अब परंपरागत तरीके से खेती करने का जमाना नहीं रहा। इस तरह की खेती में किसान रबी और खरीफ सीजन की गिनी-चुनी फसलें ही उगा सकता है। इससे किसानों को ज्यादा लाभ नहीं होता। साधारण तरीके की खेती में कई बार प्राकृतिक आपदा जैसे सर्दी में पाले से फसल नष्ट होना, अकाल या सूखे के कारण फसल को हानि होना या अतिवृष्टि से फसल खराब होना आदि का सामना किसान भाइयों को करना पड़ता है। इससे किसान कर्ज के बोझ तले दब जाते हैं। आजकल किसान चाहते हैं कि नई तकनीक से 12 महीने खेती करें। इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से किसानों को ग्रीन हाउस बना कर खेती करने के लिए कई योजनाएं चल रही हैं। इनमें किसानों को सब्सिडी भी प्रदान की जाती है। हाल ही राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने प्रदेश के किसानों को ग्रीन हाउस फार्मिंग के लिए सब्सिडी योजना शुरू की है। इसमें एससी/ एसटी वर्ग के किसानों को 70 प्रतिशत और अन्य किसानों को 50 फीसदी अनुदान दिया जाएगा। Greenhouse Farming से किसान पूरे साल अलग-अलग फसलें उगा सकते हैं। ग्रीन हाउस में पैदा होने वाली फसलों की गुणवत्ता अन्य खेती के मुकाबले बहुत अच्छी होती है। इससे इनके दाम भी बाजार में ज्यादा मिलते हैं। इस तरह किसान ग्रीन हाउस खेती करके अपनी आय दोगुना तक बढ़ा सकते हैं। यहां ट्रैक्टर गुरू की इस पोस्ट में किसान भाइयों को ग्रीन हाउस खेती करने की विधि और इसके लिए राजस्थान सरकार द्वारा दी जा रही सब्सिडी योजना के बारे में पूरी जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है। ट्रैक्टर गुरू पर हमारे साथ बने रहें और इस पोस्ट को पढ़ कर शेयर करें ताकि अन्य किसानों को भी इसकी जानकारी हासिल हो सके।
राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार ने ग्रीन हाउस फार्मिंग को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी प्रदान करने की घोषणा की है। इसे लागू कर दिया गया है। इसमें लघु और सीमांत किसानों को प्राथमिकता दी जा रही है। ग्रीन हाउस बनाने के लिए सरकार ने जो मापदंड निर्धारित किए हैं उनमें 4000 वर्गमीटर एरिया में ग्रीन हाउस बनाए जाने पर सामान्य किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान देय होगा। वहीं एससी और एसटी वर्ग के लघु एवं सीमांत किसानों को यह सब्सिडी राशि 70 प्रतिशत दी जाएगी।
ग्रीन हाउस सब्सिडी का लाभ लेने के लिए राजस्थान के किसानों को किसान राज किसान साथी पोर्टल पर जाना होगा या अपने नजदीकी ई-मित्र केंद्र पर जाकर वहां इस पोर्टल पर आवेदन करें। इसके लिए किसानों को अपने खेती की जमाबंदी नकल, आधार कार्ड, मिट्टी की जांच रिपोर्ट और अनुसूचित जाति या अनुसूचित जन जाति का प्रमाण पत्र के साथ लघु या सीमांत किसान प्रमाण पत्र जरूरी है।
ग्रीन हाउस सब्सिडी स्कीम में आवेदन जमा होने के कुछ दिनों बाद उद्यान विभाग द्वारा प्रशासनिक स्वीकृति दी जाएगी। इसके बाद ग्रीन हाउस का निर्माण शुरू कर दिया जाएगा। वहीं ग्रीन हाउस के भौतिक सत्यापन के बाद आपके बैंक खाते में राशि आ जाएगी।
किसानों को ग्रीन हाउस खेती करने से पहले इसकी तकनीक की सही जानकारी हासिल करना जरूरी है। किसान भाइयों को बता दें कि ग्रीन हाउस खेती की तकनीक में सबसे पहले ग्रीन हाउस तैयार करना होता है। यह ग्रीन फाइबर से बनाया जाता है। इसमें काफी खर्चा आता है इसलिए राजस्थान सरकार ने इसके लिए सब्सिडी प्रदान करने की घोषणा की है। ग्रीन हाउस में फसल के लिए तापमान को नियंत्रित करने में आसानी रहती है। इससे सर्दी, गर्मी और बारिश में फसलें पूरी तरह से सुरक्षित रहती हैं। इस तकनीक में फसलों में कीट एवं रोगों से भी फसलों को बचाया जा सकता है। इसमें फल-सब्जी से लेकर फूलों और अन्य सभी तरह की खेती की जा सकती है। सबसे बड़ा फायदा ग्रीन हाउस खेती में कम सिंचाई का होता है। इससे लागत कम आती है।
बता दें कि ग्रीन हाउस बनाने के लिए 750 रुपये से 1000 रुपये वर्ग मीटर का अनुमानित खर्च आता है। इसके लिए बांस, धातु के पाइप, लकड़ी, स्टील एवं फाइबर आदि सामान चाहिए। इसमें जो कुल लागत आती है उसे हर किसान वहन नहीं कर पाता। इसलिए सरकार की ओर से दी जा रही सब्सिडी का लाभ उठाएं।
अगर आप ग्रीन हाउस खेती करते हैं तो इससे कई लाभ मिलेंगे। इस प्रकार की खेती पूरे वर्ष कभी भी की जा सकती है। वहीं इससे साधारण खेती की तुलना में ज्यादा पैदावार होती है। यह खेती का तरीका पर्यावरण को भी संतुलित रखता है। वहीं फसलों में कीट या किसी तरह की बीमारियों का प्रकोप नहीं होता जिससे कीटनाशक दवाओं का अनावश्यक खर्चा बचता है। फसल भी स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती हैं। गौरतलब है कि भारत दुनिया में तीसरा नंबर का देश है जहां ग्रीन हाउस तकनीक का सबसे ज्यादा प्रयोग हो रहा है।
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