भारत के किसान पारंपरिक खेती का विकल्प तेजी से तलाश रहे हैं। कई किसान पारंपरिक खेती को छोड़कर खेती में नवाचार को अपनाकर आज खेती से लाखों-करोड़ों रुपए कमा रहे हैं। आज हम आपको एक ऐसे पेड़ की खेती के बारे में जानकारी दे रहे हैं जिसकी लकड़ी, छाल, गोंद व पत्तों की बाजार में भारी मांग है। किसान इस किस्म के पेड़ की खेती एक हेक्टेयर भूमि में करके 7 साल में करीब 72 लाख रुपए तक की कमाई कर सकते हैं। इसकी खेती 50 हजार से कम खर्च में शुरू हो जाती है।
एक बार पेड़ लगाने के बाद किसी भी प्रकार का कोई खर्च नहीं होता है। हम जिस पेड़ की खेती की बात कर रहे हैं उस पेड़ का नाम यूकेलिप्टस / सफेदा। इसे नीलगिरी का पेड़ भी कहते हैं। इस पेड़ की लकड़ी बहुत ही उपयोगी है, जिसका इस्तेमाल फर्नीचर, पार्टिकल बोर्ड, पेटियां, ईंधन, हार्ड बोर्ड आदि बनाने के लिए किया जाता है। प्लाईवुड की फैक्ट्रियों में सफेदा की लकड़ी की मांग हमेशा बनी रहती है। आइए, ट्रैक्टर गुरु की इस पोस्ट से यूकेलिप्टस / सफेदा की खेती के बारे में जानते हैं।
भारत में सफेदा/ यूकेलिप्टस / नीलगिरी की खेती उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, पंजाब, हरियाणा, बिहार, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, केरल, पश्चिमी बंगाल, कर्नाटक और आंध्रप्रदेश आदि प्रदेशों में की जाती है। दुनियाभर में सफेदा की 300 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती है लेकिन भारत में सफेदा यानी नीलगिरी की 6 वैरायटी के पेड़ लगाए जाते हैं। इनमें प्रजातियों में नीलगिरी ऑब्लिव्का, नीलगिरी डायवर्सीकलर, नीलगिरी डेलीगेटेंसिस, नीलगिरी निटेंस, नीलगिरी ग्लोब्युल्स और नीलगिरी विमिनैलिस आदि शामिल है। आइए नीलगिरी या सफेदा की खेती से जुड़े प्रमुख तथ्यों के बारे में जानें :
अगर आप नीलगिरी या यूकेलिप्टस की खेती से अच्छी क्वालिटी की लकड़ी, छाल और तेल प्राप्त करना चाहते हैं तो कीड़े और बीमारियों की सतत निगरानी रखनी होगी और रोकथाम के प्रभावी उपाय करने होंगे। विशेषज्ञों के अनुसार नीलगिरी के पेड़ में कई बार दीमक, कोढ़ और गांठ जैसी बीमारियों का प्रकोप बढ़ जाता है। इनका नियंत्रण जैविक तरीकों से संभव है।
सफेदा / यूकेलिप्टस का पेड़ 5 से 7 साल में तैयार हो जाता है। एक पेड़ से लगभग 400 किलो लकड़ी मिलती है। बाजार में सफेदा की लकड़ी की कीमत 7 रुपए प्रति किलो चल रही है। अगर एक हेक्टेयर जमीन पर 3 हजार पेड़ लगाए जाए और 7 साल तक उनके बड़े होने का इंतजार किया जाए तो किसान सफेदा की लकड़ी बेचकर 72 लाख रुपए तक कमा सकता है। यदि किसान 4 हजार रुपए पेड़ लगाता है तो उसकी कमाई 1 करोड़ रुपए से अधिक हो सकती है। इनके पेड़ों की अधिकतम लंबाई 80 मीटर तक होती है। इसके अलावा नीलगिरी की खेती के साथ-साथ सब्जियों की सह फसली खेती भी हो सकती, जिससे इसकी खेती की लागत कम हो जाती है और किसान की अतिरिक्त कमाई भी शुरू हो जाती है।
सफेदा / यूकेलिप्टस की खेती की सबसे खास बात यह है कि इसकी खेती बहुत कम लागत में शुरू हो सकती है। सफेदा का पौधा नर्सरी में 7 से 8 रुपए प्रति नग के हिसाब से मिल जाता है। अगर किसान एक हेक्टेयर में सफेदा की खेती के लिए 3 हजार पेड़ खरीदता है तो उसे मात्र 21 हजार रुपए की खर्च करने होंगे। इसके अलावा अन्य खर्च के रूप में किसान को 10 हजार रुपए और खर्च करने होते हैं। इस प्रकार सफेदा की खेती मात्र 31 हजार रुपए में शुरू हो सकती है।
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