इस साल मौसम की बेरुखी के चलते किसानों को खरीफ फसलों में काफी नुकसान उठा पड़ा। इस साल मौसम की बेरुखी के चलते देश के कई हिस्सों में मानसून देर से आया, जिसके कारण खरीफ फसलों की बुवाई प्रभावित हुई। कई राज्यों में तो धान की रोपनी देर से किसी तरह पम्प सेट से सिंचाई करके की गई। उसके बाद मौसम के बदले मिजाज ने किसानों परेशानी खत्म नहीं होने दी और तेज हवा के साथ मूसलाधार बारिश ने किसानों की कमर ही तोड़ दी। ऐसे में एक बार फिर मौसम की बेरूखी ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। दरअसल देश में इस समय सर्दियों का मौसम चल रहा है। देश के ज्यादातर इलाकों में इन दिनों ठंड बहुत तेज हो गई है। वहीं, इस बढ़ती ठंड ने देश के कई राज्यों में किसानों नींद उड़ा दी है। किसानों को चिंता है कि ठंड का असर रबी फसल पर भी सकता है। ऐसे में बिहार राज्य के मौसम विभाग ने मौजूदा मौसम को देखते हुए किसान के लिए कुछ जरूरी सावधानियों को बरतनें को कहा। मौसम वैज्ञानिकों ने मौसम की मार पड़ने से पहले किसानों को कुछ जरुरी काम निपटाने की सलाह दी है। ताकि ठंड के कारण रबी फसल की उपज पर असर न पड़े। आइए ट्रैक्टरगुरू के इस लेख के माध्यम से इन कृषि सुझाव के बारे में जानते है।
बिहार मौसम विभान ने मौसम पूर्वानुमान पर आधारित कृषि परामर्श एवं कृषि सुझाव जारी किए है। प्रदेश में बढ़ती ठंड का प्रभाव रबी फसलों पर न पड़े इसके लिए किसानों को फसलों से संबंधित कार्य निपटाने की सलाह दी जा रही हैं। जारी सुझाव में किसानों को पड़ने वाले पाला से फसलों की सुरक्षा के लिए उचित प्रबंधन करने को कहा जा रहा है। सब्जियों की खेती करने वाले किसानों को सलाह दी जा रही है कि वह अपने खेतों में समय से निकाई-गुडाई कर के खेतों को खरपतवार मुक्त कर ले। निश्चित समय से बोई गई सब्जियों की फसल में सिंचाई करने की सलाह दी जाती है, साथ ही खाद एवं उर्वरकों की अधिकतम मात्रा का इस्तेमाल करने को कहा जा रहा है। मटर की खेती कर रहे किसानों को मटर की फसल में फलियों के बेहतर विकास के लिए 2 से 3 प्रतिशत यूरिया का छिड़काव करने की सलाह दी गई है। इसके अलावा गोभी की फसल में डायमंड बैक मॉथ, मटर में फली छेदक और टमाटर में फल छेदक कीट व्याधि के लिए फेरोमोन ट्रैप/3 से 4 ट्रैप प्रति हेक्टेयर की दर से लगाने की सलाह दी है।
गेहूं की फसल - कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि इस बढ़ती ठंड से जहां गेहूं की फसलों को फायदा हुआ है, तो वही इसमें पाला का डर बना हुआ हैं। इसके लिए गेहूं की फसल में आवश्यकता अनुसार सिंचाई कर देनी चाहिए। सिंचाई के 2 से 3 दिन बाद नत्रजन की बाकि मात्रा का छिड़काव कर लेना चाहिए। गेहूं की फसल में यदि दीमक की व्याधि के लिए क्लोरपाइरीफॉस 20 ईसी/2 लीटर की दर से 20 किग्रा रेत का मिश्रण शाम के समय खेतों में छिड़कने के पश्चात हल्की सिंचाई करने की सलाह दी जाती है।
मक्का - जिन किसानों ने राज्य में मक्का फसल की लगाई है। ऐसे किसान मक्का फसल में बुआई के 15 से 25 दिन बाद पहली निराई- गुड़ाई करने की सलाह दी जाती है। जिन किसानों ने पहले बोई गई फसलों में निराई-गुड़ाई का कार्य कर लिया है, तो वह दूसरी निराई-गुड़ाई करें तथा जिन्होंने नही कि है वह पहली करे। साथ ही 30 से 45 दिनों के बाद दूसरी निराई-गुड़ाई करने की सलाह दी जाती है। रासायनिक विधि में एट्राजीन 500 ग्राम प्रति 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। खरपतवार कार्य करने के पश्चात खाद का प्रयोग टॉप ड्रेसिंग के रूप में करें। तना छेदक रोग नियंत्रित करने के लिए कार्बेरिल 50 / 1 किग्रा/हेक्टेयर या डाइमेथोएट 30 प्रतिशत म्ब् / 250 मि.ली./हेक्टेयर की दर से कीटनाशक का छिड़काव करें।
सरसों - किसानों को सरसों की फसल में फूल आने से पहले या फूल निकलने के दौरान नाइट्रोजन 35 से 40 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से डालने की सलाह दी जाती है। सरसों में चेपा कीट तना सड़न, आर्द गलन रोग से बचाने के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि जब सरसो की फसल पर इन का प्रकोप हो, तो फसल पर पूरा ध्यान दे। कीट एवं रोग से बचाने के लिए एजाडिरेक्टिन 0.15 प्रतिशत ईसी 2.5 लीटर, ईमोथोएट 30 प्रतिशत ईसी 1.0 लीटर, अक्सीडिमोटान मिथाइल 25 प्रतिशत ईसी एक लीटर, इनमें से किसी भी एक का 500 लीटर पानी में ड़ालकर घोल बनाकर छिड़काव करें। सापेक्षिक आर्द्रता को ध्यान में रखते हुए सफेद रतुआ के हमले से बचने के लिए डाइथेन-एम-45 / 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
चने की फसल - चने की फसल में फली छेदक कीट का प्रकोप होने की सम्भावना काफी हद तक है। ऐसे में किसानों को अपनी फसल पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। फसल में फेरोमोन टैप प्रति एकड़ खेतों में लगाएं। इसके अलावा कीटों के नियंत्रण के लिए खेत में “टी” आकार के पक्षी पर्च लगाये।
गोभीवर्गीय फसलें - कृषि वैज्ञानिकों ने गोभीवर्गीय फसलों को मौसम की मार से बचाव के लिए भी जरूरी सुझाव जारी किए है। जिनमें इन फसलों में हीरा पीठ इल्ली, मटर में फली छेदक तथा टमाटर में फल छेदक जैसे कीटों को प्रकोप दिखाई देने पर किसानों को बचाव के लिए फसल में फेरोमोन ट्रैप प्रति एकड़ खेतों में लगाने की सलाह दी है। इसके अलावा इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस. एल. 1 मिलीलीटर को 2 लीटर पानी में घोलकर उसका छिड़काव करें की सलाह दी है।
आलू और टमाटर - उच्च सापेक्ष आर्द्रता के कारण आलू और टमाटर में झुलसा संक्रमण के आसार को ध्यान में रखते हुए वैज्ञानिकों ने कहा है कि किसान फसल की निरंतर निगरानी की करे। और लक्षण दिखाई देने पर फसलों में कारबैंडिजम / 1 ग्राम/लीटर पानी या डाइथेन-एम-45/2 ग्राम/लीटर पानी का छिड़काव कर दे।
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