भूसा बनाने वाली इन मशीनों पर मिलेगी सब्सिडी

सरकार द्वारा लिए गए फैसले के अनुसार पराली से भूसा बनाने में कृषि मशीनों की उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा कृषि यंत्र सब्सिडी योजना के तहत किसानों को योजना के नियमानुसार स्ट्रा रीपर, बेलर, रीपर कम बाइंडर, मल्चर और हैप्पी सीडर जैसी कृषि मशीनों पर सब्सिडी दी जाएंगी। इन यंत्रों पर सब्सिडी छोटे और सीमांत किसानों एवं मुख्य तौर से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति और महिला किसानों को मिलेगा। इच्छुक किसान इन कृषि यंत्रों को सब्सिडी पर लेने के लिए अपने सभी जरूरी दस्तावेज जैसे - (भूमि प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, आधार कार्ड की प्रति, मोबाइल नंबर, बैंक खाता पासबुक की प्रति) के साथ अपने जिले के सहायक कृषि यंत्री कार्यालय में जाकर अपना आवेदन करा सकते है। इसके अलावा राज्य के ई-कृषि यंत्र अनुदान योजना के आधिकारिक पोर्टल पर https://dbt.mpdage.org/eng_index.aspx ऑनलाइन आवेदन कर सकते है। 

पराली जलाने की घटनाओं में आएगी कमी

सरकार का मानना है इस फैसले से राज्य में इस साल पराली जलाने की नौबत नही आएंगी। मशीनरी पर छूट मिलने से पराली जलाने की घटनाएं कम हो जाएंगी। ज्यादा मशीनें बिकने से पराली जलने की घटनाओं में कमी आएगी। जिससे प्रदूषण के स्तर में भी कमी आएगी। इन मशीनों की सहायता से किसान पराली का भूसा बना पाएंगे। सरकार और किसानों को पराली जलाने जैसी गंभीर समस्या से राहत मिल जाएंगी। वहीं, किसानों को अपने पशुओं के लिए चारा भी मिल जाएंगा। साथ ही किसान इस भूसे को गौशाआलों या अन्य किसानों को बेच कर मुनाफा भी कमा सकते है। इस हिसाब से सरकार का यह फैसला किसानों का काफी हद तक फायदा पहुंचाने वाला फैसला साबित होगा।

रबी सीजन में पशुओं के चारे की व्यवस्था कर सकते है

बता दें कि रबी सीजन शुरू होते ही है सर्दियों का मौसम भी शुरू हो जता है। इस मौसम में पशु चारे के लिए हरियाली भी खत्म हो जाती है। इतना ही नहीं फसलों से भी चारा नहीं हो पता है। जिससे भूसे का संकट खड़ा हो जाता है। एवं कीमतों में तेजी से उछाल आया जाता है। ऐसे में पशुपालक पहले से ही व्यवस्था करके रखते हैं। लेकिन किसान खरीफ सीजन के बाद पराली को चारे के विकल्प के रूप में उपयोग कर सकते हैं। पराली को इन मशीनों की मदद से भूसा बनाकर मक्की, हरा चारा मिलाकर उसे चारे के रूप में संग्रहित करके रख सकते हैं। जिससे पशुओं की चारे की समस्या भी खत्म हो जाएगी और पराली जलाने जैसी समस्याओं का निपटारा भी हो जाएंगा। लेकिन कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ सालों में भूसा बनाने वाली इन मशीनों का उपयोग कम हो रहा है। क्योंकि किसान अब पराली को खेतों में ही उसे गला देते है। ऐसे में दुधारू पशुओं के चारे में भारी मात्रा में कमी आ रही है। अब सरकार की इस पहल से किसानों के साथ-साथ पशुपालकों के समस्या भी खत्म होगी।

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