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कटहल की खेती से कमाएं लाखों रूपए सालाना, अधिक पैदावार के लिए ऐसे करें इसकी खेती

कटहल की खेती से कमाएं लाखों रूपए सालाना, अधिक पैदावार के लिए ऐसे करें इसकी खेती
पोस्ट -04 दिसम्बर 2022 शेयर पोस्ट

कटहल की खेती (Jackfruit Farming) कैसे करें, इसकी खेती किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है।

कटहल विश्व का सबसे बड़ा और वजनी फल हैं। इसके एक फल का वजन करीब 10 से 25 किलो तक हो सकता है। कटहल के पेड़ को तैयार होने में करीब 5 से 6 वर्ष का समय लगाता है। यानि कटहल का पेड़ करीब 5 से 6 सालों के पश्चात पैदावार देना आरंभ करता है। इसका पूर्ण रूप से विकसित पौधा सालों-साल तक पैदावार देता है। आमतौर पर इसे लोग सब्जी के रूप में ज्यादा इस्तेमाल करते है। लोग इसे सब्जी मानते है। लेकिन वनस्पति शास्त्र में इसे सब्जी नहीं बल्कि फल माना जाता है। एक वर्ष में कटहल के पेड़ से दो बार फलों को प्राप्त किया जा सकता है। इस लिहाज से कटहल की खेती किसानों के लिए आय की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसकी खेती से किसानों को बहुत अच्छा मुनाफा करवा सकती है। इसकी बागवानी के लिए कई राज्य सरकारें सब्सिडी भी प्रदान करती है। कटहल कच्चा हो या पका हुआ, इसको दोनों प्रकार से उपयोगी माना जाता है, इसलिए बाजार में इसकी मांग ज्यादा होती है। इस लिहाज से इसकी खेती किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रही है। वर्तमान में इसकी बागवानी से यूपी, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और दक्षिण भारत के कई राज्यों के किसान मोटी आय अर्जित कर अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर रहे है। इसकी खेती में ज्यादा देख-भाल की आवश्यकता नहीं होती है और न ही ज्यादा लागत लगानी पड़त है। यदि आप भी इसकी खेती करने का मन बना रहे है, तो ट्रैक्टरगुरु के इस लेख में हम आपकों इसकी खेती से संबंधित कुछ जानकारी देने जा रहे है। इस जानकारी से आप इसकी खेती अच्छी तरह से कर पाएंगे।

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स्वास्थ्य की दृष्टि से एक महत्त्वपूर्ण स्वास्थ्यवर्धक फल है।

कटहल को स्वाद एव पौष्टिकता की दृष्टि से इसे स्वास्थ्यवर्धक फल माना जाता है। इसके पके हुए फल को ऐसे भी खाया जा सकता है। किन्तु विशेषकर इसे सब्जी के रूप में खाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। कटहल के फल बसंत ऋतु से वर्षा ऋतु तक मिलते है। बसंत ऋतु में जब सब्जी की अन्य किस्मों का अभाव रहता है, कटहल के छोटे एवं नवजात मुलायम फल एक प्रमुख एवं स्वादिष्ट सब्जी के रूप में प्रयोग किए जाते हैं। कटहल में कई तरह के पोषक तत्व जैसेरू- आयरन, कैल्शियम, विटामिन ए, सी, और पौटेशियम बड़ी मात्रा में भी पाए जाते हैं, जो कि मानव शरीर के लिए लाभदायक भी हैं। इसके फल जैसे-जैसे बड़े होते है इनमें गुणवत्ता का विकास होता जाता है। पूर्ण परिपक्व होने पर कटहल के फलों में शर्करा, पेक्टिन, खनिज पदार्थ एवं विटामिन ‘ए’ का अच्छा विकास होता है। हृदय रोग, कोलन कैंसर और पाइल्स की समस्या में कटहल काफी फायदेमंद साबित होता है।

भारत में कटहल की खेती का इतिहास

कटहल ऐसा फल है जो हजारों सालों से भारत में होता आ रहा है। दक्षिण भारत के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कटहल के पेड़ हजारों सालों से हैं। दक्षिण भारत में विशेषकर महाराष्ट्र, कर्नाटक और केरल राज्य में इसकी खेती 6,000 साल पहले से की जा रही है। इसकी खेती पूर्वी एवं पश्चिमी घाट के मैदानों, उत्तर-पूर्व के पर्वतीय क्षेत्रों, संथाल परगना एवं छोटानागपुर के पठारी क्षेत्रों, बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश एवं बंगाल के मैदानी भागों में मुख्य रूप से की जाती है। कटहल के वृक्ष की छाया में कॉफी, इलाइची, काली मिर्च, जिमीकंद हल्दी, अदरक इत्यादि की खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है। कटहल का निर्यात अब विदेशों में भी किया जा रहा है। इस वजह से इसकी खेती करने वाले किसान इसकी खेती से लाखों रूपये का हर साल कमा रहे हैं। जानकारी के लिए बता दें कि कटहल बांग्लादेश और श्रीलंका का राष्ट्रीय फल है, वहीं, भारत में इसके केरल और तमिलनाडु जैसे राज्य में इसे राज्य फल का दर्जा दिया गया है।

कटहल का पेड़ कैसे होता है?

कटहल का पेड़ सदाबहार होता है। और यह बारहमास हरा भरा रहता है। इस पेड़ की ऊंचाई लगभग 12 से 15 मीटर तक हो जाती है। यह बहुत घना और विशाल होता। इस पेड़ की शाखाएं अधिक फैलती है। कटहल या फनस का वानस्पतिक नाम औनतिआरिस टोक्सिकारीआ है। इसके पत्ते 10 से 20 सेमी लम्बे और कुछ चौड़े, किंचित अंडाकार और किंचित कालापनयुक्त हरे रंग के होते हैं। कटहल में पुष्प स्तम्भ और मोटी शाखाओं पर लगते हैं। पुष्प 5 सेमी से लेकर 15 सेमी तक लम्बे, 2 से 5 सेमी गोल अंडाकार और किंचित पीले रंग के होते हैं। इसके फल बहुत बड़े-बड़े लम्बाई युक्त गोल होते हैं। उसके उपर कोमल कांटे होते हैं। कटहल का पेड़ को तैयार होने में 5 से 6 साल लगते है। इसका एक पेड़ करीब 12 साल तक अधिक पैदावार देता है। इसके बाद यह फलों की मात्रा कम कर देता है और जैसे-जैसे पेड़ पुराना होने लगता है पेड़ पर फलों की संख्या कम होने लगती है। कृषि विशेषज्ञों की मानें तो इसके एक हेक्टेयर के खेत में करीब 130 से 150 पौधों को लगाया जा सकता है। जिससे एक वर्ष में एक पौधे से करीब 1000 किलो तक की पैदावार प्राप्त की जा सकती है। इस हिसाब से कटहल की एक वर्ष की पैदावार से करीब तीन से चार लाख की कमाई की जा सकती है।

कटहल की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु

कटहल उष्ण कटिबन्धीय जलवायु का पेड़ हैं। इसकी खेती शुष्क एवं शीतोष्ण दोनों जलवायु में सफलतापूर्वक कर सकते हैं। कटहल की खेती के लिए शुष्क और नम, दोनों प्रकार की जलवायु को उपयुक्त माना गया है। इसके पौधे अधिक गर्मी और वर्षा के मौसम में आसानी से वृद्धि कर लेते है, इस का पौधा 10 डिग्री से नीचे का तापमान सहन नही कर सकता है।

कटहल की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी

कटहल को किसी भी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है, लेकिन अधिक जलभराव वाली मिट्टी इसकी खेती के लिए उपयुक्त नहीं होती है। कटहल की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी को उपयुक्त माना गया है। इस बात का विशेष ध्यान रखे की भूमि जल-भराव वाली न हो। तथा भूमि का पी.एच मान 7 के आस-पास होना चाहिए।

कटहल की खेती के लिए पौधें तैयार करना

कटहल की खेती में खेत की बुवाई दो तरीक से कि जाती है। पहला बीज द्वारा बीजों द्वारा उगाये गए पौधों पर 5 से 6 वर्ष का समय लग जाता है। वहीं, ग्राफ्टिंग या कटिंग द्वारा तैयार किये गए कटहल के पौधे करीब तीन से चार साल में फल देना आरंभ कर देते है। यदि आप कटहल के पौध को बीजों द्वारा तैयार करना चाहते हैं, तो उसके लिए आपको पहले पके हुए कटहल से बीज निकालने हैं। पौध तैयार करने के लिए आपको गमला या पॉलीथिन बैग लेना है, गमला या पॉलीथिन बैग लेने के बाद आपको इसके अंदर 80 प्रतिशत सामान्य मिट्टी और 20 प्रतिशत पुरानी गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट मिलाकर इसे भर लेना है। कटहल में से निकाले गए बीज को लगभग दो इंच की गहराई में रोपाई करें। जब पौधों पर तीन से चार पत्तियां आ जाएँ, तो इनकी रोपाई तैयार खेत में की जा सकती हैं।

कटहल की खेती के लिए खेत की तैयारी 

इसकी खेती के लिए खेत तैयार करने लिए पहले खेत की 3 से 4 गहरी जुताई करें। इसके बाद इसमें पाटा चलाकर भूमि को समतल कर लें। तैयार खेत में 10 से 12 मीटर की दूरी पर 1 मीटर व्यास एवं 1 मीटर गहराई के गड्ढे तैयार करें। इन तैयार गड्ढे में 20 से 25 किलोग्राम गोबर की सड़ी खाद अथवा कम्पोस्ट, 250 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट, 500 म्युरियेट आफ पोटाश, 1 किलोग्राम नीम की खल्ली तथा 10 ग्राम थाइमेट को मिट्टी में अच्छी प्रकार मिलाकर भर देना चाहिए। इसके बाद इसके तैयार पौधे एवं बीज की रोपाई करें। कटहल के पौधे एवं बीजों की रोपाई का सही समय जून से सितम्बर का महीना होता है। 

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