भारतीय खानें में प्याज एक अहम सब्जियों में से एक है। इसका इस्तेमाल लोग सब्जी और सलाद में करते है। प्याज का उपयोग औषधियों के रूप में भी किया जाता हैं। प्याज का उपयोग पीलिया, कब्ज, बवासीर और यकृत सम्बंधी रोगों में बहुत लाभकारी हैं। भारत का प्याज गुणवत्ता में अच्छा होता हैं। यह आमतौर तीन किस्म की होती है। जैसे सफेद रंग के प्याज, लाल रंग के प्याज और पीले रंग वाली प्याज आदि । प्याज की खेती आमतौर पर मैदानी व मध्य पर्वतीय क्षेत्रों में रबी के मौसम में और कई क्षेत्रों में खरीफ के मौसम में भी इसकी खेती की जाती हैं। प्याज भारत की एक महत्वपूर्ण व्यवसायिक फसल हैं, जिसकी मांग विदेशों में तक है। क्या आप ने कभी हरे प्याज के बारे में सुना है या देखा है नहीं ना, तो आज हम आपको हरे प्याज के बारे में जानकारी देने जा रहे है। यदि आप पारम्परिक खेती को छोड़ किसी दूसरी फसल की खेती करना चाहते हैं, तो हरे प्याज की खेती आपके लिए एक अच्छा विकल्प साबित हो सकती है। और इसकी व्यापारिक खेती कर अच्छा पैसा कमाया जा सकता हैं। हरे प्याज को कंदीय फसल के नाम से भी जाना जाता हैं। जिसकी जड़ या कंद छोटी होती है। इसकी पत्तियाँ लहसुन की पत्तियों के जैसे लम्बे चौड़े सीधी और नुकीले और तना सफेद होता है। यह प्याज का प्रारंभिक रुप होता है। इसे यूरोपियन देशों में मुख्यतः सलाद और सब्जी के लिए उगाया जाता है। भारत में भी कई हिस्सों में इसे व्यापरिक खेती के रुप में सूप, सलाद और सब्जी के लिए उगाया जाता है। हरे प्याज को सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में और इसके अलावा कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में इसकी खेती साल में 2 बार नवंबर और मई में की जाती है।
हरे प्याज की खेती मुख्य रुप से सलाद, सूप और सब्जी के लिए की जाती है। इसकी व्यापारिक खेती से अधिक पैदावर के लिए वैज्ञानिक सुझाव का अधिक महत्व हैं। यदि इसकी खेती मिट्टी, अनुशंसित किस्म को ध्यान में रखते हुए की जाए तो पैदावार अधिक होगी। साथ ही हरे प्याज की खेती से काफी बढि़या मुनाफा भी मिल सकता है। हरे प्याज खेती में आपको शुरू में थोड़ी सी मेहनत जरुर करनी पड़ेगी। उसके बाद इससे आप
काफी लाभ प्राप्त कर सकेंगे। बाजार में हरे प्याज की होलसेल मांग काफी बढ़ गई है। शादी, पार्टी, रेस्टोरेंट और होटलों आदि में आप सीधे तौर पर अपनी पैदावार की आपूर्ति कर सकते हैं।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने मौसम आधारित हरे प्याज की खेती के लिए कुछ सलाह जारी किए हुए है। यदि इन सलाह के हिसाब से थोड़ा सावधानी से हरे प्याज को उगाया जाए, तो बढि़या उत्पादन संभव हैं। हरे प्याज की खेती के लिए ठंडी जलवायु उपयुक्त होती हैं। हरे प्याज को सितंबर से नवंबर के महीने तक ठंड के मौसम में बोया जाता है। इसकी अच्छी उपज के लिए 20 डिग्री. से. से 27 डिग्री. से. के तापमान को उपयुक्त माना है।
हरे प्याज की खेती से अच्छी पैदावार लेने के लिए 5 से 6.5 के बीच पी.एच. मान वाली जीवांश युक्त हल्की दोमट मिट्टी या हलकी बलुई भूमि का चुनाव करे। इस प्रकार की भूमि को इसकी खेती के लिए उपयुक्त माना गया है। भूमि तैयार करने से पहले आपने खेत की मिट्टी एवं जल का कृषि विभाग के वैज्ञानिकों से जॉच अवश्य करवा लें। इससे आपको भूमि में पोषक तत्वों की अधिकता और कमी का पता चल जाएगा। रोपाई से पहले खेत को ट्रैक्टर में देशी हल जोड़कर 2 से 3 गहरी जुताई करे। पहले प्रति एकड़ खेत में 30-35 टन सड़ी गोबर की खाद डालें। इसी तरह 20 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60-70 किलोग्राम फॉस्फोरस तथा 80-100 किलोग्राम पोटाश आखिरी जुताई में डालें।
हरे प्याज के खेत में बुवाई के लिए 6 से 7 किलोग्राम प्रति हेक्टर बीज की आवश्यकता होती है। बुवाई से एक महीने पहले पौधे तैयार करना चाहिए। पौधे तैयार करने के लिए बीज को तैयार क्यारियों में बोआ जाता है। दो पंक्तियों के बीच 4-5 सेंटीमीटर की दुरी और दो बीज के बीच 1-2 मिलीमीटर की दूरी होनी चाहिए। तैयार पौधों को छोटी क्यारियों में रोपाई करें, रोपाई अधिक गहराई में न करें। कतार से कतार की दूरी 10 से 15 सेंमी एवं पौधों से पौधों की दूरी 8 से 10 सेंमी रखें। इससे अधिक पैदावार प्राप्त होगी।
हरे प्याज की खेती लिए खाद, किटनाशक और सिंचाई की अधिक आवश्यकता होती है। पोटास और फास्फोरस की पूरी मात्रा और नाइट्रोजन की आधी मात्रा खेत की अंतिम तैयारी या प्याज रोपने से पहले खेत में डालनी चाहिए। और बाकि नाइट्रोजन की मात्रा को दो बार छिड़काव प्रति हेक्टेयर के हिसाब से करनी चाहिए। हरे प्याज की खेती के लिए कुल 8 से 10 सिंचाई की आवश्यकता होती है। पहली सिंचाई रोपाई के 10 से 15 दिन पश्चात नमी के हिसाब से करें। वहीं गर्मी के समय में 10 से 15 सिंचाई की आवश्यकता होती है।
खरपतवार नियंत्रण- खरपतवार, जंगली घास फूस आदि के लिए नियंत्रण के लिए 2 किग्रा. वासालीपन प्रति हेक्टेयर की दर से भूमि में छिड़कर मिला दें, इसके अलावा 2.5 किग्रा टेरोनेरान प्रति हेक्टेयर की दर से 800 लीटर पानी में मिलाकर रोपाई के 20 से 25 दिनों बाद छिड़काव करना चाहिए। समय-समय पर जरूरत के हिसाब से खरपतवार नियंत्रण करते रहे।
किट और रोग का नियंत्रण - हरा प्याज की फसल को बैगनी धब्बा रोग काफी हानि पहुंचता है। इस रोग के कारण अधिक मात्रा में प्याज गल जाती है। यह रोग पत्तियों पर दिखाई देता है। इस रोग से बचाव के लिए फफंुदनाशक दवा जैसे कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का छिड़काव रोपाई के 5 हफ्ते के अंदर ही करे।
खेती से पैदावार - हरे प्याज को इसके हरे पत्तियां और कच्चे कंदीय फल के लिए उगाया जाता है। इसलिए जब इसका तना 2.5 से 3.5 सेंटीमीटर मोटा हो जाये तो उखाड़ लेना चाहिए। हरे प्याज के एक पौधे से पत्तियाँ सहित लगभग 135 से 150 ग्राम पैदावार मिल सकती है। इसके प्रति हेक्टर खेत से करीब 450 से 550 क्विंटल की पैदावार प्राप्त कर सकते है।
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