किसान फफूंद (फंगस) रोग और खरपतवार के कारण परेशान रहते हैं, क्योंकि ये फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। इससे फसल का उत्पादन कम होता है, जिससे किसानों का मुनाफा घट जाता है। किसानों की इन्हीं चुनौतियों का समाधान करने के लिए भारत के एग्रोकेमिकल उद्योग द्वारा फसल सुरक्षा के नए आयाम पेश किए हैं। उद्योग से जुड़ी प्रमुख कृषि-रसायन कंपनियां भारतीय किसानों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए उन्नत खरपतवारनाशी (हर्बीसाइड्स) और फफूंदनाशी (फंगस नियंत्रण के लिए) उत्पाद लॉन्च कर रही हैं। ये नवीनतम उत्पाद धान, मक्का, सोयाबीन, कपास और प्याज जैसी फसलों में खरपतवार और रोग नियंत्रण की पुरानी चुनौतियों का समाधान प्रदान करते हैं। इनसे किसानों को अधिक उत्पादन, कम नुकसान और खेती को किफायती एवं टिकाऊ बनाने में मदद मिलेगी। आइए, 2025 में लॉन्च हुए नवीनतम खरपतवारनाशी और फफूंदनाशी कृषि -रसायन उत्पादों के नाम जानते हैं।
भारत में 2025 के लिए लॉन्च हुए नए एग्रोकेमिकल के नाम नीचे निम्न प्रकार से है:-
इंसेक्टिसाइड्स इंडिया लिमिटेड (IIL) ने किसानों के लिए ‘अल्टेयर’ नामक एक शक्तिशाली नया खरपतवारनाशी (हर्बीसाइड) लॉन्च किया है, जो विशेष रूप से धान की फसल के लिए विकसित किया गया है। यह खरपतवारनाशी धान की खेती में पाए जाने वाले घास और सेज जैसे खरपतवारों को नियंत्रित करता है। इसकी सिस्टेमिक (प्रणालीगत) क्रिया पौधे की गहराई तक जाती है और लंबे समय तक सुरक्षा प्रदान करती है। ‘अल्टेयर’ को फसल और खरपतवार के उगने के बाद (पोस्ट-एमर्जेंस) भी उपयोग किया जा सकता है। इससे किसान समय और प्रभावशीलता पर अधिक नियंत्रण पा सकते हैं। जलवायु परिवर्तन और बढ़ती लागत के दौर में यह उत्पाद धान किसानों के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो रहा है।
धानुका एग्रीटेक लिमिटेड (Dhanuka Agritech Limited) ने अपने प्रमुख उत्पाद “टार्गा सुपर” की 25वीं वर्षगांठ मनाई। यह उत्पाद सोयाबीन, मूंगफली और कपास फसल में पाए जाने वाले संकीर्ण पत्तियों वाले खरपतवारों को नियंत्रित करता है। इसके साथ ही, धानुका एग्रीटेक ने मेलोडी डुओ नामक एक अगली पीढ़ी का फफूंदनाशी (हर्बीसाइड) भी लॉन्च किया है, जिसमें दो सक्रिय तत्वों का संयोजन है। यह उत्पाद अंगूर, टमाटर, मिर्च और आलू जैसी फसलों में फफूंद जनित रोगों (फंगस संक्रमण) से प्रभावी सुरक्षा सुनिश्चित करता है, जिससे फसल की गुणवत्ता एवं बाजार मूल्य भी बढ़ाती है।
बायोस्टैड इंडिया लिमिटेड (Biostadt India Limited) ने धान में पाए जाने वाले घास और चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के प्रबंधन के लिए ‘प्यांकोर’ नामक पोस्ट-एमर्जेंस हर्बीसाइड (खरपतवारनाशी) लॉन्च किया है। बायोस्टैड इंडिया का यह नवीनतम उत्पाद विशेष रूप से इकिनोक्लोआ और साइपेरस जैसी जिद्दी खरपतवार प्रजातियों पर प्रभावी है। यह चयनात्मक खरपतवारनाशी धान की फसल को सुरक्षित रखते हुए लक्षित खरपतवारों को तेजी से नष्ट करता है। कंपनी इसे उत्तर भारत के धान क्षेत्रों में एक आधुनिक और किसान-हितैषी समाधान के रूप में पेश कर रही है।
धानुका एग्रीटेक ने “दिनकर “ नामक एक चयनात्मक हर्बीसाइड (खरपतवारनाशी) पेश किया है, जो रोपाई किए गए धान में पाए जाने वाले कठिन खरपतवार समूहों को नियंत्रित करता है। यह घास, चौड़ी पत्ती और सेज जैसे खरपतवारों पर तेजी से काम करता है, जिससे किसानों का समय और मेहनत दोनों बचता है। कंपनी इस हर्बीसाइड का धान उत्पादक राज्यों में बड़े स्तर पर जागरूकता अभियानों के माध्यम से प्रचार-प्रसार कर रही है।
ट्रॉपिकल एग्रो ने “टैग-प्रॉक्सी” नामक नया हर्बीसाइड लॉन्च किया है। यह कई फसलों में चौड़ी पत्ती और घास जैसे खरपतवारों को नियंत्रित करता है। ट्रॉपिकल एग्रो का यह उत्पाद तेजी से पौधों में अवशोषित होकर खरपतवारों को नियंत्रित करता है तथा फसल पर कम प्रभाव डालता है। कंपनी किसान प्रशिक्षण, फील्ड डेमो और डीलर जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से टैग-प्रॉक्सी हर्बीसाइड उत्पाद को लोकप्रिय बना रही है।
वैश्विक एग्रोकेमिकल कंपनी UPL ने “सेंच्यूरियन EZ” नामक खरपतवारनाशी (हर्बीसाइड) लॉन्च किया है, जो सोयाबीन, कपास और प्याज में पाए जाने वाले घास वर्ग के खरपतवारों को नियंत्रित करता है। यह हर्बीसाइड फसलों में डालने पर तेजी से अवशोषित होकर लंबे समय तक प्रभावी रहता है तथा यह भारतीय परिस्थितियों के लिए उपयुक्त है। यूपीएल ने इसके विभिन्न जलवायु और मिट्टी स्थितियों में परीक्षण किए हैं, जिससे यह किसानों के लिए एक विश्वसनीय विकल्प बन गया है।
इंसेक्टिसाइड्स इंडिया लिमिटेड IIL ने “टॉरी सुपर“ नामक एक विशेष हर्बीसाइड लॉन्च किया है, जिसमें SPF (Superior Performance Formulation) तकनीक है। यह मक्का की फसल में प्रारंभिक अवस्था में होने वाले खरपतवार हमलों को प्रभावी तरीके से नियंत्रित करता है। यह डिजिटेरिया, सेटेरिया, और चौलाई जैसी मुख्य खरपतवार प्रजातियों पर लक्षित प्रभाव डालता है। यह फसल को नुकसान नहीं पहुंचाता। IIL इसे मक्का किसानों के लिए एक किफायती और प्रभावी विकल्प के रूप में पेश कर रही है।
हाल ही में लॉन्च हुए इन उत्पाद से यह स्पष्ट है कि भारत का कृषि-रसायन (एग्रोकेमिकल) क्षेत्र तेजी से परिवर्तन की ओर अग्रसर है। मौसम परिर्वतन, श्रम लागत में वृद्धि और बढ़ते उत्पादन लक्ष्यों को देखते हुए, किसानों को अब अधिक टिकाऊ, कुशल और सटीक समाधानों की जरूरत है। इनको ध्यान में रखते हुए कंपनियां न केवल नए उत्पाद ला रही हैं, बल्कि किसानों को प्रशिक्षित करने, डिजिटल सलाह देने और प्रायोगिक खेतों में परीक्षण करके यह सुनिश्चित कर रही हैं कि उत्पाद का उचित उपयोग हो।
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