Procurement of mustard at MSP : न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर उपज बेचने वाले किसानों के लिए राहत भरी खबर है। किसानों की मांग को देखते हुए राजस्थान सरकार ने (Rajasthan Government) ने बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी (MSP) पर खरीदी जाने वाली सरसों की खरीद सीमा बढ़ाई है। राज्य सरकार ने अब सरसों की समर्थन मूल्य (support price) पर होने वाली खरीद की सीमा को 25 क्विंटल से बढ़ाकर 40 क्विंटल प्रति किसान कर दिया है। इससे अब राज्य के सरसों उत्पादक किसान अधिक मात्रा में उपज को एमएसपी (न्यूतम समर्थन मूल्य) पर बेच सकेंगे। इसके अलावा, सरकार ने डिग्गी निर्माण (Diggy Construction) की अवधि 31 मार्च 2025 से बढ़ाकर 30 जून 2025 कर दी है। इस अवधि में किसान खेतों में डिग्गियों का निर्माण करवा सकेंगे।
सरकार के इस फैसले से राज्य के किसानों को अधिक आर्थिक फायदा होगा। क्योंकि राज्य में खरीद केंद्रों पर अभी तक समर्थन मूल्य पर सरसों की खरीद प्रक्रिया शुरू न होने से किसानों को बाजार में एमएसपी से कम दाम पर सरसों बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। पहले न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरसों खरीद की सीमा प्रति किसान 25 क्विंटल थी। इससे अधिक सीमा में सरसों एमएसपी पर नहीं बेच सकते थे। इस पर किसानों व जनप्रतिनिधियों की मांग को ध्यान में रखते हुए सरकार ने इसे बढ़ाकर अब प्रति किसान 40 क्विंटल कर दिया है। इससे किसान अब 40 क्विंटल सरसों समर्थन मूल्य ( एमएसपी) पर बेच पाएंगे। इससे सरसों उत्पादक किसानों को अधिक फायदा होगा। केन्द्र और राज्य दोनों सरकार की ओर से इसके लिए आदेश भी जारी कर दिए गए हैं।
रबी सीजन 2025-26 में समर्थन मूल्य पर सरसों खरीद के लिए सरकार ने सरसों के लिए 5,950 रुपए प्रति क्विंटल एमएसपी तय किया है, जबकि चने की फसल के लिए किसानों को 5650 प्रति क्विंटल की दर से भुगतान होगा। राज्य में सरसों और चने की खरीद 10 अप्रैल 2025 से शुरू होगी। इसके लिए पंजीकरण 1 अप्रैल से शुरू है। सरसों व चने की उपज समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए किसान ई-मित्र के माध्यम से रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। रजिस्ट्रेशन के बाद ही किसान अपनी उपज को खरीद केंद्र पर बेच सकेंगे। इसके लिए किसान को गिरदावरी और जनआधार कार्ड में दर्ज बैंक खाता पासबुक की आवश्यकता होगी। राजस्थान में इस बार बायोमेट्रिक पहचान के आधार पर खरीद होगी।
प्रदेश सहकारिता राज्यमंत्री की जानकारी के अनुसार, राज्य सरकार इस बार केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्यों के अनुरूप राज्य में सरसों (Mustard) की 13.89 लाख टन और चने (Chickpeas) की 6.30 लाख टन खरीद की जाएगी। इस वर्ष राज्य में सरसों का लगभग 62 लाख टन और चने का लगभग 23 लाख टन उत्पादन होने की संभावना है। राज्य में इस बार नोडल एजेंसी नेफेड के साथ-साथ एनसीसीएफ द्वारा भी दलहन-तिलहन खरीद का कार्य राजफेड के माध्यम से भी किया जाएगा। सरसों व चने खरीद के लिए एनसीसीएफ को 217-217 और नेफेड को 288-288 खरीद केन्द्र स्वीकृत किए गए हैं। राज्य में सरसों व चने के कुल 505-505 खरीद केन्द्रों पर खरीद की जाएगी।
सहकारिता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गौतम कुमार दक ने सरसों व चना की खरीद के लिए अधिकारियों को समय रहते सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। अगर समर्थन मूल्य पर उपज की खरीद प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी सामने आती है या किसानों को कोई परेशानी का सामना करना पड़ता है, तो संबंधित उप रजिस्ट्रार व मैनेजर की जिम्मेदारी तय कर सख्त कार्यवाही की जाएगी। खरीद की तैयारियों को लेकर सहकारिता मंत्री ने गुरुवार को एक उच्च स्तरीय बैठक की। इसमें उन्होंने कहा कि इस बार बाजार भाव की तुलना में समर्थन मूल्य आकर्षक होने की वजह से क्रय केन्द्रों पर सरसों एवं चना की अधिक आवक होने की उम्मीद है। सरकार भी खरीद के लक्ष्य पूरे करने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसे ध्यान में रखते हुए भंडारण की पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
वहीं, राजस्थान में मार्च-अप्रैल के महीने में खेतों में फसल खड़ी होने की वजह से डिग्गी निर्माण नहीं करने वाले किसानों को राहत देते हुए सरकार ने डिग्गी निर्माण की सीमा को बढ़ाकर 30 जून 2025 कर दिया है। इससे अब 31 मार्च 2025 के बाद भी किसान डिग्गी निर्माण कर सकेंगे। सरकार के इस कदम से किसानों की फसल भी खराब नहीं होगी और समय मिलने से किसान आराम से डिग्गी का निर्माण करवा सकेंगे। बता दें कि राजस्थान में डिग्गी निर्माण योजना के तहत सामान्य वर्ग के किसानों को अधिकतम 3 लाख तथा लघु सीमांत वर्ग के किसानों को अधिकतम 3 लाख 40 हजार रुपए के हिसाब से अनुदान दिया जाता है। प्रावधान के अनुसार डिग्गी निर्माण के लिए 4 लाख लीटर की बाध्यता निर्धारित है। राज्य के नहरी क्षेत्र जहां सिंचाई बारी स्वीकृत होगी, वहीं के किसान ही इस अनुदान के लिए पात्र हैं। आवेदनकर्ता के पास न्यूनतम 0.5 हेक्टेयर यानी आधा हेक्टेयर सिंचित क्षेत्र होना अनिवार्य है।
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