आजकल जैविक खेती के प्रति किसानों का रुझान बढ़ाने के लिए के लिए केंद्र और कई राज्य सरकारें आकर्षक योजनाएं लांच कर रही हैं। खाद्यान्नों सहित फल और सब्जियों की फसलों में रासायनिक उर्वरकों की भरमार और कीटनाशकों के इस्तेमाल के कारण इनके सेवन से तरह-तरह की बीमारियां फैल रही हैं। लोग अनजाने में घातक बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। ऐसे में कृषि विज्ञान के नवीन अनुसंधानों ने जैविक खेती को सबसे अधिक सुरक्षित माना है। वहीं जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए राजस्थान सरकार ने एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। इसके तहत वर्ष 2022 के अंतर्गत एक लाख किसानों को 90 प्रतिशत सब्सिडी पर बायो पेस्टिसाइड किट उपलब्ध कराए जाएंगे। आइए, ट्रैक्टरगुरू की इस पोस्ट में जानते हैं क्या है राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार की आर्गेनिक फार्मिंग को बढ़ावा देने की यह सब्सिडी स्कीम और किसान कैसे इसका लाभ उठा पाएंगे।
आपको बता दें कि राजस्थान में किसानों को जैविक खेती की तरफ डायबर्ट करने के लिए यहां की सरकार ने अनूठी योजना शुरू की है। यह योजना जैविक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लांच की गई है। कृषि विभाग के आयुक्त कानाराम के अनुसार इसमें बायोपेस्टीसाइड किट खरीदने पर 900 रुपये प्रति हेक्टेयर के हिसाब से सब्सिडी देय होगी। किसानों को मात्र 10 प्रतिशत ही पैसा देना होगा। सरकार ने इस योजना के लिए कुल 9 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। इसमें लघु और सीमांत किसानों को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके अलावा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं महिला किसानों, खाद्य सुरक्षा वाले किसानों को यह सब्सिडी मिल पाएगी।
आपको बता दें कि सरकार ने जैविक खेती के लिए जो सब्सिडी योजना संचालित की है उसके अंतर्गत सरकार ने कई कंपनियों को अधिकृत किया है। इनमें ट्राइकोडर्मा, एनएसकेई, अजाडिरेक्टिन, बिउवेरियाबासिना, मेटाहरजिसम, वर्टीसीलम, एनपीवी, फेरेमौन ट्रेप, ट्राईकोकार्डस आदि बायोपेस्टिसाइड वाजिब रेट पर उपलब्ध कराई जाएगी। वहीं कई राज्यों में वहां की सरकारें प्राकृतिक खेती की तरफ ध्यान दे रही हैं लेकिन राजस्थान सरकार जैविक खेती को बढ़ावा देना चाहती है जो सराहनीय कही जाएगी।
आपको यहां यह भी बता दें कि राजस्थान सरकार ने आर्गेनिक फार्मिंग को प्रोत्साहन देने के लिए जहां एक ओर बायोपेस्टिसाइड किट खरीदने पर सब्सिडी प्रदान कर रही है वहीं दूसरी ओर परंपरागत कृषि विकास योजना में भी आर्थिक मदद ऐसे किसानों को दी जाएगी जो जैविक खेती अपना रहे हैं। इससे किसानों की रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम होगी। इसमें कलस्टर सिस्टम से किसानों का चयन किया जाएगा। कृषि पर्यवेक्षकों द्वारा किसानों की बैठक आयोजित कर पात्र किसानों का चयन होगा।
यहां बता दें कि परंपरागत कृषि विकास योजना में केमिकल फ्री खेती की जाती है। इसमें जैविक खाद का ही प्रयोग किया जाता है। योजना में चयनित किसानों को आर्थिक मदद सरकार की ओर से मुहैया कराई जाएगी। इसके लिए किसानों को जो दस्तावेज चाहिएं वे इस प्रकार हैं :-
आवेदक किसान का आधार कार्ड
भामाशाह कार्ड और बैंकखाता पासबुक की फोटो प्रतिलिपि
जो किसान जैविक खेती करने के इच्छुक हैं उनके लिए जमाबंदी की नकल, फोटो, आधार कार्ड
आवेदन पूरा होने पर भौतिक सत्यापन होगा और इसके बाद किसान के खाते में सरकारी मदद का पैसा ट्रांसफर कर दिया जाएगा।
आपको बता दें कि जैविक खेती से किसानों को ही नहीं बल्कि उन लोगों को भी बहुत फायदे पहुंचते हैं जो जैविक खाद्यान्न या फल-सब्जियों का उपयोग करते हैं। इससे लोग रासायनिक और अन्य खतरनाक उत्पादों के सेवन से बचते हैं। चूंकि जैविक खेती में प्राकृतिक खाद का उपयोग किया जाता है। कीटनाशक की जगह भी जैविक पदार्थों से निर्मित कीटनाशक उपयोग किए जाते हैं। किसानों के लिए सबसे बड़ा फायदा यह है कि जैविक फसल को मंडी में भी ले जाने की जरूरत नहीं पड़ती घर पर ही खरीददार आ जाते हैं और अच्छे दाम मिलते हैं। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होती चली जाती है।
बता दें कि जैविक खेती आज के युग में बहुत जरूरी हो गई है। इसे यूं समझा जा सकता है :-
जैविक खेती से भूमि की उपजाऊ क्षमता में वृद्धि होती है और इससे उत्पादन में वृद्धि के साथ गुणवत्ता में भी बढ़ोतरी होती है।
जैविक खेती से रासायनिक खादों की निर्भरता कम होती है इससे मृदा में पौष्टिक तत्वों का हनन नहीं होता। उनका पोषण बना रहता है।
फसलों के उत्पादन में वृद्धि से किसान को अधिक मुनाफा होता है।
बाजार में जैविक उत्पादों की मांग बढ़ती है जिससे किसानों और थोक विक्रेताओं दोनों को ही लाभ होता है।
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