Glufosinate Technical Ban : फसलों से सुरक्षित उत्पादन तथा फसल की अच्छी पैदावार के लिए किसान समय-समय पर अपने खेतों में कई कीटनाशक व खरपतवारनाशक दवाओं का छिड़काव करते हैं। ऐसे में किसान द्वारा खेतों में खरपतवार को नियंत्रित करने या उन्हें समाप्त करने के लिए समय-समय पर विभिन्न प्रकार के खरपतवारनाशक केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे फसल की पैदावार बढ़ती है। ऐसे में देश के किसान कृषि में खरपतवार के नियंत्रण और फसलों की अच्छी ग्रोथ करने के लिए ‘ग्लूफोसिनेट टेक्निकल’ (Glufosinate Technical) नामक केमिकल का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन भारत सरकार ने अब इसके आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए बीते दिन ‘ग्लूफोसिनेट टेक्निकल’ नाम के सस्ते खरपतवारनाशक के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है। बताया जा रहा है कि सरकार के इस फैसले से घरेलू विनिर्माण कंपनियों को फायदा होगा।
केंद्र सरकार ने घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के मकसद से देश में 1,289 रुपये प्रति किलोग्राम से कम कीमत वाले खरपतवारनाशक 'ग्लूफोसिनेट टेक्निकल' (Glufosinate Technical) के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है। केंद्र के इस फैसले पर नोटिफिकेशन जारी करते हुए विदेश व्यापार महानिदेशालय ने कहा कि, ग्लूफोसिनेट टेक्निकल (Glufosinate Technical) की आयात नीति को मुक्त से निषेध श्रेणी में किया गया है। हालांकि, अगर लागत, बीमा, माल ढुलाई मूल्य 1,289 रुपए प्रति किलोग्राम से अधिक है, तो आयात पहले की तरह मुक्त होगा। महानिदेशालय ने अपने अधिसूचाना में कहा कि ग्लूफोसिनेट टेक्निकल पर प्रतिबंध का यह आदेश 25 जनवरी, 2024 से प्रभावी हो गया है।
विदेश व्यापार महानिदेशालय ने अपने आदेश में कहा कि, सरकार द्वारा खरपतवारनाशक ग्लूफोसिनेट टेक्निकल के आयात पर लगाए गए प्रतिबंध का सबसे ज्यादा फायदा देश में खरपतवार नाशक बनाने वाली भारतीय कंपनियों को मिलेगा। आयात प्रतिबंधित होने से अब किसान खरपतवार को नियंत्रित करने के लिए ज्यादा से ज्यादा घरेलू विनिर्माण खरपतवार नाशक दवाओं का इस्तेमाल कर सकेगें, जिससे घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा। इतना ही नहीं, केंद्र का यह फैसला आत्मनिर्भर भारत की ओर भी एक बड़ा कदम है।
बता दें कि ग्लूफोसिनेट टेक्निकल एक प्रकार का सस्ता खरपतवारनाशक केमिकल है। इसका उपयोग किसान अपने खेतों में खरपतवार को नियंत्रित करने के लिए करते हैं। वहीं, कुछ किसान ग्लूफोसिनेट टेक्निकल का इस्तेमाल खेतों में फसलों की ग्रोथ और बेहतर पैदावार के लिए भी करते हैं। आईसीएआर- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के मुताबिक, विकसित देशों में कृषि में खरपतवारों से पांच से दस प्रतिशत तक नुकसान हो सकते हैं, जबकि विकासशील देशों में यह 20-30 प्रतिशत तक हो सकता है। खेतों में खरपतवार फसल को काफी हद तक नुकसान पहुंचाता है, जिससे चलते फसलों की ग्रोथ रूक जाती है साथ ही फसल में कीट-रोग की संभावना भी बढ जाती है, जिससे फसल की पैदावार प्रभावित होती है, जिससे किसानों को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ जाता है।
केंद्र सरकार ने कृषि में खरपतवारनाशक केमिकल के कई दुष्प्रभाव और स्वास्थ्य संबंधी जोखिमों को देखते हुए इससे पहले भी कई सस्ते खरपवारनाशक दवाओं पर प्रतिबंध लगाया है। केंद्र सरकार द्वारा बीते कुछ साल पहले ही राउंडअप नाम से मशहूर हर्बिसाइड ग्लाइफोसेट के उपयोग एवं बिक्री पर पूर्णरूप से प्रतिबंध लगाया जा चुका है। हर्बिसाइड ग्लाइफोसेट बहुत सस्ता और प्रभावी खरपतवारनाशक है। किसान इस खरपतवारनाशक का इस्तेमाल चारागाह घास, सोयाबीन, फील्ड कॉर्न, फसल के खेतों में करते हैं। हर्बिसाइड ग्लाइफोसेट फसलों में खरपतवार को नियंत्रित करने के लिए काफी प्रभावी खरपतवारनाशक माना जाता है, जिसके चलते देश में इसका व्यापक रूप से इस्तेमाल होता है। लेकिन इसके प्रयोग से मनुष्य और जानवर के स्वास्थ्य संबंधी खतरों और जोखिमों को देखते हुए सरकार ने इसके बिक्री और उपयोग को बैन कर दिया है। भारत के तमिलनाडु, केरल, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में हर्बिसाइड ग्लाइफोसेट के बिक्री और उपयोग को पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जा चुका है।
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