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चीकू की खेती : चीकू की खेती से होगी प्रति हेक्टेयर लाखों की कमाई

चीकू की खेती : चीकू की खेती से होगी प्रति हेक्टेयर लाखों की कमाई
पोस्ट -24 जनवरी 2023 शेयर पोस्ट

चीकू की खेती: 6 लाख तक प्रति हेक्टेयर सालाना की कमाई, जानें आधुनिक खेती का तरीका

चीकू की खेती: आज कृषि का क्षेत्र ग्रामीण लोगों के लिए अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण जरिया बना हुआ है। कृषि में आज किसान पारंपारिक फसलों के स्थान पर अब बागवानी फसलों की खेती में ज्यादा ध्यान केंद्रित कर रहे है। बागवानी के जरिये किसानों की आय भी बढ़ रही है, साथ ही किसानों को  बागवानी के लिए चलाई जा रही सरकारी योजनाओं का लाभ लेकर अच्छा मुनाफा कमाने का मौका मिल रहा है। ऐसे में हम बागवानी फसलों में चीकू की खेती की जानकारी आपके लिए लेकर आए है। स्वास्थ्य की दृष्टि से चीकू एक प्रकार का महत्वपूर्ण फल है। इसकी बागवानी इसके स्वादिष्ट फलों  के लिए की जाती है। वर्तमान समय में भारत के कई हिस्सों में इसकी बागवानी काफी बड़े पैमान पर की जाती है। जिसमें केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, महराष्ट्र, आंधप्रदेश गुजरात और हरियाणा राज्य शामिल है। अगर चीकू की खेती उचित जलवायु में की जाए, तो इसकी खेती से सालभर में दो बार उत्पादन लिया जा सकता है। चीकू का पौधा एक बार लग जाने के बाद कई सालो तक उत्पादन देता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभकारी होने के कारण इसके फलों की डिमांड बाजारों में हर मौसम में बनी रहती है। इस लिहाज से चीकू की खेती किसानों के लिए बहुत लाभकारी साबित हो सकती है। अगर आप भी चीकू की बागवानी लगाकर लाखों रुपए सालाना कामना चाहते है, तो हम ट्रैक्टरगुरु के इस लेख के माध्यम से आपको चीकू की खेती की पूरी जानकारी विस्तार से देने जा रहे है। इस जानकारी से आपको चीकू की उन्नत खेती करने में आसानी होगी। 

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पोषक तत्वों से भरपूर है चीकू 

चीकू का फल स्वाद में स्वादिष्ट तो होता ही है साथ ही इसका फल पोषक तत्वों से भरपूर भी होता है। इसके स्वादिस्ट फल में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, कैल्शियम, विटामिन ए, टेनिन, ग्लूकोज जैसे कई पोषक तत्व भरपूर मात्रा में  पाए जाते है। जिसके कारण इसके फल का सेवन स्वास्थ्य की दिष्ट से मानव शरीर के लिए लाभकारी बताया गया है। चीकू के फल का सेवन किसी भी प्रकार की बीमारी में करना फाायदेमंद माना गया है। इसके फल का सेवन तनाव, एनीमिया, बवासीर और पेट संबंधित बीमारियों में ज्यादातर किया जाता है। इसके फल के सेवन से श्वसन तंत्र में जमे कफ और बलगम से राहत मिलती है तथा पुरानी खासी में काफी लाभकारी होता है। 

चीकू की खेती में लगने वाली लागत और होने वाली कमाई

चीकू का मूल उत्पति का स्थान मध्यम अमेरिका और मेक्सिको को बताया गया है। लेकिन समय के साथ अब भारत में भी इसकी खेती होने लगी है। आज के समय में देश के कई राज्य चीकू का खूब उत्पादन कर रहे है। चीकू का पौधा रोपण के बाद पूर्ण विकसित होने में करीब 3 से 4 साल का समय लगता है। पूर्ण रूप से विकसित चीकू का पौधा कई सालो तक फल देता है। चीकू के पौधे में नवंबर, दिसंबर महीने में फूल निकलते है, जो मई महीने से ही तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते है। इसके फूल खिलने के तकरीबन 7 महीने बाद फल तुड़ाई के लिए तैयार होने लगते है। इसके फल की तुड़ाई हल्के कच्चे रूप में की जाती है। एक हेक्टेयर में चीकू के 250 से 300 पौधे लगाए जा सकते हैं। चीकू का एक पौधा सलाना 135 से 145 किलो के आसपास औसतन उत्पादन देता हैं। चीकू का बाजार में 40 से 50 रुपए प्रति किलो का भाव आसानी से मिल जाता है। इस तरह इसके प्रति हेक्टेयर खेत से करीब 6 लाख रुपए तक की सलाना कमाई आसानी से की जा सकती है। और जब तक इसके पौधे फल देने के लिए तैयार नहीं होते इस दौरान इसके पौधों के बीच खाली जगह में अन्य फसलें की खेती कर अतिरिक्त मुनाफा भी कमा सकते हैं। 

चीकू की उन्नत प्रजातियां 

चीकू की खेती से कम समय और लागत में बेहतर मुनाफा कमाना चाहते है, तो इसकी खेती के लिए उन्नत प्रजातियों का चयन करें। आज के समय में स्थानिय बाजारों में चीकू की कई उन्नत प्रजातियां मौजूद है। जिनका आप अपने क्षेत्र की जलवायु के आधार पर चयन कर लगा सकते है। वर्तमान समय में चीकू की जो उन्नत प्रजातियां मौजूद है उनमें पीली पत्ती, भूरी पत्ती, पीकेएम 2 हाइब्रिड, काली पत्ती, क्रिकेट बाल, बारहमासी और पोट सपोटा शामिल है। चीकू की यह उन्नत किस्म लगाने के बाद 2 से 3 साल में फल देने के लिए तैयार हो जाते है। इन उन्नत किस्मों से प्रति हेक्टेयर औसतन पैदावार 130 से 180 किलो प्रति पौधा सालाना मिल जाती है। इसके अलावा, बैंगलोर, पाला, द्वारापुड़ी, पी.के.एम.1, जोनावालासा 1, ढोला दीवानी, कीर्ति भारती और वावी वलसा जैसी कई चीकू की उन्नत किस्में भी मौजूद है। जिन्हे अलग-अलग स्थानों में जलवायु के अनुसार चयन कर लगा सकते है। 

चीकू की खेती के लिए उयुक्त जलवायु 

चीकू उष्णकटिबंधीय  जलवायु का पौधा है। चीकू के पौधे अर्द्ध शुष्क जलवायु में अच्छे से विकास करते है। इसकी खेती अर्द्ध शुष्क जलवायु में अच्छी तरह की जा सकता है। चीकू की खेती समुद्रतल से 1000 मीटर सें अधिक ऊॅंचें स्थानों पर की जा सकती है। इसके पौधों को 150 से 200 सेंटीमीटर वर्ष वर्षा की आवश्यकता होती है। इसके पौधे अधिकतम 40 डिग्री और न्यूनतम 10 डिग्री का तापमान सहन कर सकते है। चीकू की व्यावसायिक खेती के 70 प्रतिशत आद्रता वाला वातावरण में अच्छे से की जा सकती है। 

चीकू के लगाने के लिए उपयुक्त मिट्टी

चीकू को किसी भी प्रकार की उपजाऊ मिट्टी में लगा सकते हैं। लेकिन चीकू के अच्छे उत्पादन के लिए उचित जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी वाली हल्की भूमि का ही चुनाव करें। भूमि का पीएच मान 5.8 के 8 के मध्य होना चाहिए। इसकी खेती लवणीय और क्षारीय मिट्टी वाली भूमि में भी की जा सकती है। 

पौध तैयार कैसे करें? 

चीकू के खेत की रोपाई पौध के द्वारा की जाती है। इसके लिए चीकू के बीजो से नर्सरी में पौधों को तैयार किया जाता है। पौधों को कलम विधि द्वारा भी तैयार किया जा सकता है। कलम विधि द्वारा तैयार पौधों को अच्छा माना जाता है, क्योंकि इस तरह से तैयार पौधा जल्दी ही पैदावार देना आरम्भ कर देते है। इसके अलावा, स्थानीय नर्सरी से तैयार पौधे खरीद कर भी खेत की रोपाई कर सकते है। चीकू के  बीज से पौधों को तैयार करने के लिए पहले नर्सरी तैयार करे। इन नर्सरी में पर्याप्त उवर्रक डालकर बीजों की बुवाई करे। क्यारियों की दूरी उचित रखे और बीजों को कतार से कतार में 1 फीट की दूरी पर लगाए। बीज द्वारा तैयार पौधे पैदावार देने में अधिक समय लेते है। 

रोपाई के लिए खेत की तैयारी कैसे करें?

चीकू के पौधों की रोपाई खेत में जून से जुलाई महीने में करना चाहिए। क्योंकि यह बारिश का मौसम होता है। और पौधों को विकास करने के लिए उचित वातावरण भी मिल जाता है। वहीं, जहां सिंचाई की पर्याप्त साधान उपलब्ध हो ऐसे स्थानों पर मार्च के बीच में इसके पौधों की रोपाई कराना उपयुक्त है। पौधा रोपण से लगभग 1 महीना पहले मई-जून के महीने में खेती तैयार करे। खेत की जुताई करने के लिए मिट्टी पलटने वाले हल की मदद से खेती की 2 से 3 जुताई करे। इसके बाद खेत में 15 से 20 टन सड़ी गोबर डालकर रोटावेटर की मदद से खेत की मिट्टी को भुरभुरा बनाए। तैयार खेती में 6 x 6 मीटर की दूरी पर गड्ढे खोद लें। इन गड्ढे लंबाई चौड़ाई और गहराई क्रमशः 60 सेमी लंबे, 60 सेमी चौड़े और 60 सेमी होने चाहिए। इन गड्डो को पंक्ति में तैयार करते है। पंक्ति में तैयार गड्डो की दूरी पंक्ति से पंक्ति के बीच 5 से 6 मीटर की होनी चाहिए। इन गड्ढों लगभग 15 किग्रा सड़ी हुई गोबर की खाद, 1 किग्रा सिंगल सुपर फॉस्फेट, 0.50 ग्राम क्लोरो पायरीफास का चूर्ण तैयार कर भर दें। साथ ही दीमक के नियंत्रण के लिए मिथाइल पैराथियान 100 ग्राम प्रति गड्ढे भी भरे। तैयार गड्डो में चीकू के पौधों की रोपाई करे और उसके बाद सिंचाई करे। पौध लगाने के बाद खेत की मिट्टी में नमी का विशेष ध्यान रखे। बारिश के समय रोपण अत्यंत लाभकारी होता है।

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