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ड्रिप इरिगेशन : खेती में 70 प्रतिशत पानी बचाकर 50 प्रतिशत ज्यादा पैदावार पाएं

ड्रिप इरिगेशन : खेती में 70 प्रतिशत पानी बचाकर 50 प्रतिशत ज्यादा पैदावार पाएं
पोस्ट -09 जुलाई 2022 शेयर पोस्ट

सूक्ष्म सिंचाई विधि : जानें, किस प्रकार लाभकारी सिद्ध हो रहा है खेती में यह तरीका

वर्तमान समय में खेती-किसानी में सबसे बड़ी समस्या सिंचाई की है। तेजी से गिरते भू-जल स्तर ने इस समस्या को और भी जटिल बना दिया है। सिंचाई की इस समस्या से किसानों को छुटकारा दिलाने के लिए केन्द्र और राज्य सरकर आपस में मिलकर कई प्रकार की सिंचाई योजनाओं का संचालन कर रही है। इन सिंचाई योजनाओं के तहत कृषि और उद्यान विभाग द्वारा किसानों को सूक्ष्म सिंचाई विधि के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में किसान वैज्ञानिक तरीके और सरकारी मदद से खेती कर रहे हैं। यहां के किसान खेती में सूक्ष्म सिंचाई विधि (ड्रिप इरिगेशन) का इस्तेमाल कर रहे है। ड्रिप इरिगेशन सिंचाई विधि किसानों के लिए खेती में काफी लाभकारी सिद्ध हो रहा है। 

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इस सिंचाई विधि में जहां फसल की लागत में कमी आती है, तो वहीं इस खास तरीके से खेती कर किसान भाई खाद, पानी और पैसा तीनों बचाकर लाखों रुपए की कमाई भी कर रहे हैं। यहां के किसान भाई पारंपरिक खेती से हटकर अब वैज्ञानिक विधि से खेती कर रहे हैं। जिसमें कृषि और उद्यान विभाग दोनों मिलकर इनकी मदद कर रहे हैं। सिंचाई की यह विधि जमीन में घटते जलस्तर को बचाने में भी यह काफी मददगार है और समय से पौधे की जड़ को भी पानी मिल रहा है। ट्रैक्टर गुरू के इस लेख के माध्यम से हम आपको ड्रिप इरिगेशन विधि के बारे में कुछ महत्पूर्ण जानकारी उपलब्ध कराने जा रहे हैं। आशा करते हैं कि यह जानकारी आपके लिए खेती में काफी लाभकारी सिद्ध होगी।

50 से 70 प्रतिशत जल की बचत 

यूपी के हरदोई जिले के जिला उद्यान अधिकारी सुरेश कुमार ने बताया कि यहां के किसान ड्रिप इरिगेशन विधि का उपयोग आम, बैंगन, मिर्च, पपीता और लता वाली सहित अन्य फसलों की खेती में कर रहे हैं। ड्रिप इरिगेशन विधि से किसान इन फसलों की सिंचाई भी काफी बेहतरीन तरीके से कर रहे हैं। इस विधि से किसान 50 से 70 प्रतिशत तक जल की बचत भी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस विधि के उपयोग से खेती में 50 प्रतिशत प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन में भी वृद्धि देखी जा रही है। इसके अलावा इस विधि से खेती में खाद की भी बड़ी बचत देखने को मिल रही है। उद्यान अधिकारी ने बताया कि ड्रिप इरिगेशन सिंचाई सिस्टम को उबड़ खाबड़ खेतों में बिना लेवलिंग के ही प्रयोग किया जाता है। इस सिंचाई सिस्टम से खेती करने में करीब 40 से 50 प्रतिशत तक ऊर्जा की बचत के साथ किसानों की सिंचाई लागत में भी बचत होती है। इसके अलावा बढ़ती बिजली की कीमतों और पेट्रोल डीजल की कीमतों का असर किसान पर नहीं पड़ता है।

सरकार देती है ड्रिप इरिगेशन सिस्टम पर अनुदान

जिला उद्यान अधिकारी सुरेश कुमार ने बताया कि कृषि विभाग और उद्यान विभाग दोनों मिलकर किसानाें की मदद कर रहे हैं। सरकार इन सूक्ष्म सिंचाई संयंत्रों पर 50 से 75 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान करती है। प्रधानमंत्री सिंचाई योजना के तहत ड्रिप इरिगेशन सिंचाई सिस्टम के लिए केन्द्र सरकार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला किसानों को 55 प्रतिशत तथा अन्य काश्तकारों के लिए 45 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। इस योजना में केन्द्र सरकार का हिस्सा 60 प्रतिशत और राज्य सरकार का 40 प्रतिशत है। 

ड्रिप इरिगेशन सिंचाई पद्धति से किसानों को लाभ

  • जिला उद्यान निरीक्षक हरिओम ने बताया कि ड्रिप इरिगेशन सिंचाई पद्धति के इस्तेमाल से समय और मजदूरी में होने वाले खर्च में कमी होती है। पौधों के जड़ क्षेत्र में पानी सदैव पर्याप्त मात्र में रहता है। 

  • ड्रिप इरिगेशन सिंचाई विधि से जमीन में जल की मात्रा उचित क्षमता स्थिति पर बनी रहने से पौधों में वृद्धि तेजी से और एक समान रूप से होती है। 

  • हरदोई के जिला अधिकारी अविनाश कुमार ने बताया कि किसानों को इस सिंचाई विधि के लिए इन सिंचाई संयंत्रों पर प्रधानमंत्री सिंचाई योजना के तहत सब्सिडी का लाभ भी दिया जा रहा है। 

  • पंप और ओवरहेड टैंक, फिल्टर एवं कंट्रोल इकाई, फर्टिलाइजर टैंक, प्लास्टिक पाइप लाइन सिस्टम और पूरे कंट्रोल सिस्टम को लगाने के लिए जिला उद्यान विभाग और कृषि विभाग दोनों मिलकर किसान की मदद कर रहे हैं। 

  • ड्रिप इरिगेशन सिस्टम से फसल को हर दिन या एक दिन छोड़कर पानी दिया जाता है। इस सिस्टम में पानी अत्यंत धीमी गति से दिया जाता है। 

  • हरदोई जिले में ड्रिप इरिगेशन सिंचाई विधि से खेती कर रहे समीर का कहना है कि वह पहले सामान्य तरीके से पारंपरिक सिंचाई विधि से खेती करते थे, लेकिन ड्रिप इरिगेशन सिस्टम ने उनकी खेती करने का तरीका बदल दिया है। अब इस सिस्टम से उन्हें एक हेक्टेयर खेत में खेती करने से लाखों की बचत हो रही है। उन्हें देखकर आसपास के किसान भी इस विधि के लिए प्रोत्साहित हो रहे हैं। 

ड्रिप इरिगेशन सिंचाई पद्धति के फायदे

  • ड्रिप इरिगेशन सिंचाई पद्धति में जल उपयोग दक्षता 95 प्रतिशत तक होती है, जबकि पारम्परिक सिंचाई प्रणाली में जल उपयोग दक्षता लगभग 50 प्रतिशत तक ही होती है। इस सिंचाई प्रणाली में अनुपजाऊ भूमि को उपजाऊ भूमि में परिवर्तित करने की क्षमता होती है।

  • ड्रिप इरिगेशन सिंचाई पद्धति में उतने ही जल एवं उर्वरक की आपूर्ति की जाती है। जितनी फसल के लिए आवश्यक होती है। इस सिंचाई विधि में जल के साथ-साथ उर्वरकों को अनावश्यक बर्बादी से रोका जा सकता है।

  • ड्रिप इरिगेशन सिंचाई पद्धति से सिंचित फसल की तीव्र वृद्धि होती है, फलस्वरूप फसल शीघ्र परिपक्व होती है।

  • यह पद्धति खरपतवार नियंत्रण में अत्यन्त ही सहायक होती है क्योंकि सीमित सतह नमी के कारण खरपतवार कम उगते हैं। जल की कमी वाले क्षेत्रों के लिए यह सिंचाई विधि अत्यन्त ही लाभकर होती है।

  • इस सिंचाई विधि में कीटनाशकों एवं कवकनाशकों के धुलने की संभावना कम होती है। इस सिंचाई विधि में फसलों की पैदावार 50 प्रतिशत बढ़ जाती है। पारम्परिक सिंचाई की तुलना में इस सिंचाई पद्धति से 70 प्रतिशत तक जल की बचत की जा सकती है।

  • इस सिंचाई पद्धति में पेड़-पौधों को प्रतिदिन जरूरी मात्रा में पानी मिलता है। फलस्वरूप फसलों की बढ़ोतरी व उत्पादन दोनों में वृद्धि होती है। टपक सिंचाई से फल, सब्जी और अन्य फसलों के उत्पादन में 20 प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक बढ़ोतरी संभव है।

  • ड्रिप इरिगेशन सिंचाई पद्धति से ऊबड़-खाबड़, क्षारयुक्त, बंजर जमीन शुष्क खेती वाली, पानी के कम रिसाव वाली जमीन और अल्प वर्षा की क्षारयुक्त जमीन और समुद्र तटीय जमीन भी खेती हेतु उपयोग में लाई जा सकती है।

  • ड्रिप इरिगेशन सिंचाई पद्धति से रासायनिक खाद, पोषक तत्व बराबर मात्रा में सीधे पौधों की जड़ों में पहुंचाए जाते हैं, जिसकी वजह से पौधे पोषक तत्वों का उपयुक्त इस्तेमाल कर पाते हैं तथा प्रयोग किये गए उर्वरकों में होने वाले विभिन्न नुकसान कम होते हैं। जिससे पैदावार में वृद्धि होती है। इस पद्धति द्वारा 30 से 45 प्रतिशत तक रासायनिक खाद की बचत की जा सकती है।

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