बढ़ते महंगाई के इस दौर में आम लोगों के साथ-साथ देश के ग्रामीण क्षेत्रों के किसान भी अतिरिक्त आय के साधन खोज रहे है। अतिरिक्त आय के लिए लोग पशुपालन की ओर तेजी से अपना रूख कर रहे है। क्योंकि पशुपालन एक ऐसा व्यवसाय है, जो कम लागत में अधिक मुनाफा देता है। इसके अलावा सरकार भी इसके लिए बड़े पैमाने पर सरकारी सहायता देती है। पशुपालन के क्षेत्र में गाय, भैंस, भेड़-बकरी एवं मुर्गी और बत्तख आदि का पालन ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे ज्यादा किया जा रहा है। जिसनें मुर्गी और बत्तख पालन सबसे ज्यादा किया जा रहा है। लेकिन हम आपके लिए एक ऐसे जंगली पक्षी का पालन करने का व्यवसाय लेकर आएं। जिसे आप मुर्गी और बत्तख के विकल्प के तौर पर चुन सकते है। यह पक्षी ग्रामीण क्षेत्रों के जंगलों में मिलता है। यह बटेर के नाम से जाना जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग इसे तीतर (Teetar) के नाम से भी जानते है। बीते कुछ सालों में बाजार के अंदर इस पक्षी के अंडे और मांस की डिमांड बढ़ी है। और इसके पालन में मुर्गी और बत्तख से भी कम लागत आती है। जबकि इसके व्यवसाय से 35-40 दिनों में लाखों रूपये का मुनाफा कमाया जा सकता है। ग्रामीण स्तर पर किसान कम लागत में मोटी कमाई करने के लिए इसके पालन में अपनी किस्मत आजमा सकते है।
देश के ग्रामीण क्षेत्रों में मुर्गी एवं बतख पालन के बाद लोग सबसे ज्यादा बटेर पालन का व्यवसाय करते हैं। यह मुर्गी एवं बत्तख पालन व्यवसाय के बाद तीसरे स्थान पर आता है। ग्रामीण क्षेत्रों में लोगा इसे मुर्गी पालन की तरह ही कर सकते है। इसके पालन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे किसी भी प्रकार की जलवायु में पाला जा सकता है। मुर्गी की तरह इसमें किसी भी प्रकार की बीमारियां होने का कोई खतरा भी नहीं होता है। इसका पालन घर के एक छोटे से भाग में भी किया जा सकता हैं। इसके पालन में मुर्गी के अपेक्षा कम देख-भाल की अवश्यकता होती हैं। शुरूआत में सिर्फ 50 हजार रूपये लगाकर इसका पालन शुरू किया जा सकता है। एवं हर साल करीब 7-8 लाख रूपये की आय हासिल की जा सकती है।
देश के ग्रामीण क्षेत्रों एवं जंगलों में बटेर (तीतर) पाएं जाती है। यह ऐसा जंगली पक्षी है, जो ज्यादा ऊंचाई तक नहीं उड़ सकता है। तथा जमीन पर ही अपने घौंसला बनाता हैं। भारत में इस पक्षी को 70 के दशक में अमेरिका से लाया गया। बटेर का मांस स्वादिष्ट एवं पौष्टिक गुणवत्ता वाला होता है और इनका वजन 300 ग्राम के आस-पास होता है। भारत में प्रचीन काल से ही इस पक्षी का शिकार इसे स्वादिष्ट एवं पोष्टिक मांस के लिए होता आ रहा हैं। परंतु समय के साथ वन्य प्राणी संरक्षण की धारा 1972 के तहत भारत में इनके शिकार पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया, लेकिन शिकार पर प्रतिबंध लग जाने के बाद से बटेर पालन की आवश्यकता को देखते हुए सरकार के इसके पालन के लिए लाइसेंस देना आरंभ कर दिया। यदि कोई किसान इसका पालन करना चाहता है, तो वह सरकार से लाइसेंस लेकर इसका पालन कर सकता है।
इनकी घटती संख्या को रोकने के लिए वन्य जीव संरक्षण कानून 1972 के तहत इनके शिकार पर प्रतिबंध लगा दिया। बटेर के शिकार पर प्रतिबंध लग जाने के बाद से बटेर पालन की आवश्यकता महसूस की जाने लगी। जिसके तहत नाबार्ड द्वारा प्रेम यूथ फाउंडेशन के माध्यम से राज्य के वैशाली जिले में साल 2011 से 11 लाख के योजना पर करीब 100 किसानों को प्रशिक्षित कर बटेर पालन को व्यावसायिक रूप देने का फैसला किया गया। बटेर पालन के लिए गए फैसले के अनुसार इसकी शुरूआत साल 2011 में 15 से 25 किसानों का ग्रुप बना कर ट्रेनिंग देने की व्यवस्था की गई। शुरूआत में करीब 80 कसानों ने ट्रेनिंग प्राप्त कर बटेर पालन का कार्य शुरू किया। लेकिन अब बटेर पालन की फार्मिग यूपी-बिहार में खूब हो रही है। बटेर पालन की ट्रेनिंग सैकड़ों लोगों ने उत्तरप्रदेश के बरेली के इज्जत नगर से लेकर इस की फार्मिंग शुरू कर रहे है।
बरेली के इज्जत नगर ट्रेनिंग सेंटर से प्रशिक्षण लेकर बटेर पालन का सरकार से लाइसेंस लेकर इसका पालन किया जा सकता है। बटेर पालन व्यवसाय कम लागत में शुरू किया जाता सकता है। इतना ही नहीं बटेर 40 - 45 दिन में बेचने लायक हो जाते है। इनकी बढ़वार तेजी से होती हैं, अधिक अंडे उत्पादन और सरल रख-रखाव के कारण इसका पालन व्यवसाय के प्रति लोग तेजी से बढ़ रहे है। बटेर का अंडा करीब 30 ग्राम का होता हैं, जो बटेर के वजन का करीब 10वां भाग होता है। वहीं मुर्गी का अंडा उसके वजन के सिर्फ 3 भाग के बराबर होता है। बटेर के अंडे में फास्फोरस और आयरन की मात्रा अधिक होती है। एक बटेर करीब 6-7 हफ्ते में अंडे देने लगती है। यह साल भर में 280 से 300 अंडे तक देने की क्षमता होती हैं।
बटेर पालन में सरकार भी किसानों की आर्थिक तौर पर मदद करती है। बटेर पालन 4 से 5 की संख्या से शुरू किया जा सकता है। लेकिन आप इसका पालन बड़े स्तर पर करना चाहते है, तो आपकों बाजार से करीब 20 हजार रूपये में 3 हजार के आस-पास बटेर के चूजे मिल जाएंगे। इन बटेर के चूजों को तैयार होने में करीब 35-40 दिन लगते हैं। एक तैयार व्यस्क बटेर चूजे का वजन लगभग 300 ग्राम के करीब होता हैं, जो बाजार में 40-60 रूपये तक असानी से बिकता है। यानी औसतन एक बटेर 50 रूपये में आसानी से बिक जाता है। यदि इसके पालन में दाना-पानी एवं देख-रेख में मजदूरी पर लगभग 30 हजार रुपए के आस-पास खर्च आ जाता है। इस हिसाब से इसके पालन में करीब 50 हजार का खर्च आता है। और इसकी तैयार फसल बाजार में करीब 1.5 लाख रूपए तक बिक जाती है। इस लिहाज से खर्च निकाल कर इसकी एक बार की फसल से 1 लाख रूपए तक की कमाई आसानी से की जा सकती है।
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