पारंपरिक फसलों की खेती करने वाले किसानों के लिए खुशखबरी है! अगर आप भी खेती-बाड़ी के साथ अपनी किस्मत बदलने का सपना देख रहे हैं, तो मक्का की खेती से आपको यह मौका मिल सकता है। गर्मी के मौसम में मक्का (Maize) एक लाभकारी फसल साबित हो सकती है, और अब सरकार इस फसल को बढ़ावा देने के लिए किसानों को शानदार सब्सिडी दे रही है। साथ ही, संकर मक्का व देशी मक्का के साथ-साथ पॉप कॉर्न, बेबी कॉर्न तथा स्वीट कॉर्न पर भी अनुदान दिया जा रहा है। आइए जानते हैं कि कैसे सरकार मक्का की खेती को बढ़ावा दे रही है और किसानों को इसके जरिए कितना फायदा हो सकता है।
उत्तर प्रदेश में मक्का एक महत्वपूर्ण फसल है, जो खासतौर पर गेहूं और धान के बाद तीसरी सबसे महत्वपूर्ण फसल है। प्रदेश में मक्का उत्पादन के कई अवसर हैं, और किसानों को इसके उत्पादन में बढ़ोतरी करने के लिए सरकार से सहयोग मिल रहा है। राज्य के कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही के अनुसार, मक्का उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं, और इसे राज्य में तेजी से बढ़ाने के लिए 'त्वरित मक्का विकास कार्यक्रम' चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम के तहत किसानों को मक्का बीज पर 15,000 रुपये प्रति क्विंटल की दर से अनुदान दिया जा रहा है, जो एक बहुत बड़ा फायदा है।
इसके साथ ही संकर मक्का, देशी मक्का, पॉप कॉर्न, बेबी कॉर्न, और स्वीट कॉर्न जैसी मक्का की विभिन्न किस्मों पर भी अनुदान दिया जा रहा है। इसका मतलब है कि चाहे आप किसी भी प्रकार का मक्का उगाएं, आपको सरकारी मदद मिलेगी। इससे किसानों की आय में बढ़ोतरी हो सकती है, और उन्हें मक्का की खेती से अच्छा लाभ मिलने की संभावना है।
मक्का की खेती से न सिर्फ खाद्यान्न मिल रहा है, बल्कि इससे एथेनॉल भी बनाया जा सकता है, जो अब ऊर्जा के रूप में उपयोगी साबित हो रहा है। एथेनॉल उत्पादन में मक्का एक मुख्य कच्चा माल है। एथेनॉल के उत्पादन के लिए मक्का की मदद से स्टार्च निकाला जाता है, और इसके अवशेषों का उपयोग पशुओं के आहार के रूप में किया जा सकता है। इसलिए, मक्का की खेती किसानों के लिए और भी लाभकारी बन जाती है, क्योंकि इसे खाने के अलावा उद्योगों में भी उपयोग किया जा सकता है।
कृषि मंत्री के अनुसार, इस उद्योग से जुड़ी कंपनियों को मक्का किसानों की सहायता करनी चाहिए ताकि मक्का उत्पादन में और वृद्धि हो सके। इससे न सिर्फ किसानों को लाभ होगा, बल्कि एथेनॉल उद्योग को भी फायदा होगा, जो ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।
उत्तर प्रदेश इस समय 665 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न का उत्पादन करता है और खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर है। इसका मतलब है कि यहां जितनी जरूरत है, उससे कहीं ज्यादा उत्पादन हो रहा है। इसके अलावा, प्रदेश अब केवल अपनी जरूरत पूरी नहीं करता बल्कि फल और सब्जियां भी निर्यात करता है। इससे किसानों को अतिरिक्त आय का स्रोत मिलता है, और राज्य की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलती है।
कृषि मंत्री ने यह भी बताया कि बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश की जलवायु समान है, लेकिन बिहार में मक्का की उत्पादकता उत्तर प्रदेश के मुकाबले अधिक है। इसके पीछे की वजह यह है कि बिहार के किसान मक्का की खेती के लिए सफल तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं। उत्तर प्रदेश के किसानों को इस दिशा में बिहार के सफल किसानों से सीखने और उनकी तकनीकों को अपनाने की आवश्यकता है, ताकि मक्का की उत्पादकता में वृद्धि हो सके और वे अधिक लाभ कमा सकें।
प्रदेश में करीब 1 करोड़ हेक्टर क्षेत्र में गेहूं और 60 लाख हेक्टर क्षेत्र में धान की फसल होती है, लेकिन भविष्य में खाद्यान्न की कमी से निपटने के लिए फसल विविधीकरण जरूरी है। रविंद्र कुमार, प्रमुख सचिव (कृषि), ने भी किसानों को आह्वान किया है कि वे मक्का की खेती को एक विकल्प के रूप में देखें। किसानों को गेहूं और धान के अलावा मक्का की खेती को भी एक विकल्प के रूप में अपनाना चाहिए। इससे न सिर्फ खाद्यान्न का उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि किसानों को भी अच्छा फायदा होगा।
उत्तर प्रदेश सरकार मक्का की खेती को बढ़ावा देने के लिए लगातार कदम उठा रही है, और इसके जरिए राज्य के किसानों को एक नया अवसर मिल रहा है। मक्का के उत्पादन में वृद्धि से न केवल किसानों की आय में वृद्धि होगी, बल्कि यह राज्य की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान करेगा।
अगर आप भी उत्तर प्रदेश में मक्का की खेती करने का सोच रहे हैं, तो यह सही समय है। सरकार की मदद से आप अपनी किस्मत बदल सकते हैं और मक्का की खेती से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। तो, मक्का के साथ अपनी खेती की दिशा को बदलें और सफलता की ओर कदम बढ़ाएं!
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