Pearl Farming : कृषि के क्षेत्र में बीते कुछ वर्षों में बड़े बदलाव देखने को मिले हैं। वर्तमान में किसान परंपरागत खेती में हो रहे नुकसान से बचने के लिए व्यापारिक और नकदी फसलों की खेती अपनाने लगे हैं, जिससे उन्हें लाभ भी हो रहा है। ऐसे में इन दिनों किसानों के बीच मोती की खेती (पर्ल फार्मिंग) अत्यधिक पॉपुलर हो रही है। आभूषण उद्योग में मोतियों की मांग लगातार बढ़ती जा रही है। मोतियों की बढ़ती मांग को देखते हुए किसानों का रुझान मोती की खेती में बढ़ रहा है। मौजूदा वक्त में देश के लगभग हर हिस्से में मोती की खेती किसानों व आम लोगों द्वारा की जा रही है, जिसको देखते हुए सरकार मोतियों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए कई प्रयास कर रही है। सरकार कई योजनाओं के माध्यम से मोतियों की खेती के लिए किसानों को प्रेरित करने के लिए उन्हें अनुदान से लेकर खेती के लिए प्रशिक्षण और व्यापक बाजार की सुविधा प्रदान करती है। ऐसे में किसान मोतियों की खेती से कम लागत में लाखों की कमाई कर सकते हैं। अगर आप भी मोतियों की खेती से बेहतरीन कमाई करना चाहते हैं, तो मोती की खेती शुरू कर सकते हैं। इस पोस्ट में हम मोतियों की खेती संबंधित कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दे रहे हैं, जो आपके लिए लाभकारी साबित हो सकती है।
मौजूदा वक्त में आभूषण उद्योग में मोतियों की लगातार बढ़ती मांग को देखते हुए लोग मोतियों का उत्पादन कर रहे हैं। ऐसा नहीं है कि मोती केवल समुद्र की गहराइयों में पैदा होते हैं। अब लोग रेगिस्तान में भी मोती की खेती कर रहे हैं। मौजूदा वक्त में कई राज्यों के किसान खेतों में तालाब खुदवाकर मोतियों के उत्पादन में हाथ आजमा रहे हैं, वहीं कुछ लोग घरों में ड्रम व जल हौज और डिग्गी में मोती की खेती कर अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं। मोती की खेती के लिए धन की बहुत ज्यादा आवश्यकता नहीं होती है। मत्स्य विशेषज्ञों के अनुसार, किसान केवल 25 से 50 हजार रुपए के निवेश से मोती की खेती शुरू कर सकते हैं और इससे तीन लाख रुपए तक की कमाई कर सकते हैं। खास बात यह है कि मोती की खेती पर कई राज्यों की सरकारें अपने प्रावधानों के अनुसार अलग-अलग सब्सिडी भी प्रदान करती है।
किसान मोतियों की खेती एक छोटे से तालाब या 500 वर्ग फुट के टैंक या हौज से भी शुरू कर सकते हैं। इसकी खेती में लिए किसानों को एक तालाब बनाकर उसमें अच्छी गुणवत्ता के सीपों को डालना होता है। किसान सरकारी संस्थानों या मछुआरों से सीप खरीदकर मोती की खेती शुरू कर सकते हैं। दक्षिण भारत और दरभंगा (बिहार ) के सीप की क्वालिटी काफी अच्छी होती है। इन सीपों को बाजार से खरीदा जा सकता है। मोती की खेती में संवर्धित मोती का उत्पादन किया जा सकता है। संवर्धित मोती वे हैं जिन्हें खेती करके कृत्रिम रुप से तैयार किया जाता है। वैसे मोती तीन प्रकार के होते हैं। इनमें प्राकृतिक, कृत्रिम और सुसंस्कृत मोती शामिल हैं।
मोतियों के उत्पादन के लिए शुरू की जा रही खेती में सबसे पहले तैयार तालाब में सीप को 2 से 10 दिन के लिए रखते हैं। तालाब के वातावरण में सीप का कवच और मांसपेशियां ढीली हो जाती हैं। मांशपेशियां ढीली होने पर सीप की सर्जरी कर उसके अंदर सांचा डालकर 2 से तीन दिन एंटीबॉडी में रखा जाता है। इसके बाद सीपों को साल भर के लिए तालाब में छोड़ दिया जाता है। इस दौरान सांचा जब सीप को चुभता है, तो अंदर से एक पदार्थ निकलता है, थोड़े अंतराल के बाद सांचा मोती की शक्ल में तैयार हो जाता है। आप जिस आकृति का मोती तैयारी करना चाहते है उस डिजाइन का सांचा बाजार से मंगा सकते हैं। सीप से मोती निकालने के काम में तीन गुना तक का मुनाफा हो जाता है।
मोती की खेती के लिए आप कुशल वैज्ञानिकों से प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं। कई राज्यों की सरकारें अपने स्तर पर विभिन्न संस्थानों के माध्यम से किसानों को नि:शुल्क प्रशिक्षण दिलवाती है। साथ ही मोती की खेती के लिए किए गए इन्वेस्टमेंट पर 50 प्रतिशत तक अनुदान भी देती है। वर्तमान में बाजारों के अंदर, डिजाइनर मोती की मांग ज्यादा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में मोतियों की कीमत 100 रुपए से लेकर करोड़ों रुपए तक होती है। यह मोतियों की गुणवत्ता पर निर्भर करता है। एक सीप तैयार करने में लगभग 50 रुपये का खर्च आता है। सीप तैयार होने के बाद, दो मोती निकलते हैं, मोती 250 से 400 रुपये में बिकता है, मोती की कीमत उसकी क्वाविटी पर निर्भर करती है। 500 सीप से खेती शुरू करने में लगभग 25 हजार रुपए का खर्च आता है, जिससे किसान लगभग 3 लाख रुपए तक की कमाई कर सकते हैं।
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