मानसून बारिश का कहर जारी, किसान फसलों को बचाने के लिए अपनाएं ये तरीके

पोस्ट -15 जुलाई 2023 शेयर पोस्ट

किसान मानसूनी बारिश से इन उपायों से करें फसलों की सुरक्षा, जानें जानकारी 

इस समय देशभर में मानसून छाया हुआ है, जिसके चलते कई राज्यों में लगातार बारिश का सिलसिला बना हुआ है। लगातार हो रही बारिश से लोगों को गर्मी से राहत तो मिली है, लेकिन कई इलाकों में बारिश के कारण नदी-नाले उफान पर है। जिससे पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति है। वहीं, कई इलाकों में किसान इस भारी बारिश से काफी हद तक परेशान हो चुके हैं। उनके खेतों में बारिश के कारण जलभराव की स्थिति हो गई है। हालांकि, कई इलाकों में अधिक बारिश होने से धान की खेती करने वाले किसान काफी खुश हैं। वहीं, बागवानी और सब्जी की खेती करने वाले किसानों की चिंता बढ़ गई है। लगातार हो रही बारिश की वजह से खेतों में खड़ी फसलों को काफी नुकसान हो रहा है। ऐसे में लगातार हो रही बारिश से धान के खेत जलमग्न हो चुके हैं। जिससे कई क्षेत्रों में तो धान की फसल पानी में लगभग डूब चुकी है। इससे फसलों में नुकसान की पूरी संभावना बन हुई है। इसी को देखते हुए कृषि वैज्ञानिकों ने फसलों को पानी से बचाने के लिए एडवाइजरी जारी की है।  

धान की खेती करने वाले किसान अपनी फसलों की ऐसे करें देखभाल 

देश के अधिकतर राज्यों में धान सहित अन्य खरीफ फसलों की बुवाई का कार्य पूरा हो चुका है। ऐसे में लगातार हो रही झमाझम भारी बारिश को देखते हुए कृषि विशेषज्ञों ने धान की खेती करने वाले राज्यों के किसानों के लिए कृषि एडवाइजरी जारी की है। जिन राज्यों में अधिक बारिश की वजह से खेतों में पानी भर चुका है और फसलें खड़ी हैं, तो उन राज्यों के किसानों को सलाह दी जाती है कि वे अपने खेतों से अतिरिक्त पानी का निकास करें। जिन किसानों ने अभी बुवाई नहीं की और उनके खेतों में जलभराव होता है, तो ऐसे किसान अभी फसल की बुवाई या रोपाई रोक दें। 

बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, अरूणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और उत्तराखंड जैसे धान सूबे राज्यों में जिन किसानों ने धान की बुवाई पहले ही कर ली है और उनकी फसलें पानी में डूबी हुई है, तो इस स्थिति में किसान भाई खेतों में अतिरिक्त पानी निकाल दें। खेतों में जमा पानी निकालने के साथ ही खेतों में नील हरित शैवाल का एक पैकेट प्रति एकड़ की दर से डालें। साथ ही यह सुनिश्चित करें कि खेतों में जमा पानी फसलों के लिए पर्याप्त है। वहीं, जिन किसान भाईयों ने अभी खेतों में धान की रोपाई नहीं की है और उन्हें धान की नर्सरी लगाएं 20 से 25 दिन हो चुके हैं, तो ऐसे किसान खेतों में पर्याप्त पानी रखते हुए धान की रोपाई शुरू कर सकते हैं। साथ ही धान की रोपाई करते समय किसान भाई पर्याप्त मात्रा में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश और जिंक सल्फेट खेतों में डालें।  

मक्का, सोयाबीन और सब्जी फसलों की बुवाई अभी न करने की सलाह

हरियाणा, पंजाब, मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड समेत कई राज्यों में किसानों को सलाह दी जा रही है कि वे मक्का, सोयाबीन और सब्जियों की फसलों की बुवाई अभी रोक दें। क्योंकि अधिक बारिश की वजह से खेतों में पानी का जमाव होने की स्थिति में इस प्रकार की फसलों की काफी नुकसान पहुंचता है। फसलों के बीज और बोई गई फसल पानी में डूबने से सड़ सकती है। जिन किसानों ने 25 से 30 दिन पहले ही खेतों में मक्का, सोयाबीन और सब्जियों की फसलें बो दी है और उनकी फसल पानी में डुबी हुई है, तो वे खेतों से पानी निकाल दें। साथ ही खेतों में पानी इकट्ठा न होने दें। पानी निकासी के लिए एक उचित नियोजित पानी निकासी की व्यवस्था खेतों में बनाएं।    

खेतों से जमा पानी निकालने के पश्चात उचित मात्रा में खाद और कीटनाशकों का छिड़काव करें। वहीं, सब्जियों की फसलों को रोग और सड़न से बचाने के लिए किसानों को सलाह है कि वो फसलों में कारबैंडिजम / 1 ग्राम/लीटर पानी या डाइथेन-एम-45/2 ग्राम/लीटर पानी का छिड़काव करें। मक्का फसलों में कार्बेरिल 50 WP / 1 किग्रा/हेक्टेयर या डाइमेथोएट 30 प्रतिशत EC / 250 मि.ली./हेक्टेयर की दर से कीटनाशक का छिड़काव करने की सलाह दी जाती है। 

रोपाई या बुवाई कर दी गई फसलों की ऐसे करें देखभाल

भारी बारिश के कारण जिन खेतों में पानी भर चुका है और उसमें लगी फसलें डुबी हुई है, तो ऐसे किसान पहले खेतों से पानी निकाल दें। इसके बाद रोपाई या बोई हुई फसलों की बारीकी से जांच कर पर्याप्त मात्रा में खाद और कीटनाशकों का प्रयोग करें। वहीं, जो पौधें सड़ चुके हैं या सड़ना शुरू हो चुके हैं उन्हें खेतों में से हटा कर नष्ट करें। इसके अलावा, कृषि विशेषज्ञों से फसलों की जांच करवाकर उचित कदम उठाएं। इस प्रकार आप अपनी फसलों को नुकसान पहुंचने से बचा सकते हैं।

फसलों को कवर करने की व्यवस्था बनाएं

किसानों को सलाह है कि वे अपनी बोई हुई फसलों तक बारिश का पानी सीधे न पहुंचने दे। इसके लिए वे अपनी फसलों को रेन कवर से ढक सकते हैं। रेन कवर एक प्रकार का बारिश रोधी कपड़ा है, जो पानी को फसलों तक पहुंचने से रोकता है। इसके अलावा हवाओं के साथ तेज बारिश होने की स्थिति में किसान फसलों को बचाने के लिए जाल (नेट) का प्रयोग करें। वहीं, जिन स्थान पर आपने सब्जियों की फसलें लगाई हैं वहां जलनिकासी की उचित व्यवस्था करें और जलभराव नहीं होने की स्थिति में पानी को खेतों से सही समय पर निकालते रहें।

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