भारत के दक्षिण-पश्चिमी राज्यों में नारियल एवं सुपारी का उत्पादन मुख्य से होता हैं। भारत के इन समुद्र तटीय राज्यों में नारियल एवं सुपारी के उत्पादन में किसानों को काफी मेहनत करती पड़ती हैं। क्योंकि नारियल और सुपारी के पेड़ आमतौर पर अन्य पेड़ों की तुलना में काफी लंबे होते हैं। इन पेड़ों से उत्पादन प्राप्त करने के लिए किसानों को पेड़ों पर चढ़ने एवं उतरने में काफी मेहनत करना पड़ता है। कई बार तो इनके उत्पादन को समय पर पेड़ उतारने के लिए दूर-दूर से मजदूरों को बुलाया जाता है, जिसमें किसानों का काफी वक्त और पैसा दोनों ही खर्च होते हैं। ऐसे में हम आपके लिए इस पोस्ट में पेड़ पर चढ़ने वाले एक अनोखे ट्री स्कूटर की जानकारी लेकर आये हैं। यह अनोखा ट्री स्कूटर आपको कुछ ही सेकंड में नारियल एवं सुपारी के लंबे-लंबे पेड़ों पर सरलता से झट-पट चढ़ा देगा। यह देशी जुगाड़ नारियल एवं सुपारी उत्पादक किसानों की पेड़ पर चढ़ने -उतरने में मेहनत और खर्च को आधे से भी कम करने में मदद करेगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कर्नाटक के मंगलुरू के रहने वाले 50 वर्षीय किसान गणपति भट्ट सुपारी की खेती करते हैं। ऐसे में उन्हें पेड़ो से फल उतारने के लिए नियमित तौर रूप से तकरीबन 60 से 70 फुट के ऊंचे सुपारी के पेड़ों पर चढ़ना एवं उतरना पड़ता था, जिसमें उन्हें काफी मेहनत भी करनी पड़ती था और इन कामों में उनका समय भी अधिक लगता था। साथ ही फल उतारने का यह काम काफी जोखिम भरा भी होता था। किसान गणपति भट्ट का कहना है कि बढ़ती उम्र और महंगे मजदूरों के कारण फल उतारने का काम समय के साथ जोखिम भरा और खर्चीला होता जा रहा था। इन सब समस्या को ध्यान करते हुए इस देसी जुगाड़ बनाने का आइडिया आया। भट्ट कहते हैं कि उन्होंने अपने इस आइडिया पर काम करना शुरू कर एक पड़े पर चढ़ने वाले इस स्कूटर का आविष्कार कर दिया।
किसान गणपति भट्ट कर कहना है कि पेड़ पर चढ़ने वाला यह ट्री स्कूटर आपको कुछ ही सेकंड में लंबे-लंबे पेड़ों की चोटी पर आसानी से पहुंचा देगा। इस स्कूटर पर बैठकर आप सिर्फ 30 सेकंड में ही लंबे-लंबे पेड़ों पर आसानी से चढ़ सकते हैं। उनका कहना है अब वह अपने इस स्कूटर पर बैठकर सुपारी के पेड़ पर झट-पट चढ़ जाते हैं और कुछ ही मिनटों में फल नीचे उतार लाते हैं। इस स्कूटर से उनकी इस काम में लगने वाली घंटों की मेहनत अब कुछ मिनटों की हो गई है।
कर्नाटक के मंगलुरू के रहने वाले 50 वर्षीय किसान गणपति भट्ट बताते हैं कि उनके द्वारा इजाद किए पेड़ पर चढ़ने वाले इस स्कूटर को उन्होंने ‘ट्री स्कूटर’ नाम दिया हैं। उन्होंने इस ‘ट्री स्कूटर’ में एक छोटी मोटर, बैठने के लिए एक सीट और दो पहिए लगाए हैं। इस स्कूटर के हैंडल से उन्होंने एक सीट बेल्ट भी जोड़ी है, जिसकी मदद से कोई भी इस स्कूटर पर बैठ कर पेड़ की चोटी तक आसानी से चढ़ सकता है। उन्होंने कहा कि अक्सर बारिश के दिनों में पेड़ के तने काफी ज्यादा चिकने हो जाते हैं, जिसके कारण पेड़ों पर चढ़ना काफी जोखिम भरा हो जाता है। कई बार तो किसानों को बारिश के दिनों में पेड़ों से फल उतारने का काम भी रोकना पड़ता है, जिससे उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ता है। किंतु अब इस स्कूटर की मदद से किसान बारिश के दिनों में भी पेड़ों पर चढ़कर अपना काम बखूबी कर सकते हैं। क्योंकि इसे पेड़ों के चिकने होने से भी कोई फर्क नहीं पड़ता है।
गणपति भट्ट बताते हैं कि उन्होंने इस स्कूटर का आविष्कार अपने घर पर ही किया है। उन्होंने इस स्कूटर को बनाने काम साल 2014 में शुरू किया था। यह स्कूटर पूरे 4 साल में करीब 40 लाख रुपए की लागत खर्च पर बनकर तैयार हुआ। उन्होंने कहा कि इस होममेड पेड़ पर चढ़ने वाले स्कूटर की कीमत फिलहाल तकरीबन 62,000 रुपए हैं। अभी तक इस होममेड स्कूटर की लगभग 300 यूनिट बाजार में बेची जा चुकी हैं। इस स्कूटर से अन्य सुपारी एवं नारियल उत्पादक किसानों को लाभ पहुंचे इसके लिए इसकी कीमत को बेहद किफायती रखा गया है।
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