भारत में परंपरागत खेती के अलावा बागवानी के अंतर्गत फलदार पौधे लगाना किसानों के लिए कुछ ही सालों में लाखों की कमाई का जरिया बन सकते हैं। अमरूद की खेती करना भी खासे मुनाफे का सौदा है। अमरूद की खेती कम जमीन पर भी की जा सकती है। एक बार अच्छी नस्ल के अमरूदों के पौधे लगा दिए जाए और वे पेड़ के रूप में विकसित हो जाएं तो करीब 30 साल तक फल देते हैं। अमरूद के पेड़ में एक साल में दो बार फल लगते हैं, और इससे लाखों रुपये की आमदनी होती है। बेहतर किस्म के अमरूद किसानों को मालामाल कर सकते हैं। अमरूद या अन्य फल अथवा फूलों की खेती पर सरकार की ओर से आकर्षक सब्सिडी भी प्रदान की जाती है। यदि आप भी अमरूद की खेती करना चाहते हैं तो यहां ट्रैक्टर गुरू की इस पोस्ट में आपको अमरूद की 10 ऐसी उम्दा किस्मों के बारे में पूरी जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है जो भारत में सबसे ज्यादा मुनाफा प्रदान करने वाली मानी जाती हैं।
भारत में अमरूद की सबसे बेस्ट किस्मों में 10 किस्में ऐसी हैं जिनकी खेती करने पर किसानों को कुछ ही सालों में धन की कमी नहीं आ सकती। ये किस्में इस प्रकार हैं-
अमरूद की इन किस्मों की अलग-अलग जानकारी यहां दी जा रही है। किस किस्म के क्या गुण हैं, कितनी पैदावार देती है, इन किस्मों की पहचान क्या है आदि के बारे में जानिए-:
1.लखनऊ-49 (सरदार )
अमरूद की यह किस्म छोटे कद की होती है। इसमें शाखाएं अधिक फैलावदार होती हैं। इसमें एक पेड़ में 50 से 60 किलोग्राम तक अमरूद की फसल होती है। इस किस्म के अमरूदों का स्वाद मीठा और अच्छा होता है। इन अमरूदों की स्टोरेज कैपेसिटी भी ज्यादा होती है। अधिक दिनों तक इन्हे स्टोर किया जा सकता है।
2.इलाहाबादी सफेदा
यह अमरूद की नस्ल लंबे और सीधे पेड़ों वाली होती है। इनमें गोल चमकदार और सफेद गूदे के अमरूद आते हैं। इनकी भंडारण क्षमता अच्छी होती है। एक पेड़ से 50 किलोग्राम तक फल मिल सकते हैं। इनकी बाजार रेट ज्यादा होने से ये अधिक मुनाफा प्रदान करते हैं।
3.ललित अमरूद
यह भी अमरूदों की बेहतरीन किस्म है। इनका कलर सेब के रंग की तरह होता है। इनका गूदा लाल और खाने में स्वादिष्ट होता है। यह किस्म भी अधिक पैदावार देती है। पौधरोपण के करीब 6 साल बाद इनमें फल लगना शुरू होता है। एक पेड़ में करीब 100 किलोग्राम तक फल आ जाते हैं। इनका वजन प्रति अमरूद करीब 185 से 200 ग्राम होता है।
4.श्वेता अमरूद
इस तरह की अमरूद की किस्म ज्यादा पैदावार देती है। इसका पौधा मध्यम आकार का होता है। इसे फल कम बीज वाले, गोल और मुलायम होते हैं। ये किस्म पीले रंग की आकर्षक आकार की होती है जिसमें कहीं-कहीं लालिमा उभर आती है।
5.हिसार सफेदा
यह किस्म अच्छी बढ़ती है। इसे इलाहाबाद सफेदा और सीडलैस अमरूद के पराग कणों द्वारा तैयार किया गया है। इसके पेड़ सीधे बढ़ते हैं। फल गोल और चमकदार होते हैं। इसमें बीजों की मात्रा कम होती है। फलों में ज्यादा मिठास होती है। इनका गूदा गुलाबी रंग का होता है। ये खाने में स्वादिष्ट होते हैं। इनकी बाजार में खासी मांग रहती है जिससे किसानों को ज्यादा कमाई होती है।
6.हिसार सुरखा
अमरूद की यह किस्म बनारसी सुरखा के पराग कणों और संकर किस्म की एपल कलर वाले अमरूद की मिक्स नस्ल है। इसके पेड़ अधिक दूरी तक फैलते हैं। इनके छिलके का रंग पीला होता है। इनमें गूदा गुलाबी रंग का होता है।
7.ताईवान सफेदा
अमरूद की यह किस्म भारत के ऊष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में होती है जहां पानी की कमी होती है लेकिन यह किस्म सदाबहार है। इसके फूल सफेद रंग के होते हैं और इसके फल खाने में बेहद स्वादिष्ट होते हैं।
8.अर्का अमूल्य अमरूद
इस किस्म के अमरूदों के पौधे पेड़ बनने पर काफी दूरी तक फैलते हैं। इसमें ज्यादा शाखाएं विकसित होती है। इनमें जो फल लगते हैं उनका वजन 200 ग्राम तक हो सकता है। फलों का स्वाद मीठा होता है। इनका गूदा ठोस एवं सफेद रंग का होता है। यह किस्म ज्यादा समय तक टिकती है।
9.वीएनआर विही
अमरूद की यह किस्म वीएनआर समूह के चेयरमैन एवं कृषि विशेषज्ञ डा. नारायण चावड़ा द्वारा विकसित की गई है। इस किस्म के अमरूद की खेती देश के अनेक प्रांतों में की जाती है। इस किस्म के अमरूदों का आकार बड़ा होता है। इसमें बीजों की मात्रा कम होती है। इसका उत्पादन काफी अच्छा होता है। इसका स्वाद मिठास वाला होता है। इसके बाजार भाव भी ज्यादा होते हैं। इसलिए यह किस्म किसानों के लिए अधिक मुनाफा देने वाली है।
10.चित्तीदार अमरूद
अमरूद की यह किस्म लाल रंग के धब्बों वाली होती है। इसके फल अंडाकार, चिकने, हल्के पीले रंग के होते हैं। इसका गूदा मुलायम और सफेद होता है। इनका स्वाद सुवासयुक्त मीठा होता है।
अमरूद की खेती के लिए केंद्र और राज्य सरकारें राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत सब्सिडी प्रदान करती है। यदि बिहार की बात की जाए तो यहां अमरूद की खेती के लिए सरकार की ओर से 60 प्रतिशत तक सब्सिडी प्रदान की जाती है। इसके लिए प्रति हेक्टेयर लागत 1 लाख रुपये तय की गई है। किसानों को एक हेक्टेयर पर 60,000 रुपये अनुदान मिलता है।
बिहार में इस बार बड़े पैमाने पर फलों की खेती की जाएगी। उद्यान विभाग की ओर से राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत इस वर्ष नालंदा में फलों की खेती के लिए लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं। यहां किसानों से आवेदन लेने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसमें अमरूद, केला और आम की खेती की जाएगी। किसानों को इन फलदार पौधों पर 50 प्रतिशत की सब्सिडी दी जाएगी।
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