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मक्का से इथेनॉल बनाने को बढ़ावा देगी सरकार, किसानों की होगी ज्यादा इनकम

मक्का से इथेनॉल बनाने को बढ़ावा देगी सरकार, किसानों की होगी ज्यादा इनकम
पोस्ट -14 दिसम्बर 2023 शेयर पोस्ट

सरकार मक्के से इथेनॉल बनाने को देगी बढ़ावा, किसानों को मिलेगा आय का नया साधन

Central Government Scheme  : गन्ना किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने एवं चीनी मिलों को घाटे से उबारने के लिए सरकार की तरफ से कई कड़े कदम उठाए जा रहे हैं। इसके लिए सभी सहकारी चीनी मिलों का कलस्टर बनाकर एथेनॉल प्लांट लगाने जैसी महत्वाकांक्षी योजनाओं का क्रियान्वयन भी किया जा रहा है। आज अधिकांश चीनी मिलें घाटे से उबरने के लिए गन्ना से इथेनॉल प्रोडक्शन कर अच्छा मुनाफा कमा रही है। लेकिन एथेनॉल उत्पादन में गन्ने के इस्तेमाल से चीनी का उत्पादन प्रभावित हो रहा है। साथ ही चीनी के उत्पादन में कमी की आशंका का असर इथेनॉल उत्पादन पर दिख रहा है। ऐसे में सरकार एक नई योजना लेकर आई है। इस योजना के तहत सरकार मक्के से एथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देगी। खाद्य सचिव की जानकारी के अनुसार, सरकार एथेनॉल का उत्पादन बढ़ाना चाहती है। लेकिन चीनी उत्पादन कम होने की आशंका से सरकार अब गन्ने की ही फसल पर आश्रित नहीं रहना चाहती। इसलिए सरकार एथेनॉल बनाने में मक्के के उपयोग को बढ़ावा देना चाहती है, जिससे बिना चीनी के उत्पादन में कमी के एथेनॉल की सप्लाई बढ़ाई जा सके। वहीं उम्मीद लगाई जा रही है कि सरकार के इस फैसले के लागू होने के साथ ही मक्का किसानों के लिए आय के नए स्त्रोत खुलेंगे। 

New Holland Tractor

सरकार की योजना क्या है?

सरकार चीनी के उत्पादन में कमी किए बिना इथेनॉल उत्पादन को बढ़ाना चाहती है। इसके लिए सरकार योजना के मुताबिक मक्के से एथेनॉल बनाने को बढ़ावा देगी। इसकी जानकारी देते हुए खाद्य सचिव ने कहा कि सरकार की एथेनॉल प्लांट को सस्ते दाम पर मक्का देने की योजना है। गन्ने के सिरप से इथेनॉल बनाने के फैसले की हर महीने समीक्षा होगी। इसके तहत प्रत्येक महीने गन्ने के उत्पादन के आधार पर एथेनॉल उत्पादन की समीक्षा की जाएगी।

दरअसल, कृषि विशेषज्ञ (एग्री एक्सपर्ट्स) पहले से ही मक्का (कॉर्न) का उत्पादन बढ़ाने पर जोर दे रहे थे। उनके अनुसार, मक्के (कॉर्न) का उपयोग बढ़ाने से न केवल किसानों को अतिरिक्त आमदनी का साधन मिलेगा। इसके साथ ही ये चावल जैसी उन फसलों से सस्ता विकल्प साबित होगा जहां पानी आदि का उपयोग ज्यादा होता है। अगस्त महीने में अनुमान दिया गया था कि सरकार के 20 प्रतिशत एथेनॉल ब्लेंडिंग के लक्ष्य का आधा हिस्सा अतिरिक्त 1.7 करोड़ टन मक्के के उत्पादन से पूरा किया जा सकता है। सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2025 तक 20 प्रतिशत एथेनॉल उत्पादन का लक्ष्य प्राप्त कर लिया जाए। 

गन्ने के सिरप से इथेनॉल बनाने पर लगाई रोक

फूड सेक्रेटरी ने कहा कि सरकार ने गन्ने के सिरप से इथेनॉल बनाने पर रोक लगा दी है। दरअसल वित्तीय वर्ष 2023-24 के गन्ना सीजन में चीनी के उत्पादन में गिरावट की आशंका है। घरेलू बाजारों में चीनी की आपूर्ति बनाए रखने के लिए यह फैसला किया गया है। सरकार का अनुमान है कि 2023-24 (अक्टूबर-सितंबर) सीजन में चीनी का उत्पादन 9 प्रतिशत की कमी के साथ 337 लाख टन रह सकता है। हालांकि, सरकार खाद्य कीमतों में नियंत्रण के लिए लगातार कड़े कदम उठा रही है। मौजूदा कदम भी चीनी की कीमतों को काबू में लाने के लिए ही उठाया गया है।

मक्का उत्पादकों की आय में होगा इजाफा

सरकार की योजना के अनुसार, मक्के के सिरप से इथेनॉल बनाने को बढ़ावा दिया जाएगा। इससे मक्का किसानों आय में इजाफा होगा देश में करीब 7.27 मिलियन हेक्टेयर मक्का का रकबा है। मध्यप्रदेश, बिहार, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक देश के प्रमुख मक्का उत्पादक राज्य है। मक्का उत्पादक इन राज्यों में मक्का की असिंचित खेती खरीफ मौसम में की जाती है। वहीं, सिंचाई के पर्याप्त साधनों के साथ मक्के की खेती सालभर की जा सकती है। देरी से पकने वाली धान फसल प्रणाली में जायद धान फसल के स्थान पर जनवरी से फरवरी महीने में मक्का की खेती सफलतापूर्वक की जाती है। ऐसे में कॉर्न सिरप से इथेनॉल उत्पादन करने का सरकार का ये फैसला मक्के के किसानों के लिए आय का एक नया मार्ग खोल सकता है। 

इथेनॉल क्या हैं?

इथेनॉल का अर्थ अल्कोहल शीरे से है। यह शक्कर और चुकंदर मिलों में व्यर्थ बचे पदार्थ से बनाया जाता है। इसमें 30 से 35 प्रतिशत तक गन्ने के सिरप और लगभग इतनी ही मात्रा में ग्लुकोस तथा फ्रुंक्टोस घुला रहता है। शीरे में इतनी ही मात्रा में जल मिलाया जाता है, जिससे इसका आपेक्षिक घनत्व 1.03 से 1.04 तक हो जाता है। जीवाणुओं एवं अन्य अनावश्यक किण्वों की वृद्धि रोकने के लिए इस घोल में सल्फ़्यूरिक अम्ल की कुछ बूंदें डाल देते हैं। साथ ही इसमें थोड़ा सा यीस्ट डालकर इस घोल 30° से 40° सेंटीग्रेड ताप पर 40 से 50 घंटे रखा जाता है। इस प्रकार से शीरे की लगभग 95 प्रतिशत शक्कर विच्छिन्न होकर ऐल्कोहल तथा कार्बन-डाइ-आक्साइड में परिवर्तित हो जाती है। इथेनॉल अल्कोहल का उपयोग स्टोव , स्पिरिट लैंप और मोटर इंजनों में पेट्रोल के साथ ईंधन के रूप में जलाने के लिए किया जाता है। इसके अधिक उड़नशील न होने के कारण मोटर इंजनों में इसे जलाने में कठिनाई न हो इसके लिए इसमें 25 प्रतिशत ईथर या पेट्रोल मिलाते हैं। 

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