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उड़द की फसल को कीट और रोगों से कैसे बचाएं जानें पूरी जानकारी

उड़द की फसल को कीट और रोगों से कैसे बचाएं जानें पूरी जानकारी
पोस्ट -20 फ़रवरी 2023 शेयर पोस्ट

जानें, उड़द की खेती की उन्नत विधि और फसल की सुरक्षा कैसे करें

रबी फसल की कटाई के बाद अब किसान भाई जायद सीजन की प्रमुख दलहनी फसल उड़द की खेती कर सकते हैं। उड़द की जायद फसल कम समय और कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाली फसल है। यह फसल 60-65 दिनों में ही पक कर तैयार हो जाती है। इसमे 60 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट और करीब 27 फीसदी प्रोटीन होने के कारण यह स्वास्थ्य के लिए बहुत ही गुणकारी होती है। यही कारण है कि उड़द की भारतीय और अंतरर्राष्ट्रीय बाजार में जबर्दस्त मांग रहती है। किसानों को उड़द की खेती से लाखों रुपये की कमाई हो सकती है। इसकी बुआई का समय फरवरी से लेकर अगस्त तक चलता है। फसल बुआई से लेकर पकने तक इसमें कई प्रकार के कीट और रोगों का प्रकोप हो सकता है। इनसे बचाव करना बहुत जरूरी है। यहां ट्रैक्टर गुरू की इस पोस्ट में आपको उड़द की उन्नत खेती के तरीके और रोग-कीटों से फसल की सुरक्षा के बारे में फुल जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है।

New Holland Tractor

उड़द की खेती के लिए ऐसे करें भूमि तैयार

आप यदि किसान हैं और उड़द की खेती कर अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं तो इसके लिए सबसे पहले आपको जमीन तैयार करनी होगी। बता दें कि उड़द  की खेती हल्की रेतीली, दोमट या मध्यम प्रकार की भूमि में अच्छी होती है। इसके लिए अम्लीय या क्षारयुक्त जमीन सही नहीं रहती। भूमि की सिंचाई करके या बारिश होने पर इसमें दो-तीन बार कल्टीवेशन करें। जुताई के बाद मिट्टी भुरभुरी होने पर बुआई कर दें।

बीज को उपचारित करके ही डालें

उड़द की खेती करने के लिए प्रामाणिक बीज ही उपयोग में लाना चाहिए। उड़द की जायद सीजन के के लिए अच्छी किस्मों में प्रसाद, पंत उर्द,-40 एवं वी.बी.जी. 402, शेखर-2 आदि उत्तम मानी जाती हैं। गर्मी के मौसम वाले जायद फसल सीजन में बीज की मात्रा प्रति हेक्टेयर 20 से 25 किलोग्राम होनी चाहिए। उड़द की बुआई से पहले बीज को 2 ग्राम थायरम और 1 ग्राम कार्बेंडाजिम के मिश्रण से उपचारित करना चाहिए।

बुआई का सही तरीका और समय

उड़द की खेती के लिए जायद फसल सीजन के तहत फरवरी के तीसरे सप्ताह से अप्रैल के पहले सप्ताह तक की जा सकती है। वहीं खरीफ सीजन में जून के अंतिम सप्ताह में बारिश के बाद की जाती है। इसकी बुआई का सही तरीका यह है कि लाइन से लाइन की दूरी 30 सेंटीमीटर और पौधों से पौधों की दूरी 10 सेंटीमीटर होनी चाहिए। वहीं बीज की गहराई 4 से 6 सेंटीमीटर से ज्यादा नहीं हो। फसल उग आने के बाद 15 से 20 दिनों के अंतराल में  इसमें 2 या 3 सिंचाई करनी पड़ती हैं। बारिश में सिंचाई की जरूरत नहीं होती।

खरपतवार नियंत्रण और निराई-गुड़ाई

उड़द की बुआई के बाद करीब 15-20 दिनों के बाद खुरपी से गुड़ाई कर खरपतवार निकाल देनी चाहिए। वहीं रासायनिक विधि से 1 kg फ्लुक्लोरीन करीब 800 लीटर पानी में घोल लें। इसका घोल बना कर छिड़काव करें।

उड़द की फसल का रोग-कीटों से बचाव

उड़द की फसल जैसे-जैसी बढ़ती है तो इसमें कई तरह के कीटों और रोगों का भी प्रकोप होना शुरू हो जाता है। इसके लिए फसल की  समय रहते देखभाल जरूरी है। यदि आप सही समय पर फसल को कीट एवं रोगों से बचाते हैं तो कुल उत्पादन ज्यादा होगा वरना ये आपको नुकसान पहुंचा सकते हैं। कई बार पूरी फसल ही रोग या कीटों की चपेट में आ जाती है।

उड़द में लगने वाले रोग और कीट

उड़द की फसल में कई रोग लग सकते हैं जो कि फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। इनमें कुछ रोग और इनके उपचार इस प्रकार हैं-:

  • पीला मोजेक- इस रोग की पहचान यह है कि फसल की पत्तियों पर गोलाकार धब्बे हो जाते हैं। ये पीले रंग के होते हैं। यह रोग सफेद मक्खी से फैलता है। इसके बचाव के लिए डाइमेथेएट 30 ई.सी. की एक लीटर मात्रा 800 लीटर पानी में घोल बना कर छिड़कें।
  • पूर्ण दाग – इस रोग के प्रकोप से उड़द की पत्तियों पर गोल भूरे रंग के कोणीये धब्बे पड़ जाते हैं। इससे पत्ती का किनारा बैंगनी रंग का हो जाता है। इसके बचाव के लिए 500 ग्राम कार्बेडाजिम  पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।

इसके अलावा कीटों का भी प्रकोप होता है। इनमें थ्रिप्स कीट पत्तियों का रस चूस लेते हैं। इसके बचाव के लिए डामेथोएट 30 ई.सी. एक लीटर दवा का 600- 800 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें। वहीं हरे फुदके नामक कीट और फली बेधक कीट पत्तियों में छेड कर देते हें। इनके बचाव के लिए भी क्रमश: इमिडाक्लोरपिड की 3 मिलीलीटर दवा और क्युनोल्फोस की 25 ई.सी. 1.25 लीटर दवा 600 से 800 लीटर पानी में घोल कर इसका स्प्रे करें।

उड़द की कटाई या मंडाई

जब उड़द की फसल पक कर तैयार हो जाए तो इसकी हंसिया से कटाई कर सकते हैं। तीन-चार दिन तेज धूप में सुखाने के बाद थ्रेसर से इसकी फसल निकलवा लें। इसका भूसा अलग हो जाता है। तैयार फसल की नमी को सुखा कर इसको अच्छे भाव आने पर बेच दें।

उड़द की देश-विदेशों तक जबर्दस्त मांग

बता दें कि उड़द एक दलहनी व्यापारिक फसल है। इसकी मांग ना भारत के अलावा कई देशों में जबर्दस्त रहती है। वैसे उड़द की खेती भारत के अलावा पाकिस्तान, सिंगापुर, थाईलैंड, बांग्लादेश, कनाड़ा आदि कई देशों में खूब की जाती है। भारत में इसकी खेती उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, बिहार, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, हरियाणा आदि प्रदेशों में होती है। भारत में 70 प्रतिशत उड़द केवल महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और तमिलनाडु में पैदा होता है।

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