आज हम आपको एक ऐसी खेती के बारे में जानकारी दे रहे हैं जो कम लागत व खर्चे में ज्यादा मुनाफा देती है। साथ ही इसकी खेती में कीटनाशक की जरूरत भी नहीं पड़ती है। जब किसान बारिश की कमी के कारण खरीफ सीजन में बुवाई नहीं कर पाता है तो इसकी बुवाई से मोटा मुनाफा कमा सकता है। यह एक व्यावसायिक और नकदी फसल है और भारत सरकार भी इसके निर्यात से विदेशी मुद्रा कमाती है। यह है तंबाकू की खेती।
तंबाकू के नकारात्मक पक्ष को सभी लोग जानते हैं कि यह एक नशीला पदार्थ है और इससे कई नशीली वस्तुएं बनाई जाती है। लेकिन तंबाकू का सकारात्मक पक्ष भी है। तंबाकू का उपयोग कई तरह की औषधियां बनाने, जैविक कीटनाशक बनाने में होता है। वहीं तंबाकू के तेल का उपयोग वार्निश और रंग बनाने में किया जाता है। तंबाकू के निर्यात से भारत सरकार हर साल करोड़ों रुपए की विदेशी मुद्रा अर्जित करती है। भारत में तंबाकू की खेती बहुत कम खर्च में की जा सकती है। साथ ही तंबाकू की खेती (Tambaku ki kheti) के लिए किसी तरह के लाइसेंस की जरूरत भी नहीं पड़ती है। आईये, ट्रैक्टर गुरु की इस पोस्ट में तंबाकू की खेती (Tobacco Farming) के बारे में जानते हैं।
भारत में तंबाकू की खेती (Tambaku ki kheti) एक व्यावसायिक और नकदी फसल है। इस फसल की मांग इतनी अधिक है कि खेती में खड़ी फसल भी बिक जाती है। तंबाकू की फसल कम पानी व कम श्रम में अच्छा मुनाफा देती है। तंबाकू की खेती के प्रमुख फायदे इस प्रकार है :
भारत की जलवायु तंबाकू की खेती (tobacco farming) के लिए उपयुक्त है। तंबाकू की खेती के लिए ठंडी व शुष्क जलवायु बेहतर मानी जाती है। इसके पौधों को पनपने के लिए 15 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है। पौधों के बढ़ने के समय 20 डिग्री तथा पौधे के अंदर पत्तियां आने के समय उच्च तापमान और भरपूर धूप की आवश्यकता होती है। तंबाकू की खेती (tobacco farming) के लिए रेतीली, दोमट और बलुई मिट्टी को आदर्श माना गया है जबकि काली मिट्टी में भी तंबाकू (tobacco) को उगाया जा सकता है। तंबाकू की रोपाई का सबसे आदर्श समय 20 सितंबर से 10 अक्टूबर के बीच माना गया है। तंबाकू की सुगंधित किस्म को दिसंबर की शुरुआत में तथा सिगार की किस्मों को अक्टूबर से दिसंबर के बीच लगाया जाता है।
तंबाकू की खेती (tobacco farming) में बीजों को सीधे खेतों में नहीं बोया जाता है। सबसे पहले बीजों से नर्सरी या ग्रीन हाउस में पौधे तैयार किए जाते हैं। इन पौधों को करीब डेढ़ महीने तक नर्सरी में विकसित किया जाता है। उसके बाद इन्हें खेतों में रोपा जाता है। तंबाकू के बीजों से पौधे तैयार करने के लिए सबसे पहले एक से डेढ़ महीने पहले अगस्त से सितंबर महीने के दौरान ग्रीनहाउस में तैयारी शुरू कर दें। शुरुआत में पांच मीटर क्षेत्र में दो क्यारी तैयार कर लें और इसमें गाय का गोबर डालकर अच्छी तरह मिलाएं। इसके बाद तंबाकू के बीजों (tobacco seeds) को ऊपर फैलाकर अच्छी तरह मिट्टी में मिलाना चाहिए। इसके बाद सिंचाई करनी चाहिए। इसके बाद बीज की क्यारी को कैसरोल से ढकना चाहिए। जब बीज अंकुरित हो जाए तो पुलाव को हटा देना चाहिए। अगर आप तंबाकू की खेती करना चाहते हैं तो इसके बीज आपको ऑनलाइन मिल जाएंगे। इसके अलावा आप सरकारी उद्यानिकी विभाग या अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र या कृषि कॉलेज में संपर्क कर सकते हैं।
भारत में तंबाकू की दो प्रजातियां उगाई जाती हैं जो निकोटिआना टेबेकम (Nicotiana tebecum) और निकोटिआना रस्टिका (विलायती तंबाकू) (Nicotiana rustica) है।
देश के चुनिंदा राज्यों में ही तंबाकू (tobacco) की खेती होती है। लेकिन चार राज्य गुजरात, आंध्रप्रदेश, उत्तरप्रदेश और कर्नाटक देश की 93 प्रतिशत तंबाकू (tobacco) का उत्पादन करते हैं। इन राज्यों में गुजरात में सबसे ज्यादा तंबाकू की खेती की जाती है। गुजरात में 47.75 प्रतिशत तंबाकू का उत्पादन होता है। तंबाकू उत्पादन में दूसरे नंबर पर आंध्रप्रदेश है, जहां कुल 23.08 प्रतिशत तंबाकू का उत्पादन किया जाता है। तीसरे नंबर पर उत्तरप्रदेश में 12.23 प्रतिशत उत्पादन होता है। चौथे नंबर पर कर्नाटक है, जहां 10.38 प्रतिशत तंबाकू का उत्पादन होता है। इनके अलावा अन्य राज्यों में शेष 7 प्रतिशत तंबाकू का उत्पादन किया जाता है।
भारत अनिर्मित तंबाकू का दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है। भारत लगभग 5000 करोड़ रुपये मूल्य के तंबाकू का निर्यात 115 देशों को करता है। इनमें जापान और यूरोप जैसे गुणवत्ता के प्रति जागरूक बाजार भी शामिल हैं।
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