हल्दी की खेती में इस बार होगा ज्यादा मुनाफा, जानें कैसे करें हल्दी की बुवाई

पोस्ट -08 जुलाई 2023 शेयर पोस्ट

हल्दी के भावों में वृद्धि : कीमत बढ़ने से अधिक रकबे में होगी हल्दी की फसल

भारत में कृषि एक प्रमुख व्यवसाय है। देश के करोड़ों किसानों की आजीविका खेती-बाड़ी है। खेती आज के युग में तभी ज्यादा लाभदायक रहती है जब किसान नई सोच के साथ ऐसी फसलों की खेती करें जो व्यापारिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हों। परंपरागत फसलों के अलावा अगर किसान भाई मसाले वाली फसलों की खेती करें तो इनमें ज्यादा फायदा हो सकता है। इस बार हल्दी की फसल किसानों की तकदीर बदल सकती है। कुछ दिन पहले तक हल्दी के भावों में गिरावट देखी जा रही थी लेकिन अब इसके भाव काफी चढ़ गए हैं, आने वाले समय भी इनके स्थिर बने रहने की संभावनाएं जताई जा रही हैं क्योंकि मौसम की मार से पिछले सीजन की हल्दी की फसल को काफी नुकसान हुआ था जिससे बाजार में हल्दी की आपूर्ति में कमी आती चली गई। इससे हल्दी के भाव लगातार बढ़ते जा रहे हैं। हल्दी के बाजार भावों में आए बूम के कारण किसानों में भारी उम्मीद जगी है और वे पहले से ज्यादा रकबे में हल्दी की बुआई करने की सोच रहे हैं। भारत के कई राज्यों में कुछ दिन बाद ही हल्दी की बुआई शुरू हो सकती है। यहां ट्रैक्टर गुरू पर इस आर्टिकल में किसान भाइयों को हल्दी की फसल के बारे में फुल जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है। इसे अवश्य पढ़ें और शेयर करें।

अच्छी बारिश हल्दी की खेती के लिए वरदान

इस बार मानसून की शुरूआत में ही भारत के अधिकांश प्रांतों में अच्छी बारिश हो रही है जबकि पिछली बार कई जगह कम बारिश के कारण हल्दी और अन्य कई फसलों के उत्पादन पर बुरा असर पड़ा था। इससे पैदावार भी घटी और किसानों को हल्दी के मनचाहे भाव भी नहीं मिल सके। इस बार समय पर बारिश होने से किसान खुश दिखाई दे रहे हैं। वे हल्दी की फसल उगाने की तैयारी कर रहे हैं। बता दें कि कई सालों बाद इस साल हल्दी के भाव इतने चढ़े कि इसका जादू किसानों के सिर चढ़ कर बोल रहा है। वहीं लगातार बारिश को होना भी हल्दी की फसल के प्रति किसानों में नई आशा का संचार कर रहा है। वे मौका चूकना नहीं चाहते हैं। इधर कृषि विशेषज्ञों की माने तो हल्दी की फसल के लिए पर्याप्त वर्षा का होना वरदान के समान है।

जुलाई के अंत तक बोई जा सकती है हल्दी

हल्दी की फसल की बुआई का सही समय कब तक है? इस संबंध में किसान भाइयों को बता दें कि हल्दी जुलाई माह  के अंत तक बो सकते हैं।  तमिलनाडु, कर्नाटक और  महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में हल्दी की बुआई की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इन राज्यों में पिछली बार से ज्यादा कृषि क्षेत्र में हल्दी की खेती की जा रही है। इससे हल्दी का रकबा रिकवर होने की पूरी संभावना है।

हल्दी के भावों में वृद्धि के मुख्य कारण

हल्दी के भावों में अचानक कैसे तेजी का दौर आया है , इसके पीछे कई कारण हैं। सबसे पहला कारण तो यही है कि मार्च-अप्रैल 2023 में बेमौसम की बारिश से खेतों में खड़ी हल्दी की फसल को भारी नुकसान हुआ। इसके अलावा हल्दी की तैयार फसल के दौरान मार्च- अप्रैल में हल्दी की अधिक फसल वाले राज्य महाराष्ट में लगातार 8 से 10 दिनों तक बारिश होती रही। इससे हल्दी को सूखाने का मौका ही किसानों को नहीं मिल पाया और फसल खराब होने लगी। सरकारी आंकड़ों पर गौर किया जाए तो अकेले महाराष्ट्र में ही 35,000 से 40,000 टन हल्दी का नुकसान हो गया। मराठवाड़ा में तो हल्दी की पूरी की पूरी फसल ही तबाह हो गई थी। जो बची उसका रंग लाल हो गया और उसकी बाजार कीमत बहुत कम मिल सकी। इसके अलावा हल्दी के भावों में इस बार तेजी का एक अन्य कारण यह भी रहा कि दक्षिण-पश्चिम मानसून की आवक में देरी से हुई। इससे किसानों ने हल्दी की खेती से मन खींच लिया। हल्दी के बदले किसी अन्य फसल की बुआई पर ध्यान दिया। इससे पैदावार गिरने की आशंका बढ़ी लेकिन इसका असर यह हुआ कि बाजार में हल्दी के भावों में तेजी शुरू हो गई जो अभी तक जारी है।

ये हैं हल्दी की टॉप 5 किस्में

हल्दी की अच्छी किस्मों की खेती किसानों को अधिक उत्पादन देगी और इनका बाजार भाव भी ज्यादा मिलेगा। भारत में हल्दी की टॉप 5 किस्मों में सुगंधम, आरएच 5, सुदर्शन,सोरमा  और पीतांबर हैं। किसान भाई इन किस्मों में से अपने क्षेत्र की जलवायु और मिट्‌टी की उपजाऊ शक्ति  के अनुसार कृषि विशेषज्ञों की राय से कोई एक किस्म चुनें और वैज्ञानिक तरीके से हल्दी की खेती करें। इससे किसानों को हल्दी की खेती में मुनाफा ही मुनाफा होगा।

काली हल्दी की फसल पर मिलती है 50 प्रतिशत सब्सिडी  

अगर आप हल्दी की फसल की खेती करना चाहते हैं तो इस बार इस औषधीय और मसाला फसल की नई किस्म उगाएं। यह है काली हल्दी। इसकी खेती के लिए सरकार 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी भी प्रदान करती है। किसान इस हल्दी की खेती कर दोहरा मुनाफा कमा सकते हैं। सरकार से सब्सिडी मिलेगी और हल्दी की बढिया पैदावार से आपको जमकर मुनाफा होगा सो अलग। काली हल्दी की मांग बाजार में काफी रहती है यह हल्दी औषधियों में काम आती है। यह एंटीबायोटिक गुणों के कारण जड़ी-बूटी के रूप में उपयोग की जाती है। इसके अलावा पाचन, घाव, मोच, लीवर आदि से संबंधित रोगों में भी इसका इस्तेमाल होता है। इसकी बुआई का सीजन शुरू हो चुका है। यह जून जुलाई तक रहता है।

कैसे करें काली हल्दी की रोपाई ?

काली हल्दी की खेती के लिए कंदों  को प्रत्येक कतार में 20 से 25 सेंटीमीटर की दूरी पर रोपें। कतार से कतार की दूरी दो फीट रहनी चाहिए। कंद जमीन में 7 सेमी की गहराई में लगाने चाहिए।

एक एकड़ में 40-50  लाख की हल्दी की पैदावार

आपको जानकार अचंभा हो सकता है कि काली हल्दी की पैदावार कितनी होती है। यह हल्दी 1 एकड़ जमीन में 50 से 60 क्विंटल गीली और 12 से 15 क्विंटल सूखी हल्दी के रूप में हो सकती है। इससे किसानों को करीब 50 लाख रुपये की शुद्ध आमदनी होगी।

हल्दी के वर्तमान भावों पर एक नजर 

भारत में हल्दी के बाजार भावों के वर्तमान दरों  के अनुसार इसका औसत भाव 6660 रुपये प्रति क्विंटल है। वहीं न्यूतम भाव 3012 रुपये प्रति क्विंटल है। हल्दी के सबसे उच्च भाव देश की कई मंडियों में 8350 तक रहे। कमोडिटी मार्केट में लगातार चर्चा है कि आगामी दिनों में हल्दी के भाव 8000 रुपये प्रति क्विंटल को पार कर सकते हैं। 

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