Fox Nut Farming : मखाना की खेती पर किसान पाए 40 हजार रुपए की सब्सिडी

पोस्ट -12 अक्टूबर 2024 शेयर पोस्ट

Makhana Farming : मखाना की खेती अब उत्तर प्रदेश में भी, किसानों को सरकार दे रही 40 हजार रुपए का अनुदान

Makhana Farming : बिहार में उत्पादित मखाने की मांग दुनियाभर में बड़े लेवल पर है, जिसके चलते इसका बाजार मूल्य बढ़ता ही जा रहा है। राज्य के मिथिलांचल के मखाने का निर्यात विदेशों में खूब होता है। मिथिलांचल के कटिहार, पूर्णिया, मधुबनी, किशनगंज, सुपौल, अररिया, मधेपुरा, सहरसा, दरभंगा और खगड़िया जिले में पैदा होने वाले मखाने को पहले से भौगौलिक संकेतक (जीआई) टैग भी प्राप्त है। लेकिन अब बिहार के जीआई टैग मखाना को अब उत्तर प्रदेश से सीधी टक्कटर मिलने वाली है। क्योंकि योगी सरकार ने इसकी बढ़ती डिमांड को देखते हुए प्रदेश में सब्सिडी पर मखाने की खेती कराने का फैसला किया है। इसके तहत मखाने की खेती करने वाले किसानों को प्रति हेक्टेयर 40,000 रुपए का अनुदान मिलेगा। सरकार का यह कदम विशेष रूप से पूर्वांचल के उन क्षेत्रों के लिए है, जहां की जलवायु बिहार के मिथिलांचल के समान है, जो मखाना की खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती है। 

मखाना उत्पादन के लिए काफी उपयुक्त है जलवायु (The climate is quite suitable for Makhana production)

प्रदेश सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए मखाना की खेती (Makhana Cultivation) को प्रोत्साहित करने का फैसला लिया है। इसके तहत मखाना की खेती करने वाले किसानों को 40 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर की दर से सब्सिडी मिलेगी। सरकार की इस पहल पर पूर्वांचल के देवरिया जिले में गत वर्ष से मखाना की खेती का प्रयोग शुरू हो चुका है। इस साल गोरखपुर, कुशीनगर और महाराजगंज जिलों में 33 हेक्टेयर में मखाना की खेती करने का लक्ष्य रखा गया है। कृषि वैज्ञानिक अध्ययन के मुताबिक, गोरखपुर मंडल के जिलों की जलवायु मखाना उत्पादन के लिए काफी उपयुक्त है। 

मखाना का बाजार मूल्य एक हजार रुपए प्रति किलो (Market price of Makhana is one thousand rupees per kg)

अध्ययन में बताया गया है कि मखाना की खेती उन क्षेत्रों में अधिक फायदेमंद होती है, जहां खेतों में जलभराव की स्थिति होती है। गोरखपुर मंडल में तालाबों की अच्छी संख्या और लो लैंड एरिया में बरसात का पानी काफी समय तक भरा रहता है, जिससे यहां के किसान मखाने की खेती से अच्छी आय कमा सकते हैं। एक हेक्टेयर क्षेत्र में मखाना की खेती (Makhana Farming) करने में किसान की लगभग 1 लाख रुपए की लागत आती है, जिसमें प्रदेश सरकार किसान को प्रति हेक्टेयर 40 हजार रुपए की सब्सिडी भी दे रही है। ऐसे में एक हेक्टेयर में मखाना की खेती पर किसानों की 60 हजार रुपए की लागत लगती है। एक हेक्टेयर में मखाना की औसत पैदावार 25-30 क्विंटल तक हो सकती है।  वर्तमान में मखाना का बाजार मूल्य एक हजार रुपए प्रति किलोग्राम तक है। 

तेजी से बढ़ रही मांग (Rapidly increasing demand)

देश में मखाना की मांग तेजी से बढ़ रही है। यही नहीं, इसकी एक्सपोर्ट (निर्यात) मांग भी अच्छी है। मखाना के एक्सपोर्ट से भारत को प्रतिवर्ष 25-30 करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है। इसे अनाज नहीं माना जाता है।  इसलिए लोग मखाने का सेवन व्रत में भी करते हैं। यही नहीं, परंपरागत मखाना की खेती में कृषि रसायनों का उपयोग न के बराबर होता है। यही वजह है कि इसे ऑर्गेनिक (जैविक) खाद्य पदार्थ भी कहा जाता है। 

सुपर फूड है मखाना (Makhana is a super food)

मखाना को पोषक तत्वों के खजाने के रूप में जाना जाता है। यही वजह है कि यह सुपर फूड भी है। कोरोना के बाद स्वास्थ्य को लेकर लोगों की जागरूकता बढ़ी है, जिसके चलते इसकी मांग में तेजी आई है। इसकी लो कैलोरी, प्रोटीन, फास्फोरस, फाइबर, आयरन और कैल्शियम की उच्च मात्रा एक स्वास्थ्यवर्धक विकल्प बनाती है, जो पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने के साथ-साथ हृदय, उच्च रक्तचाप और मधुमेह नियंत्रण में मददगार होती है। मखाना का सेवन से कमजोरी की समस्या दूर होती और यह बढ़ती उम्र के लक्षणों को कम करने के लिए लाभकारी होता है। 

ऐसे होती है मखाने की खेती? (This is how Makhana is cultivated?)

मखाने की खेती विशेष रूप से उन किसानों के लिए लाभकारी है, जो पहले से ही अपने तालाबों में मछली पालन कर रहे हैं या उनके खेतों में जलभराव की स्थिती रहती है। मखाना की खेती तालाब या औसतन 3 से 4 फीट पानी भरे खेत में होती है। खेती के लिए मखाना की नर्सरी नवंबर में लगाई जाती है और इसकी रोपाई चार महीने बाद फरवरी से मार्च महीने में होती है। रोपाई के पांच महीने बाद पौधों में फूल लगने लगते हैं और अक्टूबर-नवंबर में कटाई शुरू होती है। मखाना की खेती में लगभग 10 महीने का समय लगता है। किसान राष्ट्रीय अनुसंधान केन्द्र (मखाना), दरभंगा एवं भोला पासवान शास्त्री, कृषि महाविद्यालय, पूर्णियाँ से मखाना के उन्नत प्रभेद का बीज खरीद सकते हैं।  मखाना किसान को साल में 3-4 लाख रुपए की कमाई करा सकता है। स्थानीय बाजारों में इसके कंद और डंठल की भी भारी मांग रहती है। किसान इन्हें बेचकर अतिरिक्त कमाई भी कर सकते हैं। 

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