देवारण्य योजना: औषधीय पौधों की खेती से किसानों की बढ़ेगी आय, होगा लाभ

पोस्ट -25 अगस्त 2023 शेयर पोस्ट

औषधीय पौधों की खेती: सरकार ने शुरू की ’देवारण्य’ योजना, किसानों को मिलेंगे ये फायदे

Medicinal plants Farming : आयुर्वेद देश की सबसे प्राचीन चिकित्सा पद्धति है। देश में आयुर्वेद के माध्यम से कई नाइलाज गंभीर बीमारियों का इलाज पौराणिक काल से ही होता चला आ रहा है। देश के आयुर्वेद उत्पादों (products) की मांग देशभर सहित पूरी दुनिया में बड़े स्तर पर है। ऐसे में केंद्र सरकार (Central government) के साथ कई राज्य की सरकारें (state governments) जड़ी-बूटियों व औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा भी दे रही है। इसके लिए विभिन्न योजनाएं बनाकर किसानों को औषधीय पौधों की खेती (Medicinal plants Farming) करने के लिए प्रोत्साहित भी किया जा रहा है। 

इसी कड़ी में मध्यप्रदेश सरकार (Madhya Pradesh Government) ने औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देने के लिए ’देवारण्य योजना’ को लागू किया है। इस योजना के तहत राज्य में औषधीय पौधोंकी खेती के रकबे का विस्तार करने का काम किया जा रहा है। किसानों को औषधीय पौधों और जड़ी-बूटियों की खेती करने के लिए सरकार द्वारा मदद भी दी जा रही है। सरकार का मानना है कि इस प्रयास से राज्य के लोगों को आयुर्वेद के माध्यम से बेहतर स्वास्थ्य लाभ दिया जा सकेगा और साथ ही जनजातीय लोगों को रोजगार से भी जोड़ा जा सकेगा। वहीं, मध्यप्रदेश सरकार ’देवारण्य योजना’ ('Devaranya Yojana') के अंतर्गत इंदौर में एक आयुष सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल (Ayush Super Specialty Hospital) भी तैयार किया जाएगा। जिसमें  आयुर्वेद और यूनानी औषधि के विकास को भी बढ़ावा दिया जाएगा। आईये इस पोस्ट की मदद से पूरी खबर के बारे में विस्तार से जानें।

क्या है देवारण्य योजना?

मध्यप्रदेश सरकार द्वारा देवारण्य योजना ('Devaranya Yojana')  को लाने का मकसद राज्य में औषधीय  खेती के रकबे को बढ़ावा देना है। इसके लिए प्रदेश के 40 जिलों में जिला और ब्लॉक स्तरीय समितियों (block level committees) का गठन किया गया है। इस योजना के अतंर्गत राज्य के जनजातीय किसानों को रोजगार से जोड़ जाएगा। जंगलों में जहां औषधियों का खजाना है, वहीं जनजातीय भाई-बहन इनका महत्व और उपयोग समझते हैं। जहां एक और इस योजना के माध्यम से औषधियों के खजाने को बचाना है वहीं दूसरी और जनजातीय वर्ग के इस पारंपरिक ज्ञान को आगे बढ़ाकर लोगों तक इसका स्वास्थ्य फायदा पहुंचाना है। इसके लिए मनरेगा द्वारा जनजातीय भाई-बहनों को 51 तरह के औषधीय पौधों की खेती करने में मदद भी की जाती है। प्रदेश सरकार ने इसके लिए औषधीय पादप बोर्ड का गठन भी किया गया है।  

योजना के तहत ये विभाग मिलकर करेंगे काम 

राज्य सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि देवारण्य योजना के माध्यम से जनजातीय क्षेत्रों में करीब 7 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में औषधीय पौधे लगाए हैं, जो जनजातीय वर्ग के किसानों की जिंदगी में बड़ा बदलाव लाएंगे। वहीं, औषधीय पौधों के उत्पादन की बि‍क्री के लिए अब तक करीब 600 से अधिक किसान भाई-बहनों ने नीमच कृषि उपज मंडी में अपना पंजीयन करवाया है। अधिकारियों ने कहा देवारण्य योजना के माध्यम से आयुष औषधीयों के उत्पादन की एक पूरी वैल्यू चेन के विकास की कोश‍िश जारी है। जिसके माध्यम से किसान अपने औषधीय उत्पादन की बिक्री भी कर पाएंगे। इस योजना के अंतर्गत स्व-सहायता समूहों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। इसमें आयुष विभाग, वन विभाग, कृषि उत्पादक संगठन, ग्रामीण विकास विभाग, पर्यटन विभाग, कृषि विभाग, उद्यानिकी विभाग, सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग, औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग और जनजातीय कार्य विभाग मिलकर एक साथ मिशन मोड में काम करेंगे। 

नये आयुष हेल्थ और वेलनेस सेंटर्स की स्थापना 

सरकार के अधिकारियों ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन भारत में ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मैडिसिन्स बनाने जा रहा है। अधिकारियों से कहा ऐसे प्रयास किए जाएंगे कि यह एमपी में बने। प्रदेश में 360 से अधिक नये आयुष हेल्थ और वेलनेस सेंटर्स की स्थापना की जा रही है। इंदौर और भोपाल में आयुष सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल बनाए जा रहे हैं। राज्य के आयुर्वेदिक एवं यूनानी औषधालयों का विकास भी किया जा रहा है। आयुष दवाओं के अनुसंधान और‍ विकास पर अधिक से अधिक जोर दिया जा रहा है। राज्य द्वारा गठन किए गए राज्य औषधीय पादप बोर्ड के माध्यम से औषधीय पौधों के भंडारण, संरक्षण  और मार्केटिंग के लिए दवाईयों का निर्माण करने वाली आयुर्वेद कंपनियों से एमओयू साइन करने के प्रयास भी किया जा रहा हैं। जिससे जनजातीय वर्ग के  किसान भाई-बहनों को अच्छा लाभ मि‍ले सकेगा। 

औषधीय पौधों की पैदावार बढ़ाने के प्रयास 

सरकार के अधिकारियों ने कहा कि विश्व में आयुष दवाओं का बहुत बड़ा बाजार है। इस बाजार में भारत चीन के बाद सबसे बड़ा दवाओं का निर्माता है। आज के वक्त में इसके लिए कच्चे माल यानी औषधीय और सुगंधित जड़ी-बुटी पौधों की अधिक मांग है। पौधों स दवाईयों का निर्माण करने वाले उद्योगों ने इसका एडवांस ऑर्डर दिया हुआ है। जनजातियां और आदिवासी वर्ग के लोग यह जानते हैं कि इन पौधों का संरक्षण और उत्पादन कैसे बढ़ाया जाए। मध्य प्रदेश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का करीब 37 प्रतिशत क्षेत्र वन आधारित है। इनमें बड़ी मात्रा में दुर्लभ औषधीय और सुगंधित पौधे पाए जाते हैं। देवारण्य योजना द्वारा प्रदेश में प्राकृतिक रूप से उपलब्ध इन पौधों के संरक्षण और वैज्ञानिक रूप से उनके दोहन एवं भंडारण स‍िस्टम का विकास किया जा रहा है। इस योजना के अंतर्गत राज्स सरकार के विभिन्न विभागों के साथ मिलकर औषधीय पौधों की पैदावार बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। विभिन्न जलवायु क्षेत्रों में औषध्यीय एवं सुगंधित पौधों के उत्पादक किसानों को एकीकृत कर उन्हें प्रशिक्षित करने की भी व्यवस्था की गई है।  

देवारण्य योजना के ये किसान होंगे पात्र

अधिकारियों ने कहा कि प्रदेश में वैलनेस टूरिज्म को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए गांवों की सुंदर वादियों में देवारण्य योजना के अंतर्गत औषधीय पौधों की खेती करने के लिए आदिवासी और जनजातीय वर्ग के किसानों को प्रेरित किया जा रहा है।  जिससे आयुष और पर्यटन को साथ-साथ लाया जाएगा। इस योजना के तहत किसानों की हर तरह से मदद सरकार द्वारा की जा रही है। देवारण्य योजना के तहत राज्य के जनजातीय और आदिवासी वर्ग के किसानों को ही लाभ दिया जा रहा है। यानी इस योजना के तहत केवल आदिवासी और जनजातीय लोग ही लाभ उठा सकेगें। साथ ही किसानों एवं महिलाओं को स्वयं सहायता समूह का सदस्य भी होना जरूरी है। इसके अलावा आवेदक किसान भाई-बहन के पास औषधियों और सुगंधित  पौधों का अच्छा ज्ञान भी होना जरुरी है।

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