धान की इन किस्मों की करें खेती कम पानी से ज्यादा पैदावार

पोस्ट -19 जून 2023 शेयर पोस्ट

धान की इन किस्मों की खेती से होगी बंपर पैदावार

भारत में धान की खेती सबसे ज्यादा जिन राज्यों में की जाती है उनमें बिहार का नाम सबसे पहले आता है। बिहार में धान की फसल किसानों की आय का मुख्य जरिया है। यहां पटना, गया, नालंदा, चंपारन, भागलपुर, नवादा, औरंगाबाद और बेगूसराय आदि जिले धान की खेती के लिए जाने जाते हैं। मई से जून तक धान की रोपाई की जाती है। किसान अलग-अलग जिलों में अपनी पसंद से धान की किस्मों की बुआई करते आए हैं लेकिन बेगूसराय एक ऐसा जिला है जहां धान की फसल अन्य जिलों की तरह ज्यादा नहीं हो पा रही है। ऐसे में किसानों को उम्मीद से कम पैदावार मिलती है। यदि यहां के किसान पूसा कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से तैयार की गई धान की नई किस्मों की खेती करें तो उन्हे कम लागत में ज्यादा पैदावार मिल सकती है। यह खबर बिहार के बेगूसराय जिले के किसानों के लिए काफी लाभदायक सिद्ध हो सकती है। कृषि विज्ञान केंद्र पूसा के वैज्ञानिकों ने धान की नई किस्मों की खोज की है। इनका नाम राजेंद्र विभूति और राजेंद्र श्वेता हैं। यहां ट्रैक्टरगुरू वेबसाइट पर इस पोस्ट में आपको इन नई किस्मों की खासियतों सहित धान की खेती के बारे में पूरी जानकारी प्रदान की जा रही है।

कहां कौनसी किस्म के धान की होती है खेती ?

बिहार में पटना, गया, नालंदा, भागलपुर, चंपारन, नवादा एवं औरंगाबाद आदि जिलों में वहां की जलवायु एवं जमीन की मिट्‌टी के अनुसार अलग-अलग किस्मों की खेती करते हैं जैसे चंपारन के पश्चिमी भाग में सबसे ज्यादा मिर्चा नामक धान की किस्म की खेती की जाती है। इसे अप्रैल 2023 में जीआई टैग भी मिल चुका है। वहीं पटना में मंसूरी धान की खेती की जाती है। वहीं बेगूसराय के किसानों को धान की खेती करना एक चुनौती बना हुआ है। इसकी मुख्य वजह यह है कि इस जिले में 17061 हेक्टेयर बंजर भूमि है। इसमें से भी 1100 हेक्टेयर जमीन पर खेती नहीं होती है।

धान की ये किस्म देंगी अधिक पैदावार

कृषि विज्ञान केंद्र ने बेगूसराय के किसानों को धान की नवीन विकसित किस्मों की खेती करने की सलाह दी है। इनका कहना है कि बिहार के बेगूसराय में किसानों को राजेंद्र विभूति किस्म की खेती करनी चाहिए। इससे इन्हे प्रति हेक्टेयर करीब 4 क्विंटल अधिक पैदावार मिलेगी। कृषि विज्ञान केंद्र पूसा ने बेगूसराय जिले की मिट्‌टी का परीक्षण करने के बाद राजेंद्र विभूति और राजेंद्र श्वेता किस्मों का ट्रायल किया जो यहां की मिट्‌टी के अनुकूल हैं। इसके अलावा राजेंद्र श्वेता किस्म भी इस क्षेत्र में सफल रहेगी।

क्या है इन नई किस्मों की विशेषताएं?

कृषि विज्ञान केंद्र पूसा द्वारा विकसित की गई धान की नई किस्म राजेंद्र विभूति और राजेंद्र श्वेता की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इनसे कम सिंचाई में भी अच्छी उपज ली जा सकती है। कम पानी के बावजूद यह नस्लें ज्यादा दिनों तक हरी-भरी रह सकती हैं। इसके अलावा ये कम समय में पककर तैयार हो जाती है। कृषि वैज्ञानिकों का मानना है ये दोनों किस्में बेगूसराय जिले के लिए उपयुक्त हैं। जून में किसान इनकी नर्सरी तैयार कर सकते हैं। राजेंद्र विभूति ग्रामीण क्षेत्र में ज्यादा कारगर सिद्ध होगी।

धान की फसल बुआई का सही समय

धान की फसल की बुआई का सही समय मानसून आने से पहले होता है। इसकी बुआई मई और जून में की जाती है। इसके बाद मानसून आने के साथ ही इसकी रोपाई कर देनी चाहिए। इन दिनों धान की नर्सरी तैयारी की जा रही हैं।

देसी तरीके से करें बीजोपचार

किसानों को धान की फसल की बुआई करने से पहले बीज को अच्छी तरह से उपचारित कर लेना चाहिए। 1 हेक्टेयर में धान की रोपाई करनी हो तो 10 लीटर पानी में करीब 1.5 kg नमक मिश्रित कर लें। इसमें एक आलू या एक अंडा डाले दें। यदि आलू तैरने लगे तो समझिए कि सही घोल बन गया। इसमें बीज डाल दें। जो बीज पानी के ऊपर तैरने लगे वह हटाकर नीचे जमे बीज को अलग बर्तन में साफ कर लें।

धान की रोपाई के समय रखें दूरी का ध्यान  

धान की खेती करने वाले किसान भाइयों को चाहिए कि वे जब नर्सरी में धान के पौधे तैयार होने के बाद खेत में इनकी रोपाई करें तो पौधों की दूरी का खास ध्यान रखें। एक जगह पर एक या दो पौधों से ज्यादा नहीं रोपें। पौधों के बीच उचित दूरी रखनी चाहिए। 

Website - TractorGuru.in
Instagram - https://bit.ly/3wcqzqM
FaceBook - https://bit.ly/3KUyG0y

`

Quick Links

Popular Tractor Brands

Most Searched Tractors