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नैनो डीएपी: खेती में फर्टिलाइजर खर्च होगा आधा, किसानों को होगी हर साल लाखों की बचत

नैनो डीएपी: खेती में फर्टिलाइजर खर्च होगा आधा, किसानों को होगी हर साल लाखों की बचत
पोस्ट -03 मई 2023 शेयर पोस्ट

नैनो डीएपी फर्टिलाइजर जानें किसानों के लिए कैसे साबित होगा फायदेमंद 

देश के करोड़ों किसानों को राहत पहुंचाते हुए केंद्र सरकार ने नैनो डीएपी फर्टिलाइजर को जारी कर दिया है। बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इफको के नैनो (तरल) डीएपी फर्टिलाइजर को कमर्शियल बिक्री के लिए जारी करते हुए कहा कि आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत कृषि क्षेत्र में नए क्रांतिकारी दौर की शुरुआत हुई है। कृषि के लिए नैनो यूरिया के बाद अब स्वदेशी नैनो डीएपी (तरल) फर्टिलाइजर बोतल में उपलब्ध होगी। इफको नैनो डीएपी (तरल) फर्टिलाइजर से किसानों को काफी फायदा होगा। नैनो डीएपी के प्रयोग से जहां खेती में डीएपी फर्टिलाइज की लागत कम होगी, वहीं सरकार को खाद सब्सिडी पर भी बचत होगी। इफको नैनो डीएपी (तरल) फर्टिलाइजर से देश फर्टिलाइजर के क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर बनेगा। आईये ट्रैक्टर गुरू के इस लेख से माध्यम से इस पूरी खबर के बारे में जानते हैं। 

New Holland Tractor

कृषि में घटेगी लागत

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि बोतल बंद इफको नैनो डीएपी (तरल) फर्टिलाइजर दानेदार डीएपी की तुलना में आधे से भी कम कीमत पर किसानों को उपलब्ध होगी। पारंपरिक दानेदार डीएपी (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) के 50 किलो की एक बोरी की कीमत 1350 रुपए है, जबकि नैनो तरल डीएपी की 500 एमएल की एक बोतल कीमत करीब 600 रुपए है। स्वदेशी नैनो डीएपी (तरल) के प्रयोग से खेती में किसानों को आधे से अधिक की बचत होगी और आयात पर निर्भरता घटेगी। नैनो डीएपी की आधा लीटर की एक बोतल पारंपरिक डीएपी के लगभग 50 किलो की एक बोरी की आवश्यकता को पूरा करने के लिए उपयुक्त है।

पारंपरिक डीएपी को करेगा रिप्लेस

केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री ने कहा है कि नैनो डीएपी तरल के 500 एमएल की बोतल में 8 प्रतिशत नाइट्रोजन एवं 16 प्रतिशत फास्फोरस है, जिसकी वजह से यह लगभग एक बोरी पारंपरिक दानेदार डीएपी को रिप्लेस करेगा। इफको को नैनो यूरिया एवं नैनो डीएपी (लिक्विड) फर्टिलाइज के लिए 20 वर्ष तक का पेटेंट मिला है, जिसके तहत नैनो यूरिया और नैनो तरल डीएपी की बिक्री पर 20 प्रतिशत तक रॉयल्टी इफको को प्राप्त होगी। इफको द्वारा नैनो डीएपी (लिक्विड) की 18 करोड़ बोतल के उत्पादन से वर्ष 2025-26 तक लगभग 90 लाख मीट्रिक टन पारंपरिक डीएपी का बोझ कम किया जा सकता है। नैनो डीएपी तरल का भी पहला सयंत्र कलोल, गुजरात में लगा है। उन्होंने कहा कि एक साल के भीतर नैनो यूरिया के तीन संयंत्रों को चालू कर दिया गया है, जिससे अभी छह करोड़ तीन लाख बोतल की आपूर्ति की जा रही है। इफको अपनी कलोल इकाई में प्रति दिन 500 एमएल की दो लाख बोतलों की उत्पादन क्षमता के साथ एक नैनो डीएपी (तरल) संयंत्र स्थापित कर रहा है। 

विदेशी मुद्रा की होगी बचत 

शाह ने कहा कि देश में फर्टिलाइजर का कुल उत्पादन 384 लाख मीट्रिक टन हुआ है, जिसमें 132 लाख मीट्रिक टन उत्पादन का योगदान सहकारी समितियों ने दिया है। इसमें 90 लाख मीट्रिक टन उर्वरकों का उत्पादन अकेले इफको ने किया है। इससे यूरिया का आयात कम हुआ है, जिससे यूरिया पर सब्सिडी में सरकार को भारी बचत के साथ आयात पर होने वाले खर्च में बचत होगी। उन्होंने कहा कि देश में प्रति वर्ष डीएपी फर्टिलाइजर की खपत लगभग 90 लाख मीट्रिक टन है, जिसका आधे से ज्यादा का आयात विदेशों से होता है। इफको के लिक्विड नैनो डीएपी की 500 एमएल की बोतल को एक 50 किलो के बैग की जगह प्रयोग किया जाता है। इससे सरकार को आयात कम करना पड़ेगा, जिससे विदेशी मुद्रा की भी बचत होगी। 
 
यूरि‍या का आयात हुआ कम 

केंद्रीय गृह शाह ने नैनो यूरिया की उपलब्धि बताते हुए कहा कि‍ अगस्त 2021 में नैनो यूरिया की मार्केटिंग शुरू हुई थी। मार्च 2023 तक लगभग 6.3 करोड़ नैनो यूरिया बोतलों को तैयार किया जा चुका है। इससे 6.3 करोड़ यूरिया के बैग की खपत और इनके आयात को कम कर दिया गया है, जिससे देश के राजस्व व विदेशी मुद्रा की बचत हुई है। कृषि क्षेत्र में यह बहुत बड़ा क्रांतिकारी कदम और एक बड़ी उपलब्धि है। देश में वर्ष 2021-22 में यूरिया का आयात 7 लाख मीट्रिक टन भी कम हुआ है। 

किसानों ने नैनो यूरिया फर्टिलाइजर को स्वीकारा

सहकारिता मंत्री अमित शाह ने इफको द्वारा तैयार किए गए नैनो लिक्विड डीएपी की तारीफ करते हुए कहा कि इफको नैनो डीएपी तरल फर्टिलाइजर भारत को खाद के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएगा। इससे पहले इफको नैनो तरल यूरिया फर्टिलाइजर बन चुका है, जिसे किसानों ने स्वीकार कर लिया है। लेकि‍न किसान दाने वाला यूर‍िया भी डालते हैं। इससे फसल और मि‍ट्टी को नुकसान होता है। ये वैज्ञान‍िक तौर पर प्रमाणि‍त है कि‍ नैनो यूर‍िया के साथ पारंपरिक दानेदार यूरिया की जरूरत नहीं है। कि‍सान इसका प्रयोग न करें। इस मौके पर इफको के चेयरमैन दिलीप संघानी और प्रबंध निदेशक डॉ. यूएस अवस्थी भी मौजूद रहे।

नैनो फर्टिलाइजर आत्मनिर्भर कृषि का सपना करेगा साकार 

अमित शाह ने कहा कि हमारे देश को विकासशील देश से विकसित देश बनाने के लिए हमें कृषि क्षेत्र को और अधिक लाभप्रद बनाना होगा। इसमें नैनो तरल यूरिया एवं नैनो तरल डीएपी की एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।  मृदा स्वास्थ्य में सुधार, कृषि लागत में कमी, जलवायु एवं पर्यावरण प्रदूषण में कमी  नैनो फर्टिलाइज के जरिये ही संपन्न की जा सकती है। भारत हमेशा से एक कृषि प्रधान देश रहा है। साथ ही विश्व में खादों की खपत का भी सबसे बड़ा बाजार है। लेकिन जब भी किसानों को खाद की आवश्यकता होती है तब विदेशों में खाद के दाम बढ़ने लगते हैं। नैनो फर्टिलाइजर के माध्यम से आत्मनिर्भर कृषि व आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार किया जा सकता है। 

लिक्विड डीएपी फर्टिलाइजर कृषि को बनाएगी आसान

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि हमारे देश के ऐसे बहुत राज्य हैं जहां पारंपरिक डीएपी का उपयोग किसानों द्वारा अत्यधिक मात्रा में किया जाता है। जिनमें पंजाब, हरियाणा, बंगाल, उत्तर प्रदेश में आलू की खेती में लगभग 6-8 बोरे प्रति एकड़ डीएपी का प्रयोग किया जाता है। इसी प्रकार तमिलनाडु में धान की फसल में भी पारंपरिक डीएपी की अधिक मात्रा का प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा, कर्नाटक, बिहार जैसे राज्यों में मक्का, गन्ना एवं सब्जियों की खेती में अत्यधिक डीएपी फर्टिलाइजर का उपयोग होता है। नैनो तरल डीएपी द्वारा इन समस्त राज्यों के किसानों को खेती में लाभ मिलेगा। साथ ही किसानों की खेती सरल और लागत कम  होगी।  क्योंकि नैनो तरल डीएपी की उपयोग दक्षता 90 प्रतिशत से कहीं अधिक है। नैनो तरल डीएपी की कीमत मात्र 600 रुपये है, जो कि पारंपरिक डीएपी फर्टिलाइजर की एक बोरी के दाम से आधे से भी कम है। नैनो डीएपी के कारण किसानों को 6 से 20 प्रतिशत तक फर्टिलाइजर के खर्च में बचत होगी।

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