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समर्थन मूल्य के दायरे में मक्का, मक्के का उत्पादन होगा दोगुना

समर्थन मूल्य के दायरे में मक्का, मक्के का उत्पादन होगा दोगुना
पोस्ट -09 मई 2025 शेयर पोस्ट

किसानों के लिए खुशखबरी! मक्के का उत्पादन 2027 तक होगा दोगुना, उपज का वाजिब दाम भी मिलेगा

Maize Production UP : विश्व बैंक के सहयोग से प्रदेश में यूपी एग्रीकल्चर ग्रोथ एंड रूरल इंटरप्राइज इकोसिस्टम स्ट्रेंथनिंग (यूपीएग्रीज) परियोजना भी लागू की गई है। इस एग्रीज परियोजना के अंतर्गत प्रदेश के विभिन्न जिलों में कृषि की उत्पादकता को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में मक्के का उत्पादन 2027 तक दोगुना करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके अलावा, प्रदेश सरकार पहले ही मक्का को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) योजना के दायरे में शामिल भी कर चुकी है, जिससे उत्पादक किसानों को उपज का वाजिब दाम मिल सकेंगे। दरअसल, खरीफ सीजन की रणनीति को अंतिम रूप देने के लिए राज्य स्तरीय “खरीफ उत्पादकता गोष्ठी-2025” का राजधानी (लखनऊ) के “इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान” में आयोजन किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता कृषि उत्पादन आयुक्त मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने की, जबकि कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही मुख्य अतिथि रहे। गोष्ठी में खरीफ फसलों की उत्पादन रणनीति, तकनीकी समन्वय एवं विभागीय क्रियान्वयन पर विशेष चर्चा की गई। 

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खूब रास आ रही मक्के की खेती (Corn farming is becoming very popular)

राज्य स्तरीय खरीफ गोष्ठी में प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने किसानों से अपील की वे अरहर (दलहनी), सरसों (तलहनी) और मक्का जैसी फसलों की खेती बढ़ाएं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Mukhyamantri Yogi Adityanath ) की मंशा के अनुरूप प्रदेश में मक्के की खेती (Corn Farming) को खास प्राथमिकता दी जा रही है। सरकार ने वर्ष 2027 तक उत्तर प्रदेश में मक्के का उत्पादन दोगुना करने का लक्ष्य तय किया है, जिससे खेती का उत्पादन बढ़ाकर, किसानों की आमदनी में इजाफा हो सके। सरकार इस लक्ष्य के तहत किसानों को मक्का उगाने के लिए लगातार प्रोत्साहित कर रही है। सरकार के इस प्रयास का असर भी दिख रहा है। बहुउपयोगी मक्के की खेती (Maize Farming) अब प्रदेश के किसानों को खूब रास आ रही है। आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2021-22 में राज्य में मक्के का उत्पादन 14.67 लाख मीट्रिक टन था, जिसे तय अवधि 2027 तक बढ़ाकर 27.30 लाख मीट्रिक टन करने का लक्ष्य है। 

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के दायरे में मक्का (Maize under Minimum Support Price (MSP))

मक्के का रकबा बढ़ाने के साथ प्रति हेक्टेयर प्रति क्विंटल उत्पादन बढ़ाने पर भी सरकार बराबर से जोर दे रही है। बहुपयोगी फसल होने की वजह से समय के साथ मक्के की मांग भी बढ़ेगी। इसका अधिकतम लाभ सीधे प्रदेश के किसानों को हो, सरकार इसके लिए मक्के की खेती (Maize cultivation) के लिए किसानों को लगातार जागरूक कर रही है। खेती के उन्नत तौर-तरीकों का प्रशिक्षण एवं जानकारी दे रही है। मक्का की खेती करने वाले किसानों को उपज के लिए वाजिब दाम मिले, इसके लिए योगी सरकार पहले से ही इसे “न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) योजना” के दायरे में भी ला चुकी है। सरकार के प्रोत्साहन के नतीजे भी शानदार रहे। मसलन, बहुउपयोगी मक्के की खेती का क्षेत्र अब राज्य में बढ़ने लगा है। वहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शासन के 8 वर्षों में दलहन और तिलहन का उत्पादन प्रदेश में दोगुना हो चुका है। 

विभिन्न औद्योगिक इकाइयों में मक्के का उपयोग (Use of corn in various industrial units)

मक्के में भरपूर मात्रा में पोषक तत्व भी पाए जाते हैं, इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन और मिनरल मिलते हैं। इन्हीं खूबियों के नाते इसे अनाजों की रानी कहा गया है। उल्लेखनीय है कि मक्के का उपयोग खाने के साथ-साथ एथेनॉल उत्पादन (Ethanol Production) करने वाली औद्योगिक इकाइयों, पशुओं और मुर्गियों (पोल्ट्री फार्म) के लिए पोषक आहार, दवा, पेपर और एल्कोहल उद्योग (इंडस्ट्री) में होता है। साथ ही इसे भुट्टा, आटा, बेबीकार्न (Baby Corn) और पॉपकार्न (Pop Corn) के रूप में खाया जाता है। किसी न किसी रूप में मक्का हर सूप का अनिवार्य हिस्सा होता है। यह सभी औद्योगिक क्षेत्र संभावनाओं वाले हैं, जिससे मक्के की बाजार मांग अच्छी रहती है। इससे किसान को उपज के बेहतर दाम मिलते हैं। 

यूपी में मक्के का उत्पादन (Maize production in Uttar Pradesh)

कृषि विशेषज्ञों की मानें तो उन्नत खेती के माध्यम से मक्के की प्रति हेक्टेयर उपज 100 क्विंटल तक भी संभव है। देश के कई राज्यों में मक्के की प्रति हेक्टेयर उपज उत्तर प्रदेश से कहीं अधिक है- जैसे, तमिलनाडु में यह उपज करीब 59.39 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, जबकि देश की उपज 26 क्विंटल प्रति हेक्टेयरऔर यूपी की उपज का औसत वर्ष 2021-22 में 21.63 क्विंटल प्रति हेक्टेयर थी। विशेषज्ञ मानते हैं कि उन्नत तकनीक और वैज्ञानिक तरीकों से प्रदेश में मक्के की उपज को काफी बढ़ाया जा सकता है। प्रदेश में समर्थन मूल्य पर मक्का उपज की सरकारी खरीद भी की जा रही है। इसके अलावा गुणवत्तापूर्ण उत्पादन के लिए किसानों को विभिन्न योजनाओं के माध्यम से उन्नत बीज, खाद, कीटनाशक और प्रशिक्षण की सुविधाएं भी दी जा रही हैं। 

मक्के की बुआई का सही समय और मौसम (The right time and season for sowing maize)

कृषि विज्ञान केंद्र बेलीपार (गोरखपुर) के प्रभारी डॉ. एसके तोमर के अनुसार, मक्के की खरीफ फसल की बुआई के लिए 15 जून से 15 जुलाई तक का समय बेहतर होता है। अगर सिंचाई की पर्याप्त सुविधा हो, तो मई के दूसरे या तीसरे सप्ताह में भी इसकी बुवाई की जा सकती है। इससे मानसून आगमन तक पौधे भूमि सतह से ऊपर आ जाएंगे और भारी बारिश से होने वाली क्षति नहीं होगी। मक्के की खेती के लिए  प्रति एकड़ करीब 8 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है। 

बेहतर पैदावार के लिए बुवाई लाइन में करें। लाइन से लाइन की दूरी 60 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 20 सेमी रखनी चाहिए। उपलब्ध हो तो बेड प्लांटर का प्रयोग बुवाई के लिए करें। बात चाहे पोषक तत्वों की हो या उपयोगिता की, बेहतर पैदावार की करें या सहफसली खेती या औद्योगिक उपयोग की। हर मौसम और हर तरह की मिट्टी में पैदा होने वाले मक्के का जवाब नहीं। बशर्ते, जिस खेत में मक्के की बुवाई करनी है, उसमें जल निकासी का बेहतर प्रबंधन अनिवार्य है। 

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