Dragon Fruits Farming Apply Online : खेती-बाड़ी को पहले से और ज्यादा लाभकारी बनाने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार आए दिन कई कृषि रोड मैप तैयार कर रही है। सरकार इसके तहत कृषि एवं संबंधित क्षेत्रों का विस्तार सुनिश्चित करने के लिए लक्ष्य तय कर किसानों को प्रोत्साहित कर रही है। इसके लिए कई योजनाओं के तहत किसानों को सुविधाएं भी दी जाती है। ऐसे में बिहार सरकार भी राज्य के किसानों की आय को दोगुनी करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस उद्देश्य से बिहार सरकार ने पिछले वर्ष से चौथे कृषि रोड मैप के तहत कृषि विस्तार का कार्य आरंभ किया है। अब इस चौथे कृषि रोड मैप के तहत राज्य सरकार ने विदेश फसल ड्रैगन फ्रूट की खेती को भी शामिल किया है। बताया जा रहा है कि ड्रैगन फ्रूट की खेती से अब बिहार के किसानों की किस्मत बदल सकती है। राज्य के कई हिस्सों की मिट्टी को ड्रैगन फ्रूट की खेती (Dragon Fruits Farming) के लिए अनुकूल पाया गया है, जिसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने इसकी खेती का क्षेत्र विस्तार करने का फैसला किया है। इसके लिए नीतीश सरकार ड्रैगन फ्रूट की खेती करने वाले किसानों को 40 प्रतिशत तक की भारी भरकम सब्सिडी दे रही है। इसके लिए राज्य सरकार ने बजट भी जारी करने के आदेश दे दिए हैं।
कृषि विभाग के संयुक्त सचिव मनोज कुमार के अनुसार, बिहार सरकार किसानों की आमदनी दोगुनी करना चाहती है, जिसके के लिए ड्रैगन फ्रूट्स (Dragon Fruits) योजना लाई है। इस योजना के तहत विदेशी फल ड्रैगन फ्रूट्स की खेती के लिए राज्य के 21 जिलों की मिट्टी को उपयुक्त पाया गया है। इन जिलों में ड्रैगनफ्रूट की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए सब्सिडी देने का फैसला किया है। किसानों को ड्रैगन फ्रूट्स की खेती पर सरकार से 40 प्रतिशत की सब्सिडी मिलेगी। सरकार ने इसके लिए राशि भी जारी कर दी है। इसकी खेती शुरू करने के लिए किसानों को लगभग साढ़े सात लाख रुपये खर्च करने पड़ते हैं, जिसमें सरकार मदद करेगी।
नीतीश सरकार हर बार फसल की स्थिति देखकर खेती पर पैसे देने की योजना तैयार करती है। बिहार में किसान नई-नई फसलों की खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं। इसमें आम, केला, मक्का के बाद अब मखाना और ड्रैगन फ्रूट की खेती युवाओं को पसंद आ रही है। सरकार ने ड्रैगन फ्रूट योजना के लिए सूबे 21 जिलों को चुना है। इन जिलों की मिट्टी और मौसम को ड्रैगन फ्रूट उगाने के लिए अनुकूल पाया गया है। राज्य के मुजफ्फरपुर, पटना, भोजपुर, गोपालगंज, जहानाबाद, सारण, सीवान, सुपौल, औरंगाबाद, बेगूसराय, भागलपुर, गया, कटिहार, किशनगंज, मुंगेर, नालंदा, पश्चिम व पूर्वी चंपारण, पूर्णिया, समस्तीपुर और वैशाली जिले में ड्रैगन फ्रूट की खेती वाले किसानों को सब्सिडी प्रदान की जाएगी।
बिहार सरकार की ओर से ड्रैगन फ्रूट (Dragon Fruits) की खेती पर किसानों को मिलने वाली सब्सिडी का भुगतान तीन चरणों में किया जाएगा। किसानों को यह राशि हर बार फसल की स्थिति देखकर दी जाएगी। इसमें सब्सिडी की पहली किस्त 60 प्रतिशत या 1.80 लाख रुपए प्रति किसान प्रति हेक्टेयर दी जाएगी। दूसरे चरण में कुल सब्सिडी का 20 प्रतिशत यानी 60 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर 75 प्रतिशत पौधे जीवित रहने की स्थिति में और तीसरे चरण में अनुदान की अंतिम किस्त शेष 20 प्रतिशत राशि उसके अगले से 90 प्रतिशत पौधों के जीवित रहने पर भुगतान किया जाएगा।
ड्रैगन फ्रूट (Dragon Fruit) एक विदेशी फल है, जो मैक्सिको और मध्य एशिया में पाया जाता है। ड्रैगन फ्रूट एक दम अनानास (Pineapple) की तरह दिखाई देता है, लेकिन इसका रंग गुलाबी या लाल होता है। ड्रैगन फ्रूट के कच्चे फल हरे रंग के होते हैं, जो पकने पर लाल या गुलाबी रंग में परिवर्तित हो जाते हैं। इसके फल में विटामिन बी, सी कैल्शियम, फास्फोरस और मैग्निशियम भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। यह एंटी ऑक्सीडेंट का काम करता है। यह एक लो कैलोरी फल है, जो वजन घटाने में मददगार है। बाजार में ड्रैगन फ्रूट के फल 100 रुपए से लेकर 400 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से बिकते हैं। ड्रैगन फ्रूट की खेती लागत प्रति क्विंटल बहुत कम है। ड्रैगन फ्रूट का एक पौधा सीजन में 3 से 4 बार फल देता है। प्रत्येक पौधे पर 50 से 120 फल लगते हैं। ड्रैगन फ्रूट की फसल से औसत पैदावार चार से पांच टन प्रति एकड़ तक हो सकती है। ड्रैगन फ्रूट का एक पौधा 10 से 15 साल तक पैदावार देने में सक्षम होता है। ड्रैगन फ्रूट कम वर्षा वाले क्षेत्रों के किसानों के लिए वरदान है। शुष्क और कम वर्षा से प्रभावित क्षेत्रों में किसान ड्रैगन फ्रूट की खेती (dragon fruit farming) कर लाखों रुपए का मुनाफा आसानी से कमा सकते हैं।
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