मक्का की खेती: मक्का की इन 3 उन्नत किस्मों की करें खेती, मिलेगी ज्यादा पैदावार और कमाई

पोस्ट -20 मई 2023 शेयर पोस्ट

व्यावसायिक उत्पादन के लिए इस्तेमाल करें मक्का फसल की ये वैरायटी, जानें पूरी जानकारी 

मक्का फसल (Maize Cultivation) :  मक्का भारत की नहीं बल्कि विश्व की एक प्रमुख खाद्यान्न फसल है। मक्का की अधिक उपज क्षमता और विभिन्न उपयोग के कारण इसे खाद्यान्न फसलों की रानी भी कहा जाता है। मक्का का उपयोग मानव आहार के अलावा, कूक्कूट आहार, पशु आहार और बीज के रूप में किया जा रहा है। यह व्यावसायिक दृष्टि से दोहरा लाभ देने वाली एक नकदी फसल है, जिसके कारण देश में उगाई जाने वाली अनाज फसलों में गेहूं और धान के बाद तीसरे स्थान पर मक्का को प्रमुख रूप उगाया जाता है। देश के लगभग सभी इलाकों में इसकी खेती तीनों सीजन में की जाती है। मक्का की खेती तकरीबन सभी प्रकार के कृषि योग्य भूमि में आसानी से की जा सकती है। लेकिन इसकी खेती से अधिकतम पैदावार के लिए गहरी उपजाऊ दोमट मिट्टी उपयुक्त है, जिसमें जीवाश्म पदार्थ की मात्रा प्रचुर हो और वायु संचार तथा जल निकास उत्तम हो। भारत में मक्का की खेती लगभग 8.50 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में होती है, जिससे 22 से 23 मिलियन टन उत्पादन प्रति वर्ष होता है। लेकिन देश में मक्का का औसत उत्पादन अन्य देशों के मुकाबले कम है। देश के बिहार, मध्यप्रदेश, हरियाणा और उत्तरप्रदेश राज्यों में मक्का की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। लेकिन इन राज्यों में मक्का की औसत पैदावार कम है। ऐसे में मक्का फसल में अधिक उत्पादन लेने के लिए आवश्यक है कि मक्का खेती में उन्नत किस्मों और एडवांस तकनीकों का प्रयोग करना चाहिए। ऐसे में हम किसान भाईयों को मक्का फसल की उन्नत किस्मों की जानकारी देने जा रहे हैं, जिनका प्रयोग किसान भाई व्यावसायिक मक्का उत्पादन के लिए कर सकते हैं। 

मक्का फसल की अधिकतम पैदावार देने वाली उन्नत किस्में 

देश में मक्का की खेती किसानों द्वारा व्यावसायिक उत्पादन के लिए की जाती है। लेकिन कभी-कभी मक्का की फसल से औसत उत्पादन से भी कम उत्पादन मिलता है, जिसका कारण यह है कि ज्यादातर किसान इसकी खेती सही तकनीक और उन्नत किस्मों के बिना करते हैं। उत्पादन संबंधित इन्हीं समस्याओं को आईसीएआर-आईआईएमआर के वैज्ञानिकों द्वारा काफी हद तक समाधान किया जा चुका है। आज कृषि वैज्ञानिकों द्वारा कई नई तकनीकों एवं मक्का फसल की उन्नत प्रजातियों को विकसित किया गया है। इनमें पीएमएच 1-एलपी, जवाहर मक्का-8,  पूसा विवेक 27 इम्प्रूव्ड, प्रकाश, जे.एच. 3189, नवज्योति, राजेन्द्र हाइब्रिड 1 और  2, सी.एच.एच. 12, जवाहर मक्का 216, माहीकंचन, किरण, जवाहर मक्का 8, गंगा 5, पूसा हाइब्रिड 1, शक्ति 1, डी एम.एच. 109, पूसा हायब्रिड 1, पूसा हायब्रिड 2, शक्ति 1, गुजरात मक्का 2, एस.पी.वी -1041, शक्तिमान, पूसा हाइब्रिड 1, एफ.एच. 3049, विवेक संकर 4 , गौरव, , जवाहर संकरित मक्का 12, सी ओ बी सी ( बेबी कॉम ), गंगा 5, विक्रम, सती, चंदन 3, हिम 129, एन.एल.डी, शक्तिमान, शक्तिमान 2, स्वीट कॉर्न माधुरी, पॉप कॉर्न वी.एल.एम्बर पॉप, एस.एस.एम. 510, के.एच. 528, प्रो-311, बायो 9681, प्रभात, जे.एम.-8, जे.एम.-12, एस.पी.वी.-1041 आदि मक्का की उन्नत किस्मे हैं, जिनकी खेती किसान अपने क्षेत्र की जलवायु और मिट्टी के अनुसार कर अच्छी पैदावार ले सकते हैं। 

पीएमएच 1-एलपी : मक्का की इस किस्म को व्यावसायिक खेती के लिए विकसित किया गया है। यह कम फाइटिक एसिड वाली मक्का की हाइब्रिड किस्म है। पीएमएच 1-एलपी मक्का की किस्म को पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ने 2007 में उत्तर-पश्चिमी राज्यों के लिए जारी किया था। देशभर के ज्यादातर हिस्सों में यह किस्म बेहतर उत्पादन के लिए प्रयोग की जाती है। पीएमएच-1 एलपी किस्म की पैदावार 90 से 95 क्विंटल प्रति एकड़ है। मक्का की इस किस्म में कीट-रोगों की भी काफी कम संभावना होती है। 

जवाहर मक्का-8 : मक्का यह वैरायटी 95 दिनों में तैयार हो जाती है। इस वैरायटी की औसतन पैदावार 35 से 40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। इस किस्म के पौधे ऊंचे और दाने बड़े आकार के नारंगी रंग के होते हैं। 

पूसा विवेक 27 इम्प्रूव्ड : पूसा विवेक 27 इम्प्रूव्ड मक्का की जल्दी पकने वाली एक व्यावसायिक किस्म है। मक्का की इस किस्म की फसल पकने की अवधि 84 दिन है। इस किस्म की औसतन पैदावार 45 से 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की है।  

पायनियर P3355 : मक्का की यह किस्म कम समय में अधिक उपज देने वाली किस्म है। इस किस्म की बुवाई रबी के सीजन में की जाती है। यह किस्म अन्य मक्का किस्मों की तुलना में 15 से 20 प्रतिशत अधिक पैदावार देती है। 

पूसा मक्का विवेक QPM 9 : मक्का की यह किस्म 80 से 95 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली ने इस किस्म को जम्मू- कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर पूर्वी राज्यों, महाराष्ट्र, तेलंगाना, तमिलनाडू, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश राज्यों के लिए अनुमोदित किया है। मक्का फसल की इस किस्म की बुवाई खरीफ मौसम में की जाती है। इस किस्म की औसतन पैदावार 60 से 65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है। 

शक्ति 1 : मक्का की यह किस्म 95 दिन में तैयार होने वाली किस्म है। इसके दाने पौष्टिक तत्वों से भरपूर होते हैं। इस किस्म की खेती आहार के लिए पूरे भारत में की जाती है। इस किस्म औसत पैदावार 55 से 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। 

गंगा 5 : यह प्रजाति मक्का फसल की अगेती खेती के लिए है। इस किस्म की बुवाई मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा में की जाती है। इस किस्म के पौधे मजबूत और भुट्टा के दाने पीले रंग के होते हैं। मक्का की इस किस्म का उत्पादन 50 से 55 क्विंटल/हेक्टेयर तक है। गंगा 5 मक्का फसल किस्म वर्षा आधारित क्षेत्रों वाली असिंचित क्षेत्रों के लिए अनुकूल है। 

पार्वती : मक्का की यह किस्म प्रमाणित संकर किस्म है, जिसे खरीफ सीजन में अगेती, पछेती खेती के लिए विकसित किया गया है। यह संकर किस्म 90 से 100 दिन में पककर तैयार होती है। इस किस्म की औसतन पैदावार 45 से 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। मक्का फसल की इस किस्म को राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात राज्यों के लिए अनुमोदित किया गया है। 

पूसा हाइब्रिड 1 :  पूसा हाइब्रिड 1, 2 मक्का फसल की संकर किस्म है, जो 80 से 85 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इस संकर किस्म की पैदावार 55 से 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है। यह किस्म तमिलनाडु, आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक राज्यों के लिए अनुमोदित है। 

शक्तिमान : मक्का की यह प्रजाति अधिक पैदावार देने के लिए लोकप्रिय है। मक्का के इस किस्म के दानों में प्रोटीन की मात्रा अच्छी होती है। इस किस्म की औसतन उत्पादन क्षमता 60 से 70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। मक्का यह किस्म 90 से 110 दिन में पककर तैयार होती है। इस किस्म की बुवाई ज्यादातर मध्यप्रदेश, राजस्थान के क्षेत्रों में की जाती है। 

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