Multi-Feedstock Ethanol Plant : गन्ना उत्पादक किसानों की आय बढ़ाने और चीनी मिलों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए सरकार गन्ने / चीनी को इथेनॉल में बदलने का कार्यक्रम भी चला रही है। इस कार्यक्रम ने पिछले पांच वर्षों में इथेनॉल (Ethanol) उत्पादन से गन्ना किसानों और चीनी सेक्टर की भरपूर सहायता की है। कार्यक्रम के सकारात्मक परिणाम को देखते हुए भारत सरकार द्वारा इस दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। सहकारी चीनी मिलों (सीएसएम) की सुविधा के लिए, भारत सरकार (Government of India) के खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग ने संशोधित इथेनॉल ब्याज अनुदान योजना (Revised Ethanol Interest Subsidy Scheme) अधिसूचित की है। इसके तहत उनके गन्ना आधारित मौजूदा फीड स्टॉक इथेनॉल संयंत्रों को मक्का और क्षतिग्रस्त अनाज (DFG) जैसी फसलों का उपयोग करने के लिए मल्टी-फीडस्टॉक आधारित संयंत्र इकाइयों में परिवर्तित किया जाएगा। चीनी मिलें इन संयंत्रों में मक्का और डैमेज अनाज (डीएफजी) जैसे अनाजों से इथेनॉल बनाएगी। इससे गन्ना उत्पादकों के साथ-साथ मक्का और अन्य अनाज फसलों की खेती करने वाले किसानों को बड़ा फायदा होगा और उन्हें अपनी डैमेज (खराब) खाद्यान्न फसल से भी मुनाफा कमाने का मौका मिल सकेगा।
इस संशोधित इथेनॉल ब्याज अनुदान योजना (Revised Ethanol Interest Subsidy Scheme) के तहत, भारत सरकार चीनी मिल उद्यमियों (sugar factory entrepreneurs) को बैंकों / वित्तीय संस्थानों द्वारा दिए जाने वाले ऋणों (Loans) पर 6 प्रतिशत प्रति वर्ष या बैंकों/वित्तीय संस्थानों द्वारा लगाए गए ब्याज दर का 50 प्रतिशत, जो भी कम हो, की दर से ब्याज अनुदान की सुविधा दे रही है। इसका वहन एक वर्ष की स्थगन अवधि (moratorium period) सहित पांच वर्षों के लिए केंद्र सरकार कर रही है। बता दें कि चीनी क्षेत्र एक महत्वपूर्ण कृषि- आधारित सेक्टर है, जो लगभग पांच करोड़ गन्ना किसान परिवारों की आजीविका तथा चीनी मिलों में प्रत्यक्ष रूप से कार्यरत लगभग 5 लाख श्रमिकों के अतिरिक्त कृषि श्रमिकों एवं परिवहन सहित विभिन्न सहायक कार्यकलापों से जुटे लोगों को प्रभावित करता है।
सरकार ने बताया कि अभी गन्ना पेराई की अवधि वर्ष में केवल 4 से 5 महीने तक सीमित होती है, जिसके कारण चीनी मिलें सीमित समय (Limited Time) के लिए ही काम कर पाती हैं। इससे उनकी समग्र परिचालन क्षमता (overall operating efficiency) और उत्पादकता (Productivity) में कमी आती है। सहकारी चीनी मिलों के पूरे वर्ष कार्य करने को सुनिश्चित करने के लिए, उनके मौजूदा इथेनॉल संयंत्रों (Ethanol Plants) को नई संशोधित योजना के तहत मक्का और डीएफजी जैसे अनाज का उपयोग करने के लिए बहु-फीड स्टॉक आधारित संयंत्रों में परिवर्तित किया जा सकता है।
गन्ना आधारित फीडस्टॉक मौजूदा इथेनॉल संयंत्रों के मल्टी-फीडस्टॉक आधारित संयंत्रों में बदलने से न केवल सहकारी चीनी मिलों (सीएसएम) के मौजूदा इथेनॉल प्लांट्स को तब संचालित करने में सक्षम बनाया जाएगा, जब इथेनॉल उत्पादन के लिए चीनी आधारित फीडस्टॉक (Feedstock) उपलब्ध नहीं होंगे। इससे इन संयंत्रों की दक्षता और उत्पादकता में भी सुधार होगा। परिणामस्वरूप, इन सहकारी इथेनॉल प्लांटों की वित्तीय व्यवहार्यता (Financial Viability) भी बढ़ जाएगी। क्योंकि वे पूरे वर्ष मक्का और डीएफजी जैसे अनाज को इथेनॉल में बदल सकेंगे।
भारत सरकार पूरे देशभर में पेट्रोल के साथ इथेनॉल मिश्रण (ईबीपी) कार्यक्रम लागू कर रही है। ईबीपी कार्यक्रम के तहत, सरकार ने 2025 तक पेट्रोल के साथ इथेनॉल के 20 प्रतिशत मिश्रण का लक्ष्य तय किया है। सरकार ने जुलाई 2018 से अप्रैल 2022 तक विभिन्न इथेनॉल ब्याज छूट योजनाओं (Ethanol Interest Subsidy Schemes) को अधिसूचित किया है। अब केंद्र सरकार, ब्याज दर में ब्याज अनुदान देकर गन्ना आधारित फीडस्टॉक इथेनॉल संयंत्रों को मल्टी-फीडस्टॉक आधारित संयंत्रों में बदलने की योजना लेकर आई। इससे न केवल गन्ना उत्पादक किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, बल्कि चीनी सेक्टर को बकाया गन्ने का भुगतान करने में भरपूर सहायता मिलेगी।
सीसीईए के मुताबिक, पेट्रोल के साथ मिश्रित इथेनॉल (ईबीपी) कार्यक्रम ने विदेशी मुद्रा की बचत करने के साथ-साथ देश की ऊर्जा सुरक्षा को भी सुदृढ़ बनाया है। साथ ही आयातित फॉसिल फ्यूल (Imported Fossil Fuel) पर निर्भरता कम कर दी है। इससे पेट्रोलियम सेक्टर में आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को अर्जित करने में मदद मिली है। 2025 तक, 60 एलएमटी से अधिक अतिरिक्त गन्ने/ चीनी को इथेनॉल में बदलने का लक्ष्य है, जिससे चीनी की उच्च इनवेंटरी की समस्या का समाधान होगा, मिलों की तरलता में सुधार होगा। इससे किसानों के गन्ना बकाया का समय पर भुगतान करने में सहायता मिलेगी और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। पेट्रोल के साथ इथेनॉल के उपयोग से प्रदूषण में कमी आएगी और वायु की गुणवत्ता में सुधार आएगा।
सरकार की सक्रिय और किसान हितैषी नीतियों के कारण किसानों, उपभोक्ताओं के साथ-साथ चीनी क्षेत्र में काम कर रहे श्रमिकों के हितों को भी बढ़ावा मिला है और चीनी को किफायती बनाने से पांच करोड़ से अधिक प्रत्यक्ष रूप से जुड़े लोगों और सभी उपभोक्ताओं की आजीविका में सुधार हुआ है। भारत अब वैश्विक चीनी अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है क्योंकि यह विश्व में चीनी का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है। चीनी सीजन 2021-22 में, भारत चीनी का सबसे बड़ा उत्पादक देश भी बन गया है। उम्मीद है कि भारत वित्त वर्ष 2025-26 तक विश्व में तीसरा सबसे बड़ा इथेनॉल उत्पादक देश बन जाएगा।
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