भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में खेती-बाड़ी के साथ ही पशुपालन भी अतिरिक्त आय का एक अच्छा स्त्रोत है। पशुपालन में ग्रामीण इलाकों के लोग गाय, भैंस, भेड़-बकरी, सुअर और मुर्गी आदि का पालन कर बिजनेस करते है। और इनकम करते है। देश की राज्य सरकारें अपने-अपने राज्यों में पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र की राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत योजनाएं बनाकर किसानो एवं पशुपालकों को मदद भी देती है। जिनमें किसानों को सब्सिडी और जरूरत पड़ने पर सस्ती दरों पर कर्ज भी देती है। पिछलें कुछ दशकों से केंद्र और राज्य सरकारों का इन प्रयासों का सकारात्मक असर भी दिखाई दे रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग पशुपालन से कम खर्च पर लाखों की कमाई करते नजर आ रहे है। इसमें भेड़ पालन भी शामिल है। पिछले कुछ वर्षो में देश के कई राज्यों में भेड़ पालन का कार्य बड़े पैमानें पर किया जा रहा है। भेड़ पालन व्यवसाय में काफी वृद्धि देखनें को मिली है, क्योंकि भेड़ पालन में अन्य पशुओं की अपेक्षा लागत कम लगती है और लाभ अधिक होता है। इसे छोटे और सीमांत किसान आसानी से कर सकते हैं। भेड़ के पालन और देखभाल में अधिक खर्च की आवश्यकता नही होती है। और यह जंगली घास या खरपवार ही खाकर अपना विकास करती है। जिस कारण देशभार में ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में लोग भेड़ पालन कर लखपति बन रहे। यदि आप भी पशुपालन में भेड़ पालन का व्यवसाय करना चाहते है, तो ट्रैक्टरगुरु के इस लेख से हम आपकों भेड़ पालन संबंधित कुछ महत्वपूर्ण जानकारी देने जा रहे। इस जानकारी से आपको भेड़ पालन करने में आसानी होगी।
ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले छोटे किसानों की अर्थव्यवस्था का मुख्य जरिया पशुपालन को माना गया है। पशुपालन बिजनेस में किसान कम लागत एवं घर के छोटे से हिस्से से शुरू होने वाले पशुओं का बिजनेस करते हैं, जिनमें बकरी और भेड़ का पालन करते है। ये बिजनेस किसानों को ग्रामीण स्तर पर अच्छा रोजगार देता है। भेड़ एक शाकाहरी पशु है, जो जंगली घास-फूस तथा हरी पत्तियों को खाकर अपना विकास करती है। सामान्य तौर पर कहां जाए तो इसके आहार के लिए किसी खास तरह की व्यवस्था नहीं करनी पड़ती। ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादातर पशुपालक किसान भेड़ों का पालन दूध उत्पादन, ऊन एवं इसके मांस के लिए करते हैं। भेड़ से प्राप्त ऊन और चमड़े से कई प्रकार के उत्पादन बनाए जाते है। इसके अलावा इसका मांस काफी पोष्टिक होता है और इसमें कई प्रकार के विटामिन पाए जाते हैं। जिससे इसके ऊन, मांस और दूध की मांग अधिक होती है और यह बाजार में काफी अच्छी कीमत पर बिकता है। अन्य छोटे पशुओं की अपेक्षा इसका पालन काफी सरल है, क्योंकि भेड़ें आकार में छोटी होती हैं और इनका पालन कम स्थान में बड़ी सरलता से किया जा सकता है। इतना ही नहीं भेड़ में मौसम के अनुरूप स्वयं को ढ़ालने की क्षमता होती भी होती है। इन्हें हर तरह की जलवायु में पाला जा सकता है। देश में इस वक्त मालपुरा, जैसलमेरी, मंडियां, मारवाड़ी, बीकानेरी, मैरिनो, कोरिडायल रामबुतु ,छोटा नागपुरी शहाबाबाद प्रजाति के भेड़ों का चलन ज्यादा है।
ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालन को बढ़ावा देने के साथ ही रोजगार के नये अवसर बनाने के लिए राष्ट्रीय पशुपालन और डेयरी विभाग ने वर्ष 2014-15 में राष्ट्रीय पशुधन मिशन शुरू किया था। इस मिशन के तहत भोजन एवं चारे के विकास सहित ग्रामीण इलाकों में मुर्गी, भेड़, बकरी और सुअर पालन के क्षेत्र में उद्यमिता विकास एवं नस्ल सुधार और पशु उत्पादकता में वृद्धि के माध्यम से रोजगार पैदा करने के प्रयास किए जा रहे है। इस मिशन के तहत किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए बकरी पालन एवं भेड़ पालन योजना चलाई जा रही हैं। केंद्र की यह योजना अब लगभग देश के सभी राज्यों में संचालित है, जिनमें मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, ओडिशा, झारखंड, आसाम और अन्य कई राज्यों में भी शामिल है। इसके अलावा कई राज्य सरकारों ने प्रशिक्षण केंद्र भी बनाए हैं और जिस से लोग यह समझते हैं कि भेड़ पालन कैसे करें और इस से मुनाफा कैसे कमाए। केंद्र सरकार इस मिशन के तहत किसानों को भेड़ पालन के लिए लोन वं इस लोन 50 प्रतिशत तक सब्सिडी भी प्रदान करती है। केंद्र सरकार की इस योजना के तहत सब्सिडी पर लोन प्राप्त कर आप भेड़ पालन के लिए शेड तैयार कर पालन शुरू कर सकते है और अन्य कई कार्य भी कर सकते है।
पशु विशेषज्ञों की मानें तो भेड़ के दूध, मांस में अधिक मात्र में औषधी गुण और प्रोटीन पाये जाते है। जिस वजह से इसके दूध और मांस की बजार में काफी मॉग रहती है। इसके दूध और मांस से काफी बढि़या मुनाफा हासिल किया जा सकता है।
दूध देने वाली भेड़ को बेचकर एवं भेड़ को माँस के रूप में बेचकर
भेड़ के ऊन व खाल से भी आय प्राप्त की जाती है।
भेड़ की मींगणियों को खाद के रूप में बेचकर। इसके मींगणियों का उपयोग खेतों की उत्पादता को बढ़ाया जा सकता है।
भेड़ पालन को सूखा प्रभावित क्षेत्र में खेती के साथ साथ आसानी से कर सकते है।
भेड़ की खरीदने और बेचने में कोई कठिनाई नहीं आती है। इसके लिए बाजार स्थानीय क्षेत्र में ही मौजूद है।
अधिकतर व्यवसायी गांव - गांव में आकर इन की खरीद करके ले जाते हैं।
भेड़ के शरीर से प्राप्त ऊन से कई प्रकार के गर्म वस्त्र बनाए जाते है। ऐसे में एक भेड़ का उपयोग किसान कई तरह के व्यवसायों का उपयोग बढि़या मुनाफा कमाने के लिए कर सकते हैं।
नेशनल लाइवस्टॉव मिशन के अंर्तगत चलाई जा रही भेड़, बकरी पालन योजना के तहत आप अपने घर के पास ही खुद का व्यवसाय शुरू कर सकते है। इस व्यवसाय के लिए किसी भी प्रकार की आयु सीमा या फिर शैक्षणिक योग्यता की कोई आवश्यकता नहीं होती है। भेड़ पालन करने के लिए किसी भी व्यक्ति से लोन नहीं लेना पड़ता आप योजना के तहत आवेदन करके सब्सिडी पर अधिकतम 1 लाख रुपए राशि तक का लोन प्राप्त कर कम पूंजी लगाकर 10 से 12 भेड़ों और 1 नर भेड़ से पालन शुरू कर सकते है। और आने वाले समय में आपके पास डबल भेड हो जाएंगी। जिनसे आपको अधिक मुनाफा हासिल हो सकता है। पशु विशेषज्ञों के अनुसार किसान लाख रुपए की लागत से इसे शुरू कर सकते है। भेड़ की कीमत उसकी नस्ल पर निर्भर करती है। भेड़ की अच्छी नस्ल की कीमत तीन हजार रूपए से लेकर आठ हजार रुपए के बीच हो सकती है। 20 भेड़ो के लिए 500 स्क्वैयर फीट का शेड पर्याप्त माना जाता है। लेकिन यह शेड खुला और हवादार होना चाहिए। आप यह शेड़ 25 से 40 हजार रुपये में तैयार कर सकते हैं।
पशु एक्सपर्ट्स के अनुसार, भेड़ पालन के लिए अधिकतम 10 वर्ग फिट की आवश्यकता होती है। भेड़ पालन में सभी भेड़ों को एक साथ रखा जा सकता हैं, क्योंकि इन जीवों में आपस में लड़ने की प्रवृति नही पाई जाती है। लेकिन नर भेड़ को मादा भेड़ से अलग रखा जाता है। क्योंकि नर भेड़ हिंसक प्रवत्ति के होते हैं। पशु एक्सपर्ट्स के अनुसार, 30 मादा भेड़ो पर 1 नर पशु पर्याप्त होता है। गर्भित भेड़ो को हमेशा अन्य भेड़ो से अलग रखा जाता है। भेड़ो के समुचित विकास के लिए उन्हें सामान्य रूप से खुले स्थान पर चराए, क्योंकि इनका मुख्य भोजन जंगली हरी घास और पेड़ो की पत्तियां है। भेड़ों को चराहों में सुबह और शाम के वक्त ही चराना चाहिए।
पशु एक्सपर्ट्स के अनुसार 1 भेड़ एक वर्ष में दो बार बच्चों को जन्म देती हैं, यदि आप 15 भेड़ों के साथ पालन शुरू करते है, तो आपके पास लगभग 50-60 भेड़ हो जाएगी। बाजार में एक भेड़ की कीमत तीन से आठ हजार रुपए के आस-पास हो सकती हैं। इस हिसाब से 50 भेड़ों की कुल कीमत लगभग 4 लाख रुपए होती हैं। सभी खर्च निकालने के पश्चात किसान भाई 1 लाख रुपए सालाना की आय बड़ी आसानी हासिल कर सकते है।
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