भारत में लंबे समय से कृषि के क्षेत्र में रासायनिक खादों का अंधाधुंध इस्तेमाल हो रहा है। रासायनिक खादों के अंधाधुंध इस्तेमाल से भूमि में कई प्रकार की समस्याएं देखने को मिल रही है। भूमि की उपजाऊ शक्ति घटती जा रही है और भूमि बंजर हो रही है। भूमि की इस समस्या ने केंद्र और राज्य सरकारों की चिंता बढ़ा दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार रासायनिक खादों के अंधाधुंध इस्तेमाल पर चिंता भी जाहिर कर चुके हैं। वो किसानों से जैविक और प्राकृतिक खेती की ओर रूख करने की अपील भी कर रहे हैं। भूमि की समस्याओं से निजात पाने व भूमि की उपज शक्ति को बढ़ाने एवं कम लागत पर अधिक पैदावार के लिए प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार के कृषि एवं सहकारिता विभाग द्वारा वर्ष 2015-16 से “परंपरागत कृषि विकास योजना” चलाई जा रही है।
राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन के अंतर्गत मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन का एक सविस्तारित घटक है। परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) के तहत जैविक खेती को क्लस्टर पद्धति और पीजीएस प्रमाणीकरण द्वारा प्रोत्साहित किया जाता है। इस योजना का उद्देश्य जैविक उत्पादों के प्रमाणीकरण और विपणन को प्रोत्साहन करना है। इस योजना के तहत सरकार किसानों को जैविक खेती करने के लिए आर्थिक मदद दे रही है। केंद्र सरकार कि केमिकल मुक्त खेती के लिए शुरू यह योजना रंग लाने लगी है। इस समय देश में ऑर्गेनिक फार्मिंग से 44 से अधिक लाख किसान जुड़ चुके हैं, जबकि 2003-04 में भारत में महज 76 हजार हेक्टेयर में ही ऐसी खेती हो रही थी। प्राकृतिक खेती के तहत अब तक 4.09 लाख हेक्टेयर क्षेत्र कवर किया जा चुका है। प्रधानमंत्री मोदी की नेचुरल फार्मिंग वाली इस योजना को सफल बनाने के लिए देश के कई राज्य अपने-अपने स्तर पर नई पहल भी कर रहे हैं। राज्य में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए देशी गाय पर सब्सिडी जैसी योजना भी चला रहे हैं। तो आइए ट्रैक्टरगुरू के इस लेख के माध्यम से केंद्र सरकार की परंपरागत कृषि विकास योजना के बारें में जानते हैं।
भारत सरकार द्वारा किसानों की मदद के लिए सॉयल हेल्थ योजना के अंतर्गत परंपरागत कृषि विकास योजना की शुरुआत की गई थी है। इस योजना में जैविक खेती करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जाता है। इसके लिए सरकार द्वारा किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए क्लस्टर निर्माण, क्षमता निर्माण, अदानों के लिए प्रोत्साहन, मूल्यवर्धन और विपणन के लिए आर्थिक सहायता दी जाती है। इस योजना के माध्यम से पारंपरिक ज्ञान एवं आधुनिक विज्ञान के माध्यम से जैविक खेती के स्थाई मॉडल काे विकसित किया जाएगा। परंपरागत कृषि विकास योजना का मुख्य उद्देश्य मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाना है। यह योजना मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ाने में भी लाभकारी साबित होगी। इसके अलावा परंपरागत कृषि विकास योजना के माध्यम से रसायनिक मुक्त एवं पौष्टिक भोजन का उत्पादन हो सकेगा क्योंकि जैविक खेती में कम कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है।
परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत सरकार किसानों को जैविक खेती करने के लिए क्लस्टर निर्माण, क्षमता निर्माण, अदानों के लिए प्रोत्साहन, मूल्यवर्धन और वितरण के लिए 50,000 रुपए प्रति हेक्टेयर 3 वर्ष की के लिए आर्थिक सहायता दी जा रही है। इसमें से 31000 प्रति हेक्टेयर 3 वर्ष जैविक पदार्थों जैसे कि जैविक उर्वरकों, कीटनाशकों, बीजों आदि की खरीद के लिए दिए जाते है और शेष 8800 रूपए प्रति हेक्टेयर 3 वर्षों में मूल्यवर्धन और विपणन के लिए दिया जाता है। इसके अलावा परंपरागत कृषि विकास योजना के माध्यम से क्लस्टर निर्माण एवं क्षमता निर्माण के लिए 3000 रुपए प्रति हेक्टेयर 3 वर्षों के लिए वित्तीय सहायता भी प्रदान की जाती है। जिसमें एक्स्पोजर विजिट और फील्ड कर्मियों के प्रशिक्षण शामिल है। यह राशि किसानों के खाते में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से वितरित की जाती है।
भारत सरकार द्वारा सॉयल हेल्थ योजना के तहत साल 2015-16 में रासायनिक मुक्त जैविक खेती को क्लस्टर मोड में बढ़ावा देने के लिए परंपरागत कृषि विकास योजना का शुभारंभ किया गया था।
पिछले 4 वर्षों में इस योजना के अंतर्गत 1197 करोड़ रुपए की राशि खर्च की जा चुकी है।
जैविक खेती के लिए चुना गया क्लस्टर 20 हेक्टेयर या 50 एकड़ की सीमा में और जितना संभव हो उतना सन्निहित रूप में होना चाहिए।
20 हेक्टेयर या 50 एकड़ क्लस्टर के लिए उपलब्ध कुल वित्तीय सहायता अधिकतम 10 लाख रुपए होगी।
एक क्लस्टर में किसानों की कुल संख्या में कम से कम 65 प्रतिशत किसानों को लघु और सीमांत श्रेणी के लिए आवंटित किया जाएगा।
इस योजना के अंतर्गत बजट आवंटन का कम से कम 30 प्रतिशत महिला लाभार्थी/किसानों के लिए निर्धारित करना आवश्यक है।
आवेदक भारत का स्थाई निवासी होना चाहिए है।
आवेदक की आयु 18 वर्ष से ज्यादा होनी चाहिए।
आधार कार्ड
निवास प्रमाण पत्र
आय प्रमाण पत्र
राशन कार्ड
मोबाइल नंबर
आयु प्रमाण पत्र
बैंक खाता पासबुक
पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ
सर्वप्रथम आपको परंपरागत कृषि विकास योजना की आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा।
अब आपके सामने परंपरागत कृषि विकास योजना का होम पेज खुल जाएगा।
इस होम पेज पर आपको अप्लाई नाउ के विकल्प पर क्लिक करना होगा।
इसके बाद आपके सामने योजना का आवेदन पत्र खुलकर आएगा।
इस आवेदन पत्र में पूछी गई सभी महत्वपूर्ण जानकारी जैसे कि आपका नाम, मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी आदि को सही प्रकार से दर्ज करना होगा।
इसके पश्चात आपको सभी महत्वपूर्ण दस्तावेजों को अपलोड कर आवेदन पत्र को सबमिट के विकल्प पर क्लिक कर सबमिल करना होगा।
इस प्रकार आप परम्परागत कृषि विकास योजना के अंतर्गत आवेदन कर पाएंगे।
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