पराली नहीं जलाने वाले किसानों को मिलेगा 10 हजार रुपए का अनुदान, होगा लाभ

पोस्ट -29 नवम्बर 2023 शेयर पोस्ट

पराली नहीं जलाने पर इन किसानों को मिलेगी प्रति एकड़ 1000 रुपए की सब्सिडी बस करना है यह छोटा सा काम

Stubble Burning : सरकार धान के किसानों पर सबसे ज्यादा ध्यान दे रही है। धान के एमएसपी में वृद्धि, सीधी बुवाई पर अनुदान, धान किसानों को कृषि यंत्रों पर अनुदान सहित कई योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है। अब एक नई सरकारी योजना से धान के किसानों को 10 हजार रुपए तक अनुदान मिल सकता है। बशर्ते किसान को सरकार के कुछ नियम मानने होंगे। अगर किसान सरकार के इन नियम-कायदों के अनुसार काम करता है तो उसके खाते में 10 हजार रुपए सीधे भेज दिए जाएंगे। आईये, जानते हैं 10 हजार रुपए की सरकारी मदद के लिए किसानों को क्या करना होगा।

जिन खेतों में पराली, उन किसानों को मिलेगी सरकारी सहायता

धान के किसानों के लिए बड़ी खबर आई है। कृषि विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि राज्य में पराली मैनेजमेंट के लिए बनाई गई विभिन्न योजनाओं के माध्यम से किसानों को तुरंत अनुदान उपलब्ध कराए। पराली नहीं जलाने और पराली का उचित प्रबंधन करने वाले किसानों को सरकार प्रति एकड़ एक हजार रुपए का अनुदान देती है। इसके तहत पराली नहीं जलाने वाले किसान अधिकतम 10 एकड़ पर 10 हजार रुपए की अनुदान राशि प्राप्त कर सकते हैं। वहीं, धान की सीधी बुआई तकनीक अपनाने वाले पात्र किसानों को निर्धारित सब्सिडी 1 हजार रुपए प्रति एकड़ की दर से समय पर जारी करने के निर्देश अधिकारियों को दिए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा पराली प्रबंधन की तारीफ करने के पश्चात यह न‍िर्देश अपने आप में काफी अहम हैं।  इसके अलावा, किसानों को परम्परागत कृषि विकास योजना के तहत भी लाभ दिया जाना सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।

किसानों को 5 लाख एकड़ पर दिया जाना है लाभ 

हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल ने कहा कि इस योजना के तहत हरियाणा के किसानों को बायोफर्टिलाइजर, बायोपेस्टिसाइड, वर्मी कम्पोस्ट, बॉटेनिकल एक्सट्रैक्ट आदि जैसे इनपुट के लिए 50 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर की दर से सहायता दी जाती है। इसमें से 62 प्रतिशत राशि डीबीटी के माध्यम सीधे किसानों के बैंक खाते में प्रदान की जाती है। इस तरह की योजनाएं किसानों को बायोफर्टिलाइजर का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करती है और उनकी खरीद पर अनुदान भी प्रदान करती है। हरियाणा के किसानों को 5 लाख एकड़ क्षेत्र का लाभ दिया जाना है। इसके साथ ही किसानों के लिए बायोफर्टिलाइजर के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। पात्र किसानों को इन योजनाओं का लाभ समय मिलना चाहिए।

डीबीटी के माध्यम से प्रदान की जाती सहायता 

मुख्य सचिव संजीव कौशल ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा क्रियान्वित विभिन्न विभागों की 83 योजनाओं में से 74 योजनाओं का लाभ डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) स्कीम के तहत दिया जाना अधिसूचित किया गया है और इन्हें आधार कार्ड से भी जोड़ा गया है। इन योजनाओं को परिवार पहचान पत्र से संचालित किया जाएगा।  मुख्य सचिव कौशल चंडीगढ़ में एडवाइजरी बोर्ड की तीसरी बैठक में डीबीटी योजनाओं की समीक्षा कर रहे थे। बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त एवं योजना विभाग श्री अनुराग रस्तोगी समेत कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। 

परिवार पहचान पत्र के माध्यम से योजनाओं का लाभ 

मुख्य सचिव ने कहा कि कौशल विकास, खाद्य एवं आपूर्ति विभाग, शहरी स्थानीय निकाय विभाग, कृषि, आयुष विभाग की 9 योजनाएं डीबीटी स्कीम में शामिल नहीं की गई है। इन्हें भी एक सप्ताह में डीबीटी में शामिल किया जाएगा, जिससे राज्य की सभी योजनाओं का लाभ डीबीटी स्कीम के माध्यम से दिया जाना सुनिश्चित किया जा सके। इसके अलावा सभी योजनाएं परिवार पहचान पत्र के माध्यम से ही संचालित की जानी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि अब तक 26 विभागों ने 141 डीबीटी योजनाएं राज्य डीबीटी पोर्टल पर अपलोड कर दी गई हैं। इनमें 83 राज्य सरकार संचालित योजनाएं और 58 केंद्र प्रायोजित योजनाएं (सीएसएस) शामिल हैं। उन्होंने कहा सभी योजनाओं का शत-प्रतिशत डिजिटाइजेशन कर उन्होंने जनसहायक एप और उमंग प्लेटफार्म पर ऑनबोर्ड लाने के लिए डेटा अपलोड करने के भी निर्देश दिये। इसके माध्यम से ऑनलाइन आवेदन, आवेदन की कम्प्यूटराईज्ड प्रक्रिया और लाभार्थी के बैंक खाते में सीधा भुगतान सुनिश्चित किया जा सकेगा। 

धान की सीधी बुआई पर किसानों को अनुदान

बता दें खरीफ सीजन 2023 के दौरान धान के उत्पादन पर बुरा प्रभाव न पड़े, इसके लिए हरियाणा सरकार अपने किसानों के लिए एक नया विकल्प लेकर आई थी। राज्य सरकार ने किसानों को धान की सीधी बुआई करने लिए  प्रोत्साहन देने का फैसला किया। प्रति एकड़ किसान को धान की सीधी बुआई पर 4 हजार रुपए अनुदान कृषि विभाग द्वारा उपलब्ध कराया गया। डीसीआर मशीन से प्रति हेक्टेयर धान की खेती का लागत करीब 10 हजार रुपए तक कम हो सकती है। वहीं, सीधी बुआई के किसान अधिकतम 40 हजार रुपए की राशि सहायता प्राप्त कर सकते हैं। 

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