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सरसों भाव में तेजी की संभावना, नए साल में किसानों को होगा मुनाफा

सरसों भाव में तेजी की संभावना, नए साल में किसानों को होगा  मुनाफा
पोस्ट -01 जनवरी 2023 शेयर पोस्ट

सरसों भाव: बढती डिमांड से सरसों भाव में तेजी की संभावना, नए साल में किसानों पर बरसेगा पैसा 

सरसों की खबर : नए साल में किसानों पर सरसों की फसल से पैसों की बारिश हो सकती है। क्योंकि बाजार में इन दिनों सरसों की डिमांड बढ़ती जा रही है। मार्केट जानकारों की माने, तो इस बार सरसों की बढ़ती डिमांड को देखकर यह संभावना जताई जा रही हैं कि सरसों का भाव किफी ऊंचा रहेगा। ऐसे में उम्मीद लगाई जा रही है कि यदि सरसों में उछाल होता है, तो इस बार नए साल में सरसों की फसल से किसानों पर पैसा बरसेगा। इस बार जिन किसानों ने सरसों लगाई है, उन्हें सरसों की फसल से मोटी कमाई की उम्मीद है। हालांकि सरसों की फसल कटने में अभी काफी वक्त है, लेकिन जानकार मानते है कि आने वाले दिनों में सरसों से किसानों अच्छी आय मिल सकती है। मार्केट जानकारों का कहना है कि सरसों की बुवाई अक्टूबर माह में हो जाती है, लेकिन आगे पीछे दिसंबर के बीच तक सभी हिस्सों में सरसों की बुवाई कर ली जाती है। सरसों के लिए कहा जाता है कि यह मुख्य तिलहन फसल है और यह कम लागत में सबसे ज्यादा और अच्छा उत्पादन देती है। आइए ट्रैक्टरगुरु के इस लेख में सरसों की बढ़ती डिमांड से किसानों को मिलने वाले मुनाफा के बारे में जानते है। अगर आपने भी सरसों लगाया है तो यह खबर आपके लिए काफी खास हो सकती हैं। 

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सरसों से मोटा मुनाफा होने का अनुमान

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मार्केट जानकारों का कहना है कि सरसों की खेती करने वाले किसानों को इस बार मोटा मुनाफा होने वाला है। इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण है मार्केट में सरसों के तेल की ज्यादा खपत और उसकी लगातार बढ़ती कीमत। जानकारों का कहना है कि मार्केट में सरसों के तेल की डिमांड ज्यादा होगी तो सरसों की भी डिमांड बढ़ेगी। आँकड़ों की माने, तो देश में रोजाना तकरीबन 10,000 टन सरसों के तेल की आवश्यकता होती हैं। रिपोर्ट के मुताबिक जुलाई माह में छोटे स्थानीय पेराई मिलों और कच्ची घानी की बड़ी मिलों में सरसों की रोजाना मांग तकरीबन साढ़े तीन लाख बोरियों की थी, लेकिन मंडियों में करीब सवा दो लाख बोरियां ही मौजूद थीं। बाजार में सरसों के तेल की बढ़ती डिमांड को देखते हुए जानकारों द्वारा अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले समय में बाजार में सरसों की कीमत और दाम दोनों बढ़ेंगे। ऐसे में इसका सीधा फायदा किसानों को होगा। व्यापारी सरसों के लिए किसानों को मोटी रकम भी दे सकते है। हालांकि, हाल ही में सरसों के तेल में पांच रुपए की गिरावट आई है।

सरसों उत्पादक प्रमुख राज्य 

देश के विभिन्न राज्यों में उत्पादन और क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से देखा जाए तो खाद्य तेल के रूप में सरसों प्रमुख तिलहन फसल है। तिलहन की मुख्य फसलों में मूंगफली, सोयाबीन, सरसों, तोरिया, सूरजमुखी, तिल, कुसुम, अलसी, नाइजरसीड्स आदि शामिल है। सरसों की बढ़ती डिमांड की वजह यह भी है कि भारत में इसकी खेती कुछ चुनिंदा राज्यों में ही प्रमुखता से होती है। राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश जैसे राज्य में किसान प्रमुखता से सरसों की खेती करते हैं। देश के पांच प्रमुख सरसों उत्पादक राज्यों में राजस्थान का स्थान प्रथम हैं, जिसकी देश के कुल सरसों उत्पादन में 46.06 प्रतिशत भागीदारी है। इसके बाद हरियाणा 12.60 प्रतिशत, मध्य प्रदेश 11.38 प्रतिशत, उत्तरप्रदेश 10.49 प्रतिशत और पश्चिम बंगाल 7.81 प्रतिशत भागीदारी के साथ क्रमशः द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ और पंचम स्थान पर अपना योगदान दे रहे हैं। हालांकि, सरकार देश में तिलहन उत्पादन को बढ़वा देने के लिए आने वाले 5 सालों में राष्ट्रीय तिलहन मिशन के तहत लगभग 19,000 करोड़ रुपए खर्च करने की योजना बना रही है।

मार्केटिंग सीजन 2023-24 के लिए तय सरसों एमएसपी

सरकार द्वारा रबी मार्केटिंग सीजन 2023-24 के लिए सरसों का एमएसपी 5450 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। जिसमें पिछले वर्ष की तुलना में 400 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोत्तरी की गई है। फिलहाल, देश की प्रमुख मंडियों में इस वक्त काली सरसों की कीमत 5500 से लेकर 7000 के बीच है। सरकार द्वारा पिछले वर्ष रबी मार्केटिंग सीजन 2022-23 के लिए सरसों का एमएसपी 5050 रुपए प्रति क्विंटल रखा गया था। लेकिन शुरुआती सीजन में जब फसल तैयार होकर बिक्री के लिए बाजार में आयी तो किसानों तय समर्थन मूल्य से डेढ़ से दो गुना ज्यादा बाजार भाव मिला। किसानों और कृषि बाजार के जानकारों को पूरी उम्मीद है इस वर्ष भी बाजार में सरसों की कीमतें एमएसपी से ज्यादा ही रहेंगी। इन तमाम मुद्दों पर नजर डालने से पता चलता है कि आने वाले समय में सरसों की खेती करने वाले किसानों के दिन अच्छे रहने वाले हैं।

विभिन्न प्रमुख मंडियों में इस वक्त काली सरसों के चल रहे भाव

किसानों और कृषि बाजार के जानकारों की माने तो सरसों मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं। एक काली वाली और दूसरी पीली सरसों। हालांकि, बाजार में इस वक्त काले सरसों की डिमांड सबसे ज्यादा है। क्योंकि काली सरसों में तेल पीले वाले सरसों से अधिक मात्रा में निकलता है। कीमत की बात करें तो काले वाले सरसों की कीमत भी पीले वाले सरसों से ज्यादा होती है। रिपोर्ट्स के अनुसार इस वक्त देश की विभिन्न प्रमुख मंडियों में काली सरसों का भाव 5500 से लेकर 7000 के बीच है। जिनमें बरवाला मंडी में 6770 रुपए प्रति क्विंटल, सिरसा मंडी में 6880 रुपए, दिल्ली मंडी में 7000 रुपए, खुर्जा मंडी में सरसों का भाव 6600 रुपए, आगरा/शमशाबाद/दिगनेर मंडी में 7850 रुपए, कोटा सलोनी में 7850 100 रुपए, आगरा बीपी में 7650 100 रुपए, कोटा में 7200 रुपए, ग्वालियर में 6600-6700 रुपए, मुरैना मंडी में सरसों के भाव 6600 50 रुपए, कानपुर में सरसों का भाव 7300 रुपए प्रति क्विंटल, टोंक मंडी में 7200 रुपए, अलवर मंडी में 7200 रुपए प्रति क्विंटल और खैरथल मंडी में सरसों के भाव 7000 रुपए प्रति क्विंटल तक है। हालांकि कृषि उपज मंडियों में भावों में प्रतिदिन उतार-चढ़ाव होता रहता है आप स्थानीय मंडी में उपज के भावों का पता जरूर कर लें। 

रबी विपणन वर्ष 2023-24 के लिए रबी फसलों का घोषित एमएसपीे

हाल के दिनों में संपन्न हुई कैबिनेट की बैठक में सरकार ने रबी विपणन वर्ष 2023-24 के लिए रबी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किए है। जिनमें गेहूं, चना, जौ, सरसों सहित 6 फसलों की एमएसपी में 500 रुपये प्रति क्विंटल तक का इजाफा किया है। सरकार ने गेहूं का समर्थन मूल्य 110 रुपए प्रति क्विंटल बढ़कर 2,125 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है। जो का समर्थन मूल्य 100 रुपए प्रति क्विंटल बढ़कर 1,735 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है। चना का समर्थन मूल्य 105 रुपए प्रति क्विंटल बढ़कर 5,335 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है। मसूर का समर्थन मूल्य 500 रुपए प्रति क्विंटल बढ़कर 6,000 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है। वहीं, सरसों-कैनोला का समर्थन मूल्य 400 रुपए प्रति क्विंटल बढ़कर 5,450 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है। 

सरसों फसलों का बुवाई क्षेत्र में बढ़ोत्तरी

सरकार द्वारा जारी आँकड़ों की मानें तो रबी फसलों में बोई जाने सरसों  फसलों की बुवाई का भी रकबा बढ़ा है। जिसमें सरसों का क्षेत्र पिछले वर्ष 85.35 लाख हेक्टेयर था जो वर्ष 2022-23 में 7.32 लाख हेक्टेयर की वृद्धि के साथ 92.67 लाख हेक्टेयर हो गया है। वर्ष 2022-23 में रबी फसलों में तिलहन के क्षेत्र में सबसे ज्यादा योगदान रेपसीड और सरसों का रहा। केंद्रीय कृषि मंत्रालय की ओर से कहा गया कि देश में तिलहन तथा दलहन के क्षेत्र में आत्म निर्भर बनाने के लिए सरकार दलहन तथा तिलहन की उत्पादन बढ़ाकर आयात में कमी लाने की कोशिश कर रही हैे। देश में विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत किसानों को उन्नत किस्मों के बीज वितरित किए गए हैं। ताकि देश में तिलहन और दलहन का उत्पादन बढ़ाया जा सके। इसके लिए सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत एनएफएसएम ‘टीएम 370’ के नाम से विशेष कार्यक्रम भी शुरू किया है। .
 

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