चंदन की खेती (sandalwood farming) : देश में बीते कुछ दशकों के अंदर किसान खेती से कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाने का प्रयास करते नजर आ रहे है। किसानों को इन्हीं प्रयासों को फसल बनाने में केंद्र और राज्य सरकारें भी अपना पूर्ण रूप से सहयोग प्रदान कर रही है। वहीं, देश के कृषि वैज्ञानिक भी खेती को और अधिक मुनाफेदार बनाने के लिए नई तकनीकों एवं किस्मों का आविष्कार भी कर रहे है। आज के दौर में इन नई तकनीकों एवं किस्मों के विकसित हो जाने से खेती करना काफी आसान हो गया है। जिसके परिणाम देश के किसान आए दिन खेती में नए-नए प्रयोग कर ऐसी-ऐसी मुनाफेदार कमर्शियल फसलों की खेती कर रहे है। उनकी खेती से काफी मोटा मुनाफा भी कमा रहे है। ऐसी मुनाफेदार कमर्शियल फसलों की खेती में चंदन भी शामिल है। चंदन की मांग देश के साथ-साथ विदेशों में भी काफी अधिक है। क्योंकि इसकी लकड़ी से बनी सामग्री काफी महंगे दाम पर बिकती हैं। चंदन की खेती में आप जितना पैसा खर्च करते हैं उससे कई गुना इसमें मुनाफा होता है। ट्रैक्टरगुरु के इस लेख में हम आपको इसकी खेती के बारे में जानकारी देंगे।
चंदन विश्व का दुर्लभ वृक्ष हैं, यह दुनिया के बहुत कम हिस्सों में पाए जाते है। चंदन के पेड़ दुनिया भर में अपनी सुंदर सुगंध के लिए लोकप्रिय हैं। यह एक सदाबहार पेड़ है। इसकी लकड़ी से बनी सामग्री काफी महंगे दाम पर बिकती हैं। इसकी लकड़ी का उपयोग ज्यादातर कॉस्मेटिक, चिकित्सीय, वाणिज्यिक, औषधीय, संगीत वाद्ययंत्र, फर्नीचर, मूर्तियां आदि बनाने के लिए किया जाता हैं। चंदन से बनी वस्तुओं की कीमत अधिक रहती है। और बाजार में इनकी मांग अधिक रहती है। इसमें से निकलने वाले तेल का प्रयोग साबुन, कॉस्मेटिक्स, और परफ्यूम में खुशबू के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।
चंदन एक सुगंध एवं सदाबहार पेड़ है। यह पेड़ मुख्य रूप से कर्नाटक के जंगलों में मिलता है एवं भारत के अन्य क्षेत्रों में भी कहीं-कहीं पाया जाता है। भारत के 600 से लेकर 900 मीटर तक कुछ ऊँचे स्थल और मलय द्वीप इसके मूल स्थान हैं। इसके पेड़ की औसत उंचाई 8 से 20 मीटर और मोटाई 100 से 190 सेमी तक होती है, इसकी लकड़ी का घनत्व ज्यादा होता हैं। यह परोपजीवी पेड़, सैंटेलेसी कुल का सैंटेलम ऐल्बम लिन्न (Santalum album linn) है। चंदन के पेड़ की आयुवृद्धि के साथ ही इसके तनों और जड़ों की लकड़ी में सौगंधिक तेल का अंश भी बढ़ने लगता है। इसकी लकड़ी की अंतरराष्ट्रीय बाजारों में काफी मांग एवं अधिक कीमत भी है। इसकी पूर्ण परिपक्वता में 8 से लेकर 15 साल तक का समय लगता है। इसमें लगने वाला खर्च लगभग एक लाख रुपए होता है और इसमें मुनाफा 60 लाख रुपए तक का हो सकता है।
चंदन के पेड़ तैयार करने में करीब 10 से 12 साल का समय लगता है। चंदन के एक पेड़ से आप लगभग 3 से 5 लाख रूपये तक की कमाई कर सकते हैं। इसकों आप जितने बड़े भूभाग में चंदन के पेड़ लगाएंगे, उतनी ज्यादा आपकी आमदनी बढ़ेगी। बाजार में चंदन की लकड़ी की कीमत लगभग 15 से 20 हजार रुपए किलो तक है। वहीं, विदेशों के बाजारों में यह 20 से 25 हजार रुपए प्रति किलो तक बिकता हैं। इसके पूर्ण रूप से विकसित एक पेड़ से लगभग 20 से 40 किलो लकड़ी आराम से मिलती है। इस हिसाब से इसके एक एकड़ खेती से 12 से 15 साल बाद करीब 50 से 60 लाख रूपये तक की कमाई कर सकते हैं।
वर्तमान समय में चंदन की खेती देश के कई हिस्सों में की जा रही है। इसकी खेती में पौधा लागने के लिए सीडलिंग की जरूरत होती है, जो काफी महंगा होता है, लेकिन थोक में इसे खरीदें तो लगभग 400-500 रूपये प्रति पौधे की दर से खरीद सकते हैं। इसके अलावा इसके साथ लगने वाले होस्ट के पौधे की कीमत करीब 50 से 60 रुपये होती है। एक एकड़ में करीब 350 से 450 पौधे लगाए जा सकते हैं। इसकी खेती में लागत इसके भू-भाग और पेड़ की संख्या पर भी निर्भर करती है। चंदन के पेड़ को शुरू के 8 से 10 सालों तक किसी सुरक्षा की जरूरत नहीं होती, क्योंकि उस समय तक इसमें खुशबू नहीं होती है। लेकिन जैसे ही इसका पेड़ पकने लगता है, तो इसमें खुशबू आनी शुरू हो जाती है। तब इसकी सुरक्षा की जरूरत होती है। किसान इसकेे लिए खेत की तार की घेराबंदी करा सकते हैं।
चंदन की खेती के लिए ढालवाँ जमीन, जल सोखनेवाली उपजाऊ चिकनी मिट्टी तथा 500 से लेकर 625 मिमी. तक वार्षिक वर्षा की आवश्यकता होती है। लेकिन रेतीली मिट्टी, चिकनी मिट्टी, लाल मिट्टी, काली दानेदार मिट्टी में भी लाल चंदन के पेड़ के लिए उपयुक्त होती हैं। चंदन के पेड़ की खेती के लिए मिट्टी का पीएच 6.5 से 7.5 के बीच में थोड़ा सा क्षारीय होना चाहिए। इसकी खेती ऐसी जगह नहीं हो सकती है जहां पानी का जमाव होता हैं।
चंदन के पेड़ लगभग हर प्रकार की मिट्टी, जलवायु और तापमान मे उग सकता हैं, चंदन के पेड़ की खेती के 10 डिग्री से. से 30 डिग्री से. के बीच का तापमान बेहतर माना गया हैं। इस प्रकार के जलवायु में चंदन के पेड़ की वृद्धि सही प्रकार से होती हैं। इसकी खेती में होस्ट का पौधा लगाना जरूरी होता है, क्योंकि चंदन अकेले फल-फूल नहीं सकता। क्योंकि इसका पौधा परजीवी पौधा है। और इसे ग्रोथ के लिए होस्ट का होना जरूरी है। दरअसल, होस्ट के पौधे की जड़ें चंदन की जड़ों से मिलती हैं और तभी चंदन का विकास तेजी से होता हैं।
साफ-सफाई - चंदन की खेती में साफ सफाई का खास ख्याल रखना होता है। चंदन के पौधे लगाने के बाद इसके आस-पास के हिस्सों में साफ सफाई रखें। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना होता है कि इसकी जड़ों के पास पानी का जमाव न हो। पानी के जमाव से बचने के लिए इसकी मेड़ को थोड़ा ऊपर रखें। चंदन के पौधों को हफ्ते में 3 से 4 लीटर पानी की आवश्यकता होती है।
सुरक्षा की जिम्मेदारी - सरकार ने यह शर्त लगाते हुए किसानों को चंदन की खेती करने की अनुमति दे दी है कि चंदन के पेड तैयार होने के बाद उन्हें सिर्फ वन विभाग ही खरीदेगी और खुद ही एक्सपोर्ट करेगी। एवं इसे काटने की अनुमति भी वन विभाग ही प्रदान करेंगा। सरकारी निर्देश के अनुसार चंदन की लकड़ी को 15 साल से पहले नही काटा जा सकता है। सरकार ने यह भी शर्त लगाते हुए साफतौर पर कहा है कि इसकी चोरी होने पर सरकार या कानून आपकी कोई मदद नहीं कर सकता। इसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी खुद ही उठानी होगी।
Ans. इसके पौधे को 10 बाई 10 फीट की दूरी में लगाया जाता हैं।
Ans. किसान इसके पूर्णरूप से विकसित एक पेड़ से 3 से 5 लाख रूपये तक कमा सकते हैं।
Ans. बाजार में चंदन की लकड़ी की कीमत लगभग 15 से 20 हजार रुपए किलो तक है। वहीं, विदेशों के बाजारों में यह 20 से 25 हजार रुपए प्रति किलो तक बिकता हैं।
Ans. भारत में कर्नाटक के जंगलों में मिलता है। एवं भारत के अन्य हिस्सों में कहीं-कहीं पाया जाता है।
Ans.चंदन के पेड़ ढालवाँ जमीन, जल सोखनेवाली उपजाऊ चिकनी मिट्टी तथा 500 से लेकर 625 मिमी. तक वार्षिक वर्षा वाले इलाकों में लगा सकते है?
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