Dhanuka Agritech : देश की लगभग आधी आबादी का मुख्य भोजन “चावल” (धान) है। यह देश की प्रमुख खाद्य फसल है, जिसकी खेती जुताई योग्य क्षेत्र के लगभग एक चौथाई भाग पर होती है। पिछले कुछ दशकों के दौरान नई कृषि टेक्नोलॉजी और अच्छी पैदावार करने वाले बीजों के प्रयोग के कारण उत्पादक राज्यों ने धान की खेती में बहुत ज्यादा उन्नति हासिल की है। लेकिन, इसकी खेती में सबसे बड़ी समस्या खरपतवार आज भी किसानों के लिए सिरदर्द बनी हुई। आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, पंजाब और छत्तीसगढ़ जैसे धान (चावल) उत्पादक राज्यों के किसान इस समस्या से हर साल जूझते रहते हैं। लेकिन अब किसानों को खरपतवार की इस समस्या से राहत मिलेगी। क्योंकि भारत की अग्रणी कृषि-रसायन कंपनी “धानुका एग्रीटेक लिमिटेड” (Dhanuka Agritech Limited) ने नया खरपतवारनाशी ‘दिनकर’ लॉन्च किया है। यह विशेष रूप से धान की रोपित फसल के लिए विकसित किया गया है। यह नया खरपतवारनाशी उत्पाद (new herbicide product) उन धान किसानों के लिए एक बड़ी राहत के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो फसल की शुरुआती अवस्था में लगातार खरपतवार की समस्याओं और उनसे जुड़ी लागत से परेशान रहते हैं। आइए, जानते हैं कि नया खरपतवारनाशी “दिनकर” धान की फसल को कैसे फायदा पहुंचाता है और खरपतवार पर कितना प्रभावी है।
तिरुपति (आंध्र प्रदेश) में आयोजित लॉन्च कार्यक्रम में धानुका एग्रीटेक ने धान की रोपित फसल को खरपतवार से बचाने के लिए देसी और आसान फॉर्मूला “दिनकर” पेश किया है। कार्यक्रम में धानुका एग्रीटेक के प्रबंध निदेशक राहुल धानुका ने बताया कि “दिनकर” को होक्को जापान की ट्रायाजोलिनोन रासायनिक तकनीक इपफेनकारबाजोन से विकसित किया गया है। “दिनकर” सिर्फ एक नया उत्पाद नहीं है, बल्कि यह देश के धान उत्पादक किसानों की कठिनाइयों को समझने और हल करने की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। हम जिद्दी खरपतवार से लेकर मजदूरों की कमी तक, किसानों की वास्तविक चुनौतियों को हल करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। यह खरपतवारनाशी उत्पाद इसका स्पष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है।
प्रबंध निदेशक ने बताया कि “दिनकर” में इपफेनकारबाजोन रसायन है, जो ACCase एंजाइम को अवरुद्ध करता है। यह एंजाइम खरपतवारों में वसा अम्लों के निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाता है। इस जैव-रासायनिक क्रिया को अवरुद्ध करके, डिनकर खरपतवार की कोशिकाओं को नष्ट करता है। कोशिकाएं नष्ट होने से खरपतवार अंकुरित होने से पहले ही खत्म हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि “दिनकर” की एक खास बात इसकी फसल-सुरक्षा क्षमता है। यह सिर्फ खरपतवारों को निशाना बनाता है, जबकि धान की फसल को नुकसान नहीं पहुंचाता। इससे फाइटोटॉक्सिसिटी (फसल पर दवा के दुष्प्रभाव) का जोखिम न के बराबर होता है। इसके अलावा, कम खरपतवार होने के कारण खेतों में हवा और प्रकाश का संचार बेहतर होता है, जिससे फफूंद और कीटों के संक्रमण का खतरा भी घटता है। इससे फसल स्वस्थ रहती है और पैदावार बढ़ती है।
धनुका एग्रीटेक लिमिटेड में हर्बीसाइड पोर्टफोलियो प्रबंधक अमित मिश्रा ने बताया कि “दिनकर” कुछ सबसे हानिकारक और फसल को नुकसान पहुंचाने वाले खरपतवारों पर लंबी अवधि और व्यापक नियंत्रण प्रदान करता है, जिनमें इचिनोक्लोआ क्रूसेगली (बार्नयार्ड ग्रास), लुडविगिया पार्विफ्लोरा, एक्लिप्टा अल्बा, अमैनिया बैकिफेरा, और नलीदार घास जैसे साइपेरस इरिया व साइपेरस डिफॉर्मिस शामिल है। यह नियंत्रण लगभग 45-50 दिनों तक बना रहता है। इससे फसल में बार-बार खरपवारनाशी दवा छिड़काव की आवश्यकता घटती है और किसानों की कुल लागत में कमी आती है, जिससे उनका मुनाफा बढ़ जाता है।
इस कार्यक्रम में आंध्र प्रदेश के राजामुंद्री के प्रगतिशील किसान श्रीनिवास ने अपना अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि नया खरपतवारनाशी “दिनकर” के प्रयोग से उनके खेतों में खरपतवार लगभग पूरी तरह समाप्त हो गए। इसमें उनकी मेहनत और लागत भी कम लगी। इसका सीधा असर उनकी फसल उत्पादन की संभावना और आत्मविश्वास पर पड़ा। खरपतवार नाशक “दिनकर” का छिड़काव करना सरल है। कोई भी किसान इसे बिना किसी परेशानी के कर सकते हैं। इसकी अनुशंसित मात्रा 200 मिली प्रति एकड़ है, जिसे रोपाई के 0-3 दिन के अंदर प्रयोग करना चाहिए। इसे बालू या खाद में मिलाकर खेत में छिड़काव किया जाना चाहिए। खेत में कम से कम 2-3 इंच पानी रोपाई के बाद 5 दिनों तक बना रहना आवश्यक है, ताकि दवा के बेहतर अवशोषण हो सके।
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