PM-Kisan Bhai Scheme : केंद्र की मोदी सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के लिए पूरी तरह से संकल्पबद्ध है। किसानों को उनकी फसल उपज का सही लाभ मिले इसके लिए केंद्र सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। इस बीच केंद्र सरकार देश के छोटे और सीमांत किसानों के लिए पीएम किसान सम्मान निधि के बाद एक और खास योजना की शुरूआत करने जा रही है। इस योजना के शुरू होते ही देश के करोड़ों किसान अपनी फसल उपज को लंबे वक्त के लिए भंडारित कर सकेंगे। साथ ही मंडियों में अच्छा भाव मिलने पर वे अपनी उपज को बेच सकेंगे। इससे किसानों को खेती में नुकसान नहीं, बल्कि मुनाफा बढ़ेगा। वहीं, इससे मार्केट में व्यापारियों का एकाधिकार भी समाप्त होगा। आइए, केंद्र सरकार द्वारा किसानों के लिए शुरू की जा रही पीएम-किसान भाई योजना के बारे में डिटेल से जानें।
दिसंबर के अंत तक शुरू हो सकती है योजना
द हिंदू बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार का मानना है कि छोटे और सीमांत किसान अपनी उपज को गोदामों में स्टॉक करने और बेहतर कीमतों की लंबे समय तक प्रतीक्षा भी नहीं करते हैं। फसल कटाई के तुरंत बाद व्यापारियों द्वारा अधिकांश किसानों से औने- पौने भाव में उनकी उपज खरीद ली जाती है। इससे किसानों को फसल लागत के मुकाबले अच्छा मुनाफा नहीं मिल पता है। जिससे कई बार खेती में किसानों को आर्थिक हानि उठानी पड़ती है। इन सब समस्याओं का समाधान करने और छोटे और सीमांत किसानों की मदद करने के लिए केंद्र सरकार एक योजना शुरू कर सकती है, जिसका नाम संभवतः पीएम किसान भाई (भंडारण प्रोत्साहन) योजना हो सकता है। इस योजना के तहत उन किसानों को प्रोत्साहित किया जाएगा , जिनके पास अपनी उपज को गोदामों में रखने और बेहतर कीमत मिलने तक की प्रतीक्षा करने की क्षमता नहीं है। कृषि मंत्रालय की जानकारी के मुताबिक, केंद्र इस योजना को दिसंबर माह के अंत तक शुरू कर सकती है।
किसान अपनी मर्जी से बेच सकेंगे फसल
कहा जा रहा है कि केंद्र की पीएम किसान भाई (PM-Kisan Bhai) योजना से छोटे और सीमांत किसानों को सीधा लाभ पहुंचेगा। इस योजना से फसलों की कीमतें तय करने वाले व्यापारियों के एकाधिकार को तोड़ने में मदद मिलेगी। सरकार की इस योजना का उद्देश्य छोटे और सीमांत किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है। पीएम-किसान भाई (भंडारण प्रोत्साहन) योजना के लॉन्च होते ही किसान फसल काटने के बाद कम से कम तीन महीने तक अपनी फसल का भंडारण कर सकते हैं। इस बीच मंडियों में अच्छे दाम मिलने पर वे अपनी उपज को बेच सकेंगे। दरअसल, पीएम-किसान भाई (भंडारण प्रोत्साहन) योजना किसानों को यह तय करने की स्वायत्तता देगी कि उन्हें उपज कब बेचना है। यानी किसान अपनी मर्जी से फसल बेच पाएंगे। मौजूदा वक्त में ज्यादातर किसानों को फसलें कटाई के आसपास बेचनी पड़ती है।
इन राज्यों में किया जा सकता है योजना का कार्यान्वयन
पहले चरण में, इस योजना को चालू वित्त वर्ष सहित तीन वर्षों में 170 करोड़ रुपए के अनुमानित लागत व्यय के साथ मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु , आंध्र प्रदेश और असम राज्य में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया जा सकता है। इस योजना में वेयरहाउसिंग रेंटल सब्सिडी (डब्ल्यूआरएस) और शीघ्र पुनर्भुगतान प्रोत्साहन (पीआरआई) दो घटक हैं। डब्ल्यूआरएस के तहत छोटे और सीमांत किसानों के साथ-साथ किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) को गोदाम में उपज रखने के लिए प्रति माह 4 रुपए प्रति क्विंटल की दर से प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। भले ही गोदाम (भंडारण) किराया की दर कुछ भी हो और चाहे गोदाम संचालक द्वारा प्रति क्विंटल के आधार पर या क्षेत्र के आधार पर किराया लिया जाए। लेकिन सरकार ने प्रस्ताव दिया है कि किसानों को भंडारण प्रोत्साहन अधिकतम 3 महीने के लिए प्रदान किया जाएगा । इसके अलावा, 15 दिन या उससे कम समय तक अपनी उपज को संग्रहीत करने वाले किसान सब्सिडी के लिए पात्र नहीं होगी। साथ ही, प्रोत्साहन की गणना दिन-प्रतिदिन के आधार पर की जाएगी।
योजना से किसानों को फायदे
कॉन्सेप्ट पेपर के अनुसार, भंडारण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ई-एनएएम के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक-नेगोशिएबल वेयरहाउस रसीद (ई-एनडब्ल्यूआर) व्यापार को बढ़ावा देने से किसानों को कीमतों पर अधिक नियंत्रण मिलेगा और बड़ी संख्या में खरीदारों तक पहुंच होगी। इससे किसानों को बेहतर सौदेबाजी की शक्ति प्राप्त करने और वर्गीकृत उपज बेचकर उच्च कीमतें प्राप्त करने में मदद मिलेगी। यह किसानों को अपनी उपज की कीमतें उद्धृत करने और तत्काल भुगतान प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करेगा। इसके अलावा, गोदाम रसीदों के माध्यम से किसानों को बैंकों से ऋण प्राप्त करने में मदद मिलेगी, जो उन्हें फसल की संकटपूर्ण बिक्री से बचाएगा। वहीं, इसमें कहा गया है कि पीआरआई के तहत किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) धारक किसानों को पंजीकृत गोदामों में उपज का स्टॉक करने, ईएनडब्ल्यूआर के खिलाफ डिजिटल वित्त का फायदा उठाने और ईएनएएम के माध्यम से व्यापार करने पर 3 माह महीने के लिए 3 प्रतिशत कम ब्याज दर पर त्वरित पुनर्भुगतान प्रोत्साहन के पात्र होंगे।
आखिर ई-एनडब्ल्यूआर (इलेक्ट्रॉनिक नेगोशिएबल वेयरहाउस रसीद) है क्या?
जानकारी के लिए बता दें कि परक्राम्य गोदाम रसीद (ई- एनडब्ल्यूआर) सिस्टम 2011 में शुरू किया गया, जिसके माध्यम से किसी गोदाम में संग्रहित वस्तु को भौतिक रूप से वितरित किए बिना उसके स्वामित्व के हस्तांतरण की अनुमति देती है। ये रसीदें परक्राम्य रूप (बिल ऑफ एक्सचेंज, बैंक नोट, डिमाण्ड ड्राफ्ट और चेक आदि) में जारी की जाती है, जिससे वे संपार्श्विक (ऋणदाता के लिए एक सुरक्षा) के रूप में पात्र हो जाती हैं। इसे वेयरहाउस (विकास और विनियमन) अधिनियम, 2007 के माध्यम से वेयरहाउस प्राप्तियों के वित्तपोषण को सक्षम करके तैयार किया गया है। वेयरहाउसिंग डेवलपमेंट एंड रेगुलेटरी अथॉरिटी (डब्ल्यूडीआरए) एनडब्ल्यूआर के तहत पूरे ऑपरेशन को नियंत्रण किया जाता है।
ई-एनडब्ल्यूआर की विशेषताएं
वेयरहाउसिंग डेवलपमेंट एंड रेगुलेटरी अथॉरिटी (डब्ल्यूडीआरए) द्वारा आयोजित "ई-एनडब्ल्यूआर” - प्लेज फाइनेंसिंग को बढ़ावा देने के लिए एक प्रभावी प्रणाली है। ई-एनडब्ल्यूआर (इलेक्ट्रॉनिक नेगोशिएबल वेयरहाउस रसीद) का एकमात्र स्रोत भंडार प्रणाली है, जो पंजीकृत गोदामों द्वारा जारी किया जाता है। ई-एनडब्ल्यूआर जानकारी की गोपनीयता, अखंडता और उपलब्धता रिपॉजिटरी (भंडार प्रणाली ) सिस्टम द्वारा प्रदान किया जाता है। ई-एनडब्ल्यूआर की समय वैधता होती है। सभी ई-एनडब्ल्यूआरएस का व्यापार कमोडिटी एक्सचेंज प्लेटफॉर्म पर ऑफ-मार्केट या ऑन-मार्केट के तहत किया जा सकता है। ई-एनडब्ल्यूआर की नीलामी ऋण का भुगतान नहीं किया जाना, समाप्ति पर और डिलीवरी नहीं लिया जाना, और गोदाम में वस्तु के संभावित नुकसान या खराब होने पर जैसे कुछ शर्तों के तहत की जा सकती है। ई-एनडब्ल्यूआर को पूर्ण या आंशिक रूप से स्थानांतरित किया जा सकता है।
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