कमर्शियल खेती : किसानों की आय बढ़ाने के लिए परंपरागत खेती के साथ-साथ व्यावसायिक फसलों की खेती को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा विभिन्न प्रकार की कमर्शियल खेती पर अनुदान भी दिया जाता है। इसके लिए केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही है। इसी कड़ी में बिहार सरकार द्वारा राज्य में राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना के तहत बागवानी कार्यक्रम चलाई जा रही है, जिसके तहत किसानों को कमर्शियल फसलों की खेती के लिए भारी अनुदान दिया जाता है ताकि किसान इनकी खेती कर अपनी आय को दोगुना कर सके। अगर आप कृषि विभाग बिहार सरकार की इस योजना का लाभ उठाना चाहते हैं, तो आप कृषि विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं। वहीं अधिक जानकारी के लिए अपने जिले के उद्यान विभाग के सहायक निदेशक से भी संपर्क कर सकते है।
इन कमर्शियल फसलों की खेती पर अनुदान देती है सरकार
बागवानी क्षेत्र का विस्तार करने के लिए बिहार में राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना के तहत बागवानी कार्यक्रम चलाया जा रहा है, जिसके तहत सरकार द्वारा किसानों को फल, फूल और सब्जी की खेती के लिए प्रोत्साहित करने हेतु आर्थिक सहायाता प्रदान की जाती है। राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों के खेतिहर किसानों के लिए इस बागवानी योजना का लाभ लेकर अपनी आय को दोगुना कर सकते हैं। इस बीच राज्य के कृषि विभाग के प्रमुख सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने बीते दिन राज्य के चार ज़िलों का दौरा किया। उन्होंने नरपतगंज के मशरूम उत्पादक व अररिया प्रखंड के स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले किसानों के खेतों का भ्रमण किया और किसानों का हौसला बढ़ाया। सचिव ने अररिया प्रखंड के हड़ियाबारा पंचायत के स्ट्राबेरी की खेती करने वाले किसान से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि कृषि विभाग बिहार सरकार व्यावसायिक (कमर्शियल) खेती करने वाले किसानों को काफी प्रोत्साहित कर रही है।
कमर्शियल फसलों की खेती पर अनुदान देती है सरकार
कृषि विभाग के सचिव ने बताया कि राज्य में इस साल कृषि विभाग बिहार सरकार की तरफ राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना के अंतर्गत् बागवानी कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसके माध्यम से राज्य में किसानों विभिन्न कमर्शियल फसलों की खेती पर सब्सिडी देने का लक्ष्य रखा गया है, जिसके तहत राज्य के कई जिलों में किसानों को कृषि विभाग, बागवानी निदेशालय की ओर से प्रति हेक्टेयर भूमि पर फसलों के उत्पादन के लिए 40 से लेकर 75 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है। ऐसे में किसान परंपरागत खेती के स्थान पर मशरूम, स्ट्रॉबेरी, स्वीट कॉर्न, अनार, चायपत्ती आदि फसलों की खेती कर अधिक से अधिक लाभ कमाए और अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार ला सकते हैं। कृषि सचिव ने बताया कि ऐसे कॉमार्शियल खेती कर के लिए राज्य सरकार किसानों को अनुदान राशि देती है, जिससे किसान कमर्शियल खेती कर लाभान्वित हो सके।
कमर्शियल खेती पर मिलने वाली सब्सिडी राशि किसानों के बैंक खाते में
किसान खेती में कम लागत पर अच्छा मुनाफा कमा सके इसके लिए बागवानी कार्यक्रम के तहत राज्य में किसानों को कमर्शियल खेती पर कृषि विभाग बिहार सरकार द्वारा अनुदान दिया जा रहा है। यह अनुदान लाभार्थी किसानों के बैंक खाते में सीधे डीबीट के माध्मय ट्रांसफर किया जाता है। राज्य के कई किसान सरकार की इस योजना का लाभ लेकर कमर्शियल खेती कर अपनी आय को दोगुना कर रहे है। अररिया प्रखंड के हड़िया पंचायत स्थित एनएच 57 से पश्चिम में स्ट्रॉबेरी का उत्पादन करने वाले किसान अब्दुल रहमान ने बताया कि वे पिछले वर्ष स्ट्रॉबेरी की खेती से 2.5 लाख रुपए लागत लगाकर 4 लाख रुपए का लाभ कमा चुके हैं। उन्होंने बताया कि इस वर्ष भी 2.5 लाख रुपए लगाकर दो बीघा ज़मीन में स्ट्रॉबेरी की खेती की है, जिससे उन्हें अच्छा मुनाफा मिलने की उम्मीद है।
इन फसलों की खेती से किसान दोगुनी कर सकते है अपनी आमदनी
बीते दिन नरपतगंज क्षेत्र के खैर में युवा किसान प्रिंस के द्वारा की जा रही मशरूम खेती का मुआयाना बिहार के कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने किया। इस अवसर पर उन्होंने किसान प्रिंस को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि यदि राज्य में पढ़े-लिखे किसान तकनीकी खेती के प्रति जागरूकता के साथ कदम बढ़ाये तो नगदी फसल (कैश क्रॉप) के रूप में स्ट्रॉबेरी, मशरूम, शिमला मिर्च, राजमा, सब्जी आदि फसलों की खेती कर अपनी आमदनी दोगुनी कर सकते हैं। बिहार सरकार वैसे किसानों को बड़े स्तर पर प्रशिक्षण देने की व्यवस्था कर रही है, जिसके तहत किसान प्रशिक्षण प्राप्त कर नई-नई तकनीक से कम लागत में अधिक पैदावार प्राप्त कर अधिक लाभ कमा सकते हैं।
लिक्विड फर्टिलाइजर के उपयोग पर जोर
बिहार कृषि विभाग के सचिव संजय अग्रवाल ने इस दौरान आस-पास के खेतों में लगाई गई सरसों, मक्का, आदि फसलों का भी मुआयना किया। साथ ही उन्होंने लिक्विड फर्टिलाइजर्स के उपयोग में लाए जाने पर भी जोर देते हुए कहा कि लिक्विड फर्टिलाइजर्स के स्प्रे के तहत इस्तेमाल में किसानों को थोड़ी परेशानी का तो सामना करना पड़ता है, लेकिन इससे भूमि को बंजर होने से बचाया जा सकता है। वहीं, दूसरी तरफ मवेशियों के गोबर से जैविक खाद तैयार कर भूमि की उर्वरक शक्ति को बढ़ा सकते हैं। उन्होंने कहा कि इन दिनों किसान फसलों को लगाने में काफ़ी तीव्र गति का इस्तेमाल करते हैं, जिसको लेकर खेतों में कीट- पतंगों के साथ खरपतवार की समस्या बढ़ती दिख रही है। जिन खेतों में सही से जुताई होती हैं उनमें फसलें खरपतवार मुक्त और स्वस्थ्य होती हैं।
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